चेतना में निवेश
यदि कुछ भी करना है तो उसके लिए मानवीय ऊर्जा, समय व साधनों की कुछ मात्रा समर्पित करनी पड़ती है। इसलिए हमें चेतना में निवेश करना चाहिए।
जग्गी वासुदेव |
अब तक हम सिर्फ जीवित रहने के लिए प्रयास करते रहे हैं। लेकिन जब तकनीकें यथार्थ बन जाएंगीं, तब अपना अस्तित्व बनाए रखना कोई मुद्दा ही नहीं रहेगा। जब अस्तित्व कोई मुद्दा ही नहीं होगा तो हम जरूर ही चेतना में निवेश करना शुरू करेंगे। लेकिन जितना जल्दी हम यह शुरू करेंगे, उतना ही उन नई संभावनाओं की ओर आगे बढ़ने पर समस्याएं कम होंगीं, जो तकनीकों द्वारा प्रदान की जाएंगी। क्या आप की पहचान और आप के अनुभव आपको दूसरों से अलग रखते हैं, या आप की पहचान और आप के अनुभव दूसरों को आपमें शामिल करते हैं-इसी से ये तय होगा कि तलवार किस तरफ से वार करेगी। तकनीक हमेशा दुधारी तलवार होती है-यह दोनों तरफ से काट सकती है। आप किस तरफ इसका इस्तेमाल करेंगे यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कौन हैं? क्या आप की पहचान और आप के अनुभव आपको दूसरों से अलग रखते हैं, या आप की पहचान और आप के अनुभव दूसरों को आपमें शामिल करते हैं-इसी से ये तय होगा कि तलवार किस तरफ से वार करेगी। तो फिर हमें क्या करना चाहिए, जिससे मानव समाज में चेतना बड़े स्तर पर प्रकट हो? प्रत्येक पीढ़ी में अत्यंत जागरूक मनुष्य होते रहे हैं, लेकिन कुछ पीढ़ियों और कुछ समाज में उनकी बातें सुनी गई हैं, जबकि अन्य कुछ समाज में उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया गया।
तो अब समय आ गया है कि हम उन आवाजों को ध्यान से सुनें जो एक आयामहीन, सीमारहित जागरूकता की बातें करती हैं, और वे तरीके सभी तक पहुंचाएं जिनसे हम जान सकें कि हम जागरूक कैसे हों? जैसे हमारे आस-पास के भौतिक वातावरण में खुशहाली लाने के लिए तकनीकें हैं, वैसे ही हमारे अंदर भी खुशहाली लाने के लिए विज्ञान और तकनीकें हैं। लेकिन तकनीकें चाहे जितनी भी हों यदि आप यह नहीं जानते कि आप कैसे रहें, तो आप ठीक नहीं हो सकते। मानव सभ्यता के इतिहास में पिछली किसी भी पीढ़ी की तुलना में हमारे पास ज्यादा आराम और सुविधाएं हैं, पर क्या हम ये दावा कर सकते हैं कि हम सबसे ज्यादा खुश और सबसे ज्यादा अद्भुत पीढ़ी हैं?
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