सूचना
जिसे आप जानकारी कहते हैं, वह सूचनाओं का एक ढेर है, जिसे आपने इकट्ठा किया है.
धर्माचार्या जग्गी वासुदेव |
चाहे आपको भोजन पकाना हो, कार या कंप्यूटर बनाना हो, इमारतें बनानी हों, यह इकट्ठी की गई जानकारी उसके लिए महत्त्वपूर्ण है. एक मूर्ख ही हजार साल पहले ईजाद की गई चीजों का फिर से ईजाद करेगा. बुद्धिमान व्यक्ति पहले ईजाद की जा चुकी चीजों को इस्तेमाल करेगा और भविष्य के लिए कुछ और बनाएगा. एक दिन एक यूनिर्वसटिी का एक युवा छात्र सोडा की बोतल और पॉपकॉर्न हाथ में लेकर एक फुटबॉल मैच देखने गया.
वहां एक बुजुर्ग बैठे हुए थे. वह जाकर उनके बगल में बैठ गया और बोला, ‘आप बूढ़े लोगों की पीढ़ी पता नहीं कैसे रहती थी! आज हमारे पास कम्पयूटर जैसी आधुनिक तकनीक है. आप लोग वाकई कुछ नहीं जानते. आप लोग वाकई बहुत आदिम जीवन जी रहे थे. इसलिए आप लोग हमारी अल्ट्रा मॉडर्न पीढ़ी को समझ नहीं सकते. आप लोग असभ्य हैं, क्योंकि जब आप बड़े हो रहे थे, तो आपके पास ये चीजें नहीं थीं.’ बुजुर्ग ने यह सब सुना और खास तौर पर जोर से बोले ताकि आस-पास बैठे लोग भी सुन लें, ‘हां, बेटा, जब हम बड़े हो रहे थे, तो हमारे पास ये चीजें नहीं थीं.
इसलिए हमने इनका आविष्कार किया. मूर्ख युवक, अब तुम बताओ, तुम अगली पीढ़ी के लिए क्या कर रहे हो?’ जो चीज बहुत समय पहले हम बना चुके हैं और जानते हैं, उस जानकारी को आप इकट्ठा करके रखते हैं ताकि आपको रोज-रोज पहले से ईजाद की गई चीजों का आविष्कार फिर से न करना पड़े. आपको मूर्ख बनने की जरूरत नहीं है. तो, ज्ञान उपयोगी है या नहीं, यह आप खुद तय कीजिए. लेकिन जब मैं ‘जीवन के ज्ञान’ के बारे में कहता हूं, तो मेरा मतलब इस जीवन से है, जो आप हैं.
आप इस जीवन के बारे में ज्ञान इकट्ठा नहीं कर सकते क्योंकि संचित ज्ञान से अगर आप जीवन के बारे में कोई नतीजा निकाल लेते हैं तो वह पूर्वग्रह बन जाएगा. यह आपको किसी चीज का अनुभव नहीं करने देगा. एक बार आपको किसी चीज की जानकारी हो जाए, तो आप उसे नए तरीके से अनुभव नहीं कर सकते. यह पहले ही एक पूर्वग्रह युक्त निष्कर्ष है. कुछ भी भौतिक करने के लिए आपको जानकारी की जरूरत पड़ती है, मगर जीवन को चलाने के लिए आपको ज्ञान की नहीं, स्पष्टता की जरूरत है.
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