चक्र

Last Updated 20 Dec 2019 04:51:16 AM IST

मुक्त का अर्थ है चक्र को तोड़ना। आप इस चक्र को क्यों तोड़ना चाहेंगे? लोग समझते हैं कि अगर आप दुखी होंगे तभी आप इस चक्र को तोड़ना चाहेंगे परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।


जग्गी वासुदेव

जो व्यक्तिदुखी है, वास्तव में वो बेहतर होकर, ज्यादा धन-संपत्ति के साथ, अधिक ऊंचा होकर, सुंदर हो कर, अच्छा स्वास्थ्य ले कर, सभी कुछ पहले ज्यादा ले कर वापस आना चाहेगा, वो मुक्त नहीं होना चाहता। सिर्फ  वही व्यक्ति जीवन से परे जाना चाहेगा जिसने जीवन के सभी रूपों को देख लिया है। मुक्ति का अर्थ यह है कि हमने जो भी कर्म संबंधी जानकारी एकत्रित कर रखी है, हम उससे छुटकारा पाना चाहते हैं क्योंकि इसने जीवन को अपने अंदर कैद कर लिया है और अपने चारों ओर एक शरीर बना लिया है।

यदि आप इस कर्म संबंधी जानकारी को तोड़ दें तो आपके भीतर के जीवन में आप या मैं जैसी कोई चीज नहीं रहेगी-यह बस जीवन होगा। यह एक जीवित ब्रह्मांड है। उदाहरण के लिए, जब आप साबुन के घोल का बुलबुला उड़ाते हैं, तो यह बुलबुला तो वास्तविक है पर अगर वो टूट जाए तो पानी की सिर्फ  एक बूंद नीचे गिरेगी। बाकी का बुलबुला गायब हो जाएगा। उसके अंदर जो हवा थी वो चारों ओर की हवा के साथ मिलकर एक हो जाएगी। जीवन सिर्फ  आप में ही नहीं है, यह बाहर भी है।

इसलिए आप सांस ले रहे हैं और छोड़ रहे हैं। आप उसके बिना जीवित नहीं रह सकते। आप इसे ऑक्सीजन कहें या कुछ और, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मूल रूप से आप जिसे जीवन कहते हैं, वह सर्व-व्यापक है। यह उस तरह से व्यवहार करता है जैसी जानकारी के साथ फंसा होता है। यही कर्म है। कर्म एक सॉफ्टवेयर की तरह है। यह वही जीवन ऊर्जा है, बस एक अलग सॉफ्टवेयर के साथ। इसलिए यह बिल्कुल अलग ढंग से व्यवहार करती है। आप अगर कर्म के सॉफ्टवेयर को पूरी तरह से तोड़ दें तो फिर जीवन कहां जाएगा?

कहीं नहीं, यह सब तरफ है, सिर्फ  व्यक्तिगत पहचान खो जाएगी। वास्तव में आपके अंदर के जीवन की कोई व्यक्तिगत पहचान नहीं है, सिर्फ  आपका सॉफ्टवेयर ही व्यक्तिगत होता है। अगर आप इस सॉफ्टवेयर को बिना जागरूकता के तैयार करेंगे, तो यह हर तरह के आकार ले लेगा-कुछ आप को पसंद आएंगे, कुछ नहीं। यदि आप अपने कर्म संबंधी सॉफ्टवेयर को जागरूकता के साथ तैयार करेंगे, तो आप वही रचेंगे जो चाहते हैं।



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