शारीरिक श्रम

Last Updated 17 Mar 2020 12:27:33 AM IST

शारीरिक श्रम एक लज्जापूर्ण कृत्य हो गया है, शर्म की बात हो गई है। अब्राहम लिंकन एक दिन सुबह-सुबह अपने घर बैठा जूतों पर पॉलिश कर रहा था।




आचार्य रजनीश ओशो

उसका एक मित्र आया। मित्र ने कहा: ‘लिंकन, यह क्या करते हो? खुद ही अपने जूतों पर पॉलिश करते हो’? लिंकन ने कहा: ‘तुमने मुझे हैरानी में डाल दिया। तुम क्या दूसरों के जूतों पर पॉलिश करते हो? मैं अपने ही जूतों पर पॉलिश कर रहा हूं। तुम क्या दूसरों के जूतों पर पॉलिश करते हो’? उसने कहा कि ‘नहीं-नहीं, मैं तो दूसरों से करवाता हूं’। लिंकन ने कहा: ‘दूसरों के जूतों पर पॉलिश करने से भी बुरी बात यह है कि तुम किसी आदमी से जूते पर पॉलिश करवाओ। इसका मतलब क्या है? इसका मतलब यह है कि जीवन से सीधे संबंध हम खो रहे हैं।

जीवन के साथ हमारे सीधे संबंध श्रम के संबंध हैं। कन्फ्यूशियस के जमाने में-कोई तीन हजार वर्ष पहले-कनफ्यूशियस एक गांव में घूमने गया। उसने एक बगीचे में एक माली देखा। बूढ़ा माली कुएं से पानी खींच रहा है। बूढ़े माली का कुएं से पानी खींचना बड़ा कष्टपूर्ण है। वह बुड्ढा लगा हुआ है पानी को..जहां बैल लगाए जाते हैं, वहां बुड्ढा लगा हुआ है और उसका जवान लड़का भी लगा हुआ है। दोनों पानी खींच रहे हैं।  कन्फ्यूशियस को खयाल हुआ कि क्या इस बूढ़े को अब तक पता नहीं है कि बैलों या घोड़ों से पानी खींचा जाने लगा है।

यह कहां के पुराने ढंग को अख्तियार किए हुए है? तो बूढ़े आदमी के पास कनफ्यूशियस गया और उससे बोला, ‘मेरे मित्र! क्या तुम्हें पता नहीं है, नई ईजाद हो गई है। लोग घोड़े और बैलों को जोत कर पानी खींचते हैं, तुम खुद लगे हुए हो’? बूढ़े ने कहा: ‘धीरे बोलो, धीरे बोलो। क्योंकि मुझे तो कुछ खतरा नहीं है, लेकिन मेरा जवान लड़का न सुन ले’। कनफ्यूशियस ने कहा: ‘तुम्हारा मतलब’? उस बूढ़े ने कहा: ‘मुझे सब ईजाद पता है, लेकिन ईजाद आदमी को श्रम से दूर करने वाली है।

और मैं नहीं चाहता कि मेरा लड़का श्रम से दूर हो जाए क्योंकि जिस दिन वह श्रम से दूर होगा, उसी दिन जीवन से भी दूर हो जाएगा’। जीवन और श्रम समानार्थक हैं। जीवन और श्रम एक ही अर्थ रखते हैं। लेकिन धीरे-धीरे हम उनको धन्यभागी कहने लगे हैं, जिनको श्रम नहीं करना पड़ता और उनको अभागे जिनको श्रम करना पड़ता है। और यह हुआ भी। एक अर्थ में बहुत से लोगों ने श्रम करना छोड़ दिया तो कुछ लोगों पर बहुत श्रम पड़ गया। बहुत श्रम प्राण ले लेता है, कम श्रम भी प्राण ले लेता है।



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