सत्य
कबीर एक बुनकर थे-वे एक महान दिव्यदर्शी कवि थे जो आज भी अपनी कविताओं के माध्यम से हमारे बीच जीवित हैं।
![]() जग्गी वासुदेव |
उन्होंने जो काव्य लिखा था, गाया था, वह उनके जीवन का एक बहुत छोटा सा भाग है। अधिकतर समय वे कपड़ा बुनने का काम करते थे। चूंकि आज हमारे पास केवल उनका काव्य है तो लोगों को लगता है कि उन्होंने बस यही काम किया। नहीं, उनका जीवन तो कपड़ा बुनने में लगा था, काव्य करने में नहीं।
उनका बुना हुआ कपड़ा आज नहीं है पर उनकी कही हुई कविताएं आज भी जीवित हैं। मुझे नहीं मालूम कि कितनी खो गई है पर जो बची है वे फिर भी अविसनीय हैं। वे अद्भुत मनुष्य थे पर उनके काव्य के अतिरिक्त हम उनके बारे में कुछ नहीं जानते। स्पष्ट है कि वे अत्यंत गहन अनुभव रखने वाले व्यक्ति थे, इसके बारे में कोई प्रश्न ही नहीं है। लेकिन उनका पूरा जीवन, उनकी मृत्यु और उसके बाद भी, उनकी दिव्यद
र्शिता, ज्ञान अथवा स्पष्टता की एक नई दूरदृष्टि जो वे लोगों को देना चाहते थे, उसको लोगों ने महत्त्व नहीं दिया। वे सब बस इसी विवाद में उलझे रहे कि कबीर हिंदू थे या मुस्लिम? लोगों के सामने बस यही मुख्य प्रश्न था। अगर आप को ये मालूम नहीं है तो मैं आप के सामने एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण जानकारी रख रहा हूं: कोई भी इंसान, एक हिंदू या मुस्लिम, या जो ऐसे और भी बेकार के झंझट है, उनमें से किसी रूप में पैदा नहीं होता। ऐसे ही, कोई भी हिंदू या मुस्लिम या ऐसा ही कुछ और हो कर नहीं मरता। मगर जब तक हम यहां पर हैं, तब तक एक बड़ा सामाजिक नाटक चलता रहता है। ये सब कुछ जो आप ने बनाया है-आप के विचार कि आप कौन हैं, आप कौन सा धर्म मानते हैं, कौन सी चीज आप की है, कौन सी चीज आप की नहीं है?-ये सब असत्य है।
जो सत्य है वह बस है, आप को उसके बारे में कुछ नहीं करना। इस सत्य की वजह से ही हम हैं। सत्य वह नहीं है जो आप बोलते हैं। सत्य का अर्थ है वे मूल नियम जो जीवन को बनाते हैं और जिनसे सब कुछ होता है। आप अगर कुछ कर सकते हैं तो बस ये चुन सकते हैं, कि आप सत्य के साथ लय में हैं या आप सत्य के साथ लय में नहीं हैं। आप को सत्य की खोज नहीं करनी है, सत्य का कोई अध्ययन भी नहीं करना है।
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