तकनीक
जब आप टेक्नोलॉजी की बात करते हैं तो मैं चाहता हूं कि पहले आप इसे समझें. देखिए, जैसे सुपर कंप्यूटर एक टेक्नोलॉजी है, इसी तरह से बैलगाड़ी भी. घर में बिजली से चलने वाला ‘वेजिटेबल चॉपर’ हो या हाथ से काटने वाला चाकू. दोनों ही टेक्नोलॉजी हैं.
धर्माचार्य जग्गी वासुदेव |
आप पूछ रहे हैं कि क्या हल्के दर्जे की टेक्नोलॉजी, ऊंचे दर्जे की टेक्नोलॉजी से बेहतर है? मुझे ऐसा नहीं लगता. आपको जिसने भी यह विचार दिया है कि टेक्नोलॉजी के अभाव से लोग खुश हैं, सही नहीं है. बात सिर्फ इतनी है कि टेक्नोलॉजी के चलते हर चीज थोड़ी हाइपर हो जाती है, कम से कम कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के साथ तो ऐसा ही होता है.
दूरदराज में कोई बुरी तरह बीमार है, तो आपको पता ही नहीं चलेगा क्योंकि वहां कोई आपको यह बताने वाला नहीं है. लेकिन जहां भारी-भरकम टेक्नोलॉजी मौजूद है, वहां किसी के साथ जो कुछ भी होता है, तो पूरी दुनिया जान जाती है. हजार साल पहले मुंबई में एक हजार लोग मर जाते, तब भी हम यहां बैठकर आसमान और पर्वतों को निहारते हुए कहते,‘वाकई कितनी शांतिमय दुनिया है?’
आज मुंबई में कोई मर जाए तो उसका खून पूरी दुनिया में सभी घरों के ड्राइंगरूम में फैल जाएगा. तो हम जानते हैं कि कहां क्या हो रहा है. यहां तक कि आपके बेडरूम में भी टीवी है. शुक्र है कि आपने बाथरूम को छोड़ दिया है. उसे अलग ही रखिए, कम से कम वह एक शांतिमय जगह बची है, जहां लोग गाना गाते हैं, खुश रहते हैं. तो टेक्नोलॉजी तो मौजूद है, लेकिन इसका कैसे इस्तेमाल करना है, आपके विवेक पर निर्भर है.
टेक्नोलॉजी ने कभी नहीं कहा कि विवेक का इस्तेमाल मत कीजिए. जब तक आप नहीं समझेंगे कि किस चीज का कितना इस्तेमाल किया जाए, तब तक हर चीज आपके लिए समस्या होगी. टेक्नोलॉजी की कमी समस्या है तो टेक्नोलॉजी भी अपने आप में एक समस्या है.
आजकल लोग कह रहे हैं कि ऐसी बहुत-सी बीमारियां हैं, जो अमीरी के चलते आई हैं, तो ऐसे में क्या आप गरीबी की वकालत कर रहे हैं? अमीर इन बीमारियों से जूझ रहे हैं, इसलिए अच्छा होगा कि दुनिया को गरीब रखा जाए. यह तो बहुत ही बचकाना हल हुआ, बल्कि कोई हल हुआ ही नहीं.
हमने उन हालात से बाहर निकलने की कोशिश की. उस समय हमारे लिए समाधान के तौर पर जो सामने आया, आज हम लोग उससे भी समस्याएं पैदा कर रहे हैं.
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