पूंजीवाद

Last Updated 19 May 2020 12:15:11 AM IST

पूंजीवाद हमारे मन में सिर्फ एक गाली की तरह आता है, एक निंदा की तरह आता है बिना यह जाने की पूंजीवाद ने मनुष्य जाति के लिए किया क्या है।




आचार्य रजनीश ओशो

बिना यह जाने की पूंजीवाद ही मनुष्य जाति को समाजवाद तक पहुंचाने की प्रक्रिया है, बिना यह समझे हुए कि अगर कभी मनुष्य समान होगा और अगर कभी सारे मनुष्य खुशहाल होंगे और अगर कभी मनुष्य दीनता और दरिद्रता से मुक्त होंगे तो उसमें सौ प्रतिशत हाथ पूंजीवाद का होगा। पूंजीवाद के बारे में दो तीन बातें समझ लेना जरूरी है। पहली यह कि पूंजीवाद पूंजी पैदा करने की व्यवस्था का नाम है। एक ऐसी व्यवस्था जो संपत्ति का सृजन करती है। दुनिया में पूंजीवाद से पहले किसी व्यवस्था ने पूंजी पैदा नहीं की थी। पैदा करने का मतलब यह है कि जो अगर पैदा न करता तो खदानों से न निकलती, जमीन से निकलती, न आकाश से निकलती।

आज जमीन पर जो पूंजी है वह पैदा की गई पूंजी है। वह कोई प्राकृतिक संपत्ति नहीं है जो किसी खदान से मिलती हो, जमीन से मिलती हो, किसी झरने से मिलती हो, किसी प्रकृति से, किसी जगह से मिलती हो। पूंजीवाद ने ड़ेढ सौ वर्षो में पूंजी पैदा करने की व्यवस्था ईजाद की। इससे पहले जो भी व्यवस्थाएं थी वह लुटेरी व्यवस्थाएं थीं। चंगेज हो कि तैमूर लंग हो कि दुनिया में कोई सम्राट हो सामंतों ने पूंजी को लुटा था, शोषण किया था, लेकिन पूंजीवाद ने पूंजी पैदा की, लेकिन हम  सामंतवाद के साथ ही पूंजीवाद को रखने के आदि हो गए हैं। हम सोचते हैं कि पूंजीवाद ने भी पूंजी का शोषण किया है।

पूंजीवाद ने पूंजी निर्मिंत की है और पूंजी निर्मिंत हो जाए तो बंटवारा हो सकता है। पूंजी अगर निर्मिंत न हो तो बंटवारा किस चीज का होगा? पूंजीवाद संपत्ति पैदा करता है, समाजवाद संपत्ति बांटता है। लेकिन पैदा करना पहला काम है। बांटना दूसरा काम है और अगर पूंजीवाद संपत्ति नहीं पैदा कर पाए तो समाजवाद केवल गरीबी बांट सकता है। अगर हमारे देश ने निर्णय लिया समाजवादी होने का तो हम सदा के लिए गरीब होने का निर्णय लेंगे क्योंकि हम गरीबी बांटकर रह जाएंगे क्योंकि पूंजी को पैदा करने की व्यवस्था के सूत्र हमारे ध्यान में हैं। पहली बात यह समझ लेना जरूरी है कि दुनिया के सारे लोगों ने मिलकर पूंजी पैदा नहीं की है बिल्कुल थोड़े से लोगों ने पूंजी पैदा की है। हम सबसे पुरानी कौम हैं और जमीन पर हमारी सबसे पुरानी संस्कृति है। लेकिन हम संपत्ति क्यों पैदा नहीं कर पाए क्योंकि हम संपत्ति विरोधी देश हैं।



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