बुद्धिमान

Last Updated 17 Apr 2019 06:02:49 AM IST

स्मार्ट होना और बुद्धिमान होना, ये दो अलग अलग बातें हैं। 25 साल पहले, किसी के बारे में बात करते हुए, हम उसे बुद्धिमान कहते थे।


जग्गी वासुदेव

लेकिन आजकल, अलग शब्दों का प्रयोग होता है। आजकल कोई परवाह नहीं करता कि आप बुद्धिमान हैं या नहीं। उनको एक ही फिक्र होती है कि क्या आप स्मार्ट हैं? अगर आप स्मार्ट हैं तो आप दुनिया में अपना काम निकाल सकते हैं- आज की अर्थव्यवस्था में आप पार लग जाएंगे अगर यहां आप हैं और मैं हूं तो मेरा आप से ज्यादा स्मार्ट होना अच्छा हो सकता है लेकिन यदि यहां पर सिर्फ  मैं और मैं ही हूं तो मेरा अपने आप से ज्यादा स्मार्ट होना बेवकूफी ही है। लेकिन बुद्धि का स्वभाव अलग है। बुद्धि हमेशा आपको कोई दौड़ जीतने के लिये तैयार नहीं करती। वास्तव में आप दूसरे से धीमें हो सकते हैं क्योंकि उन लोगों की अपेक्षा आप कहीं ज्यादा चीजें देख सकते हैं। जो लोग स्मार्ट हैं और सिर्फ  इस कोशिश में हैं कि अपने जीवन का कोई छोटा उद्देश्य पूरा कर लें, हो सकता है वे वहां ज्यादा तेजी से पहुंच जाएं- और हो सकता है लोग उनके लिये तालियां भी बजायें। लेकिन आपकी बुद्धि इतनी सारी चीजें ग्रहण कर रही होंगी, कि वो आपको एक कदम भी उठाने नहीं देगी। अगर आप स्मार्ट हैं तो इसका मतलब ये होगा कि आपने अपने लाभ के लिए परिस्थितियों को किसी तरह संगठित कर लिया है।

अलग-अलग तरह के लोगों को इस आधार पर स्मार्ट समझा जाता है कि आप किस तरह के समाज में हैं, समय कैसा है, परिस्थिति कैसी है और आप किस तरह के लोगों के बीच में हैं! आज, वे लोग जो कुछ संकोच में होते हैं, वे आम तौर पर बेवकूफ माने जाते हैं। बिना किसी संकोच वाले लोग स्मार्ट कहलाते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि कुछ खास परिस्थितियों का लाभ कैसे लिया जाए! सृष्टि को समझना एक बात होती है, पर सृष्टि के मूलतत्व को समझना बिलकुल ही अलग चीज है, इसमें आप का स्मार्ट होना बिलकुल भी काम नहीं करेगा। आप इस तरह दुनिया को सम्भाल सकते हैं। लेकिन बात जब आप के आंतरिक स्वभाव की आती है तो ये आप को कहीं नहीं ले जायेगा, क्योंकि सृष्टि को समझना एक बात होती है, पर सृष्टि के मूलतत्व को समझना बिलकुल ही अलग चीज है, इसमें आप का स्मार्ट होना बिलकुल भी काम नहीं करेगा।



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