अस्तित्व

Last Updated 17 Apr 2020 01:36:51 AM IST

बुद्धिमत्ता बस जीवित रहने का साधन है। जीवित रहना आवश्यक है, पर पूर्ण संतोष देने वाला नहीं। यदि आप जीवन के ज्यादा गहरे आयामों में जाना चाहते हैं तो पहले आप को आवश्यक साधनों की जरूरत होगी।


जग्गी वासुदेव

आप जीवन का अनुभव इन पांच इंद्रियों से करते हैं- देख कर, सुन कर, स्वाद ले कर, छू कर और सूंघ कर। पर इनसे आप भौतिकता के परे कुछ भी नहीं जान सकते। सागर की गहराई आप किसी फुट स्केल से नहीं नाप सकते।

और अभी, लोगों के साथ यही हो रहा है। जीवन के ज्यादा गहरे आयामों का पता वे बिना आवश्यक साधनों के लगाना चाहते हैं, और इसी कारण वे गलत निष्कर्ष निकाल लेते हैं। लोग निष्कर्ष निकाल लेने के लिए उतावले होते हैं क्योंकि उनके पास अपना स्वयं का कुछ अनुभव नहीं होता। आप जिसे ‘मैं’ कहते हैं वह व्यक्ति या व्यक्तित्व बस उन निष्कषरे का पुलिंदा मात्र है, जो आप ने जीवन के बारे में निकाले हैं।

पर आप ने चाहे जो भी निष्कर्ष निकाले हैं आप गलत ही होंगे, क्योंकि जीवन, उनमें से किसी भी निष्कर्ष के दायरे में सही नहीं बैठता। अगर इसको साधारण रूप में देखें, आप सिर्फ  एक मनुष्य को ले लें। मान लीजिए, आप किसी से 20 साल पहले मिले थे, और वो जो कुछ भी कर रहा था, वो आप को पसंद नहीं आया। तो आप ने निष्कर्ष निकाल लिया कि वह अच्छा आदमी नहीं था। अब मान लीजिए, आप उसी व्यक्ति से 20 साल बाद, आज मिले। हो सकता है कि वो अब एक अद्भुत व्यक्ति हो पर आप का मन आप को उस व्यक्ति का अनुभव उस रूप में नहीं करने देगा जैसा वह अब है। जैसे ही आप एक निष्कर्ष निकाल लेते हैं, आप अपना विकास रोक देते हैं।

आप ने कोई भी निष्कर्ष निकाल कर अपने जीवन की संभावनाओं को रोक दिया है, नष्ट कर दिया है। किसी आध्यात्मिक प्रक्रिया का यह अर्थ नहीं है कि आप निष्कषरे के एक समूह से दूसरे समूह पर कूद जाएं। आप जब यहां बिना किसी निष्कर्ष के रहने की हिम्मत जुटा पाएंगे, हर समय नये अनुभव के लिए तैयार होंगे, इस अस्तित्व के एक छोटे से कण के रूप में रहने को तैयार होंगे, तब ही आप अस्तित्व की अनंतता को जान और समझ पाएंगे।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment