बाधा नहीं स्त्री

Last Updated 03 Sep 2019 06:02:44 AM IST

तुम मुझसे पूछ रहे हो कि संतों ने कहा है कि स्त्री बाधा है। जिस किसी ने भी ऐसा कहा है..उसके लिए स्त्री बाधा रही होगी, यह बात तो सुनिश्चित है।


आचार्य रजनीश ओशो

गारंटी से कहा जा सकता है; कि वह यौन दमन से पीड़ित रहा होगा। अब वह इसको एक सामान्य सिद्धांत बनाने का प्रयत्न कर रहा है। उसका अपना दमन एक रोग है और वह समस्त मनुष्य-जाति के लिए एक सिद्धांत निर्मिंत कर रहा है कि स्त्रियां बाधा हैं। वे बाधा नहीं हैं। मैं  एक संत को जानता था जो हमेशा स्त्रियों के विरु द्ध बोलते थे। मैंने उनसे पूछा: ‘यदि स्त्रियां पुरुषों के लिए बाधा हैं, तब तो स्वर्ग जाने के लिए स्त्रियों की स्थिति कहीं बेहतर है, क्योंकि उन्हें तो कोई बाधा नहीं पहुंचा रहा।

पुरुष तो स्त्रियों के लिए बाधा नहीं हैं; किसी संत ने ऐसा नहीं कहा है, कोई भी धर्मग्रंथ ऐसा नहीं कहता।’ इसलिए लगता है कि स्त्रियां तो सभी स्वर्ग पहुंच गई हैं, और पुरु ष नरक में कष्ट भोग रहे हैं-स्वाभाविक ही है, क्योंकि यदि कोई बाधा है ही नहीं तो स्त्रियां जाएगी कहां?

उनके लिए भी तो कोई स्थान बनाना ही होगा। और सब पुरु षों ने कष्ट झेले हैं, बुरी तरह से कष्ट झेले हैं-लेकिन अपने कष्टों के लिए वे ही उत्तरदायी थे, क्योंकि वे ही तो भाग गए थे। और जब कभी भी तुम किसी से भागते हो, वह तुम्हारा पीछा करती है। वह तुम्हारी कल्पना बन जाती है, वह तुम्हारे स्वप्नों में आती है। उन्होंने अपनी समस्या का तो समाधान किया नहीं, वे कायर लोग थे। मेरे लोग किसी से भाग नहीं रहे हैं। जीवन समस्याओं को हल करने के लिए सुंदर प्रयोग है। जितनी अधिक समस्याओं का समाधान तुम जीवन में करते हो, उतने ही अधिक बुद्धिमान तुम होते जाते हो। जीवन से भागना, जीवन से पलायान कोई उपाय नहीं है।

स्त्री तुम्हारी समस्या है तो कारण पता करो कि क्यों? शायद तुम ही कारण हो। शायद तुम स्त्री पर शासन करना चाहते हो। और स्वभावत: यदि पति स्त्री पर शासन करना चाहे, स्त्री अपने ही ढंगों से प्रतिक्रिया करती है: वह पति पर शासन करने का प्रयास करने लग जाती है। उसकी विधियां भिन्न हैं। पुरु ष उत्तरदायी हैं स्त्रियों को अज्ञानी, अशिक्षित, असंस्कृत बनाए रखने के लिए। स्त्रियों को घर में लगभग कैदी जैसी बनाए रखने के लिए। फिर अगर वे प्रतिक्रिया करती हैं तो कौन जिम्मेवार है? तुमने उनकी सारी स्वतंत्रता, सारी आत्मनिर्भरता ले ली है। शैक्षणिक तौर पर तुमने उन्हें पूरी तरह से वंचित कर रखा है। प्रतिस्पर्धा के संसार में पुरु ष के साथ वे लड़ नहीं सकतीं। उन्हें कोई विशेषाधिकार नहीं है।



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