ईश-विश्वास
ईश्वर विश्वास एक ऐसी चीज है कि जिससे जीवन दर्शन को उच्चस्तरीय प्रेरणा मिलती है. संसार के सभी प्राणी ईश्वर के पुत्र हैं.
श्रीराम शर्मा आचार्य |
कोई न्यायप्रिय, निष्पक्ष पिता अपनी सभी संतानों को लगभग समान अनुदान देने का प्रयत्न करता है.
ईश्वर ने अन्य प्राणियों को मात्र शरीर निर्वाह जितनी बुद्धि और सुविधा दी तथा मनुष्य को बोलने, सोचने, पढ़ने, कमाने, बनाने आदि की अनेकों विभूतियां दी हैं. अन्य प्राणियों की और मनुष्यों की स्थिति की तुलना करने पर जमीन-आसमान जैसा अंतर दिखाई पड़ता है. जब सामान्य प्राणी अपनी संतान को समान स्नेह-सहयोग देते हैं, तो ईश्वर ने इतना अंतर किसलिए रखा?
इसे समझने में प्रत्येक विवेक संपन्न व्यक्ति को भारी उलझन का सामना करना पड़ता है. तत्वदर्शी विवेक बुद्धि इस विभेद के अंतर का कारण भली प्रकार स्पष्ट कर देती है. मनुष्य को अपने वरिष्ठ सहकारी जेष्ठ पुत्र के रूप में सृजा गया है. उसके कंधों पर सृष्टि को अधिक सुंदर, समुन्नत और सुसंस्कृत बनाने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है. इसके लिए उसे विशिष्ट साधन उसी प्रयोजन के लिए अमानत के रूप में दिए गए हैं.
अपनी विशेषताओं का उपयोग इसी महान प्रयोजन के लिए करना चाहिए. जीवन दशर्न की यह उत्कृष्ट प्रेरणा ईश्वर विश्वास के आधार पर ही मिलती है. जीवन क्या है, क्यों है, उसका लक्ष्य एवं उपयोग क्या है? इन प्रश्नों का समाधान मात्र आश्वस्तिकता के साथ जुड़ी हुई दिव्य दूरदर्शिता के आधार पर ही मिलता है. आश्वस्तिकता का सही स्वरूप समझा जा सके और जीवन-दर्शन के साथ उसे ठीक प्रकार जोड़ा जा सके तो निश्चय ही मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण संभव हो सकता है.
यही तो ईश्वर द्वारा मनुष्य सृजन का एकमात्र उद्देश्य है. सभी प्राणी एक पिता के पुत्र होने के नाते सहोदर भाई हैं. एक दूसरे का स्नेह, सहयोग पाने के अधिकारी हैं. आश्वस्तिकता यही मान्यता अपनाने के लिए प्रत्येक विचारशील को प्रेरणा देती है. इसका अनुकरण करके प्राणिमात्र के बीच आत्मीयता की भावना विकसित होती है, एक दूसरे के दुख-दर्द को अपना समझने की आकांक्षा प्रबल हो सकती है.
विश्व कल्याण की दृष्टि से इस प्रकार की भावनात्मक स्थापनाएं अतीव श्रेयस्कर परिणाम प्रस्तुत कर सकती हैं. कहना न होगा कि यह दृष्टिकोण हर दृष्टि से-हर क्षेत्र से उज्ज्वल भविष्य की भूमिका प्रस्तुत कर सकने वाला सिद्ध हो सकता है.
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