मिट्टी

Last Updated 04 Sep 2019 05:55:40 AM IST

भारत की मिट्टी की दशा इतनी खराब हो गई है कि हम जो अन्न, सब्जियां, फल उगा रहे हैं, उनके पोषक तत्व विनाशकारी ढंग से कम होते चले जा रहे हैं।


जग्गी वासुदेव

विशेष रूप से भारतीय सब्जियों में तो पिछले 25 सालों में पोषक तत्वों में 30% तक की गिरावट आई  है। विश्व में हर तरफ डॉक्टर लोगों को मांसाहारी भोजन से शाकाहारी भोजन की तरफ मुड़ने को कह रहे हैं पर भारत में, डॉक्टर हमें मांस खाने की सलाह दे रहे हैं। क्यों? जब सारी दुनिया यह प्रयास कर रही है कि लोग मांसाहार छोड़ कर शाकाहारी जीवन का रास्ता अपनाएं तो हम, जो मुख्यत: एक शाकाहारी देश हैं, मांस की ओर इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि हमारे शाकाहारी खाद्य पदाथरे में पर्याप्त पोषक तत्व नहीं हैं। और यह बस इसलिए है क्योंकि हमने अपनी मिट्टी की परवाह नहीं की है, उसे संभाला नहीं है। मिट्टी के सूक्ष्म पोषक तत्व इतने नाटकीय ढंग से कम हो गए हैं कि हमारे 3 वर्ष से कम उम्र के लगभग 70% बच्चे कुपोषित हैं, उनमें स्वस्थ रक्त की कमी है। अगर आप जंगल में जाएं और वहां की मिट्टी की जांच करें तो वह जीवन से भरपूर, बहुत अच्छी गुणवत्ता वाली मिलेगी। मिट्टी ऐसी ही होनी चाहिए। अगर मिट्टी की शक्ति कम हो जाती है, तो हमारे शरीर भी कमजोर पड़ जाएंगे-सिर्फ  पोषण की दृष्टि से ही नहीं पर अत्यंत मूल रूप से।

इसका अर्थ यह है कि हम जो अगली पीढ़ी पैदा करेंगे, वह हमसे कम शक्तिशली होगी। यह तो मानवता के प्रति अपराध है। हमारी अगली पीढ़ी हमसे बेहतर होनी चाहिए। अगर वह हमसे कम है, तो इसका अर्थ यही है कि हमने मूल रूप से कुछ बहुत गलत किया है। यह भारत में बहुत बड़े रूप में हो रहा है क्योंकि हमारे देश की मिट्टी अपनी शक्ति खो रही है। अब यदि हमारी नदियां सूखती जाएंगी और मिट्टी खराब होती जाएगी तो हमें फिर अकाल जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। अगर हम अब, इसी समय, सही काम नहीं करेंगे तो इस भूमि पर भविष्य में लोग रह ही नहीं पाएंगे। सो, अब यही समय है जब हमें वास्तविक काम करना है। हम आज की खराब परिस्थिति को पूर्ण रूप से बदल सकते हैं, अगर अगले 10 से 25 वर्षो तक हम इस दिशा में लगातार अच्छे प्रयत्न करें।



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