केमिकल रिसाव : कहीं भोपाल न घट जाए

Last Updated 09 May 2017 05:54:47 AM IST

दिल्ली में बायोकेमिकल के रिसाव ने एक बार फिर सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.


केमिकल रिसाव : कहीं भोपाल न घट जाए

तुगलकाबाद कंटेनर डिपो में अफसरों की मिलीभगत से माफिया तंत्र हावी है, और एक बिल्टी पर कई कंटेनर पास कर दिए जाते हैं. कंटेनर पर खतरनाक केमिकल का लेवल भी चस्पा नहीं किया जाता. तुगलकाबाद स्थित जिस कंटेनर डिपो से खतरनाक केमिकल का रिसाव हुआ है, उसे हटाने के लिए एनजीटी में एक याचिका दर्ज है. प्लांट हटाने के संबंध में केंद्र सरकार व राज्य सरकार को नोटिस भी किया गया था. चूंकि यह प्लांट केंद्र सरकार का उपक्रम है, इसलिए सुनवाई भी कछुए की भांति चल रही है.

इसे लापरवाही कह लें या हिमाकत! पर सरकारी स्कूल में खतरनाक केमिकल के रिसाव से भयानक हादसा होते-होते बचा. खतरनाक कीटनाशक केमिकल के रिसाव से फैले विषैले धुएं ने पास के दो राजकीय बालिका स्कूलों को चपेट में ले लिया. इसमें करीब पांच से ज्यादा स्कूली बच्चियां चपेट में आ गई. अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया. बच्चों की चीखें दूर-दूर तक सुनाई देने लगीं. बच्चे चक्कर खाकर गिरने लगे, उल्टियां करने लगे. उन्हें सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन होने लगी.

घटना की सूचना पूरी दिल्ली में आग की तरह फैल गई. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी घटना स्थल पर पहुंच गए. पुलिस, प्रशासन, नेता, मंत्री, सुरक्षा की तमाम एजेंसियां, आपदा प्रबंधन की टीमें आदि तुरंत मौके पर पहुंच गई. स्थिति को तुरंत नियंत्रण में ले लिया. खैर, गनीमत रही कि समय रहते बच्चों को विभिन्न अस्पतालों में पहुंचा दिया गया और उच्चस्तरीय इलाज मिल गया. भीड़भाड़ वाले इलाके में इतने खतरनाक उपक्रम का होना सीधे-सीधे बड़ी घटना को दावत देने जैसा है. लगता है कि लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने का सर्टिफिकेट इस कंटेनर का दे दिया गया हो.

सवाल उठता है कि यह हादसा किसकी लापरवाही से हुआ? शुरुआती जांच में पता चला है कि केमिकल चीन में निर्मित हुआ था. इसे हरियाणा के सोनीपत की एक कंपनी ने मंगाया था. तुगलकाबाद डिपो में आने वाला माल दिल्ली और आसपास के अन्य राज्यों में भेजा जाता है. हवा में गैस लीकेज का अहसास कंटेनर डिपो की दिशा से स्कूल के बच्चे व टीचर्स लगातार महसूस कर रहे थे. तब तक किसी को अंदाजा नहीं था कि गैस कुछ ही देर में इतना विकराल रूप धारण कर लेगी. दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के तुगलकाबाद क्षेत्र में इन दो स्कूलों के निकट रासायनिक रिसाव की वजह से विषैला धुआं निकलने के बाद कम से कम 460 छात्राएं प्रभावित रहीं.

कुछ छात्राएं आईसीयू में हैं और बाकी को छुट्टी दे दी गई है. लेकिन घटना सोचने पर मजबूर करती है. आखिर, इतनी लापरवाही क्यों? गौरतलब है कि इस कंटेनर को हटाने के लिए काफी समय से मांग उठ रही है. यहां आसपास रिहायशी इलाका है, और कई स्कूल भी संचालित हैं. रोजाना करीब दो हजार कंटेनर हैंडल करने वाले इस आईसीडी में प्रतिदिन सात हजार ट्रकों की आवाजाही होती है. इसके चलते साउथ दिल्ली में वायु प्रदूषण की शिकायतें आती रही हैं. लेकिन अब गैर सरकारी संगठनों और ग्रीन कोर्ट को गैस लीक जैसे बड़े खतरे का आधार मिल गया है.

गत साल एनजीटी में डिपो के खिलाफ एक गैर- सरकारी संगठन की ओर से याचिका भी दाखिल की गई थी. उस पर एनजीटी ने पिछले अक्टूबर माह में केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार से डिपो के संबंध में जवाब-तलब किया था. एनजीटी ने विकल्प के तौर पर दूसरे किसी जगह पर प्लांट लगाने का सुझाव दिया था, जिसका जवाब दिल्ली सरकार आज तक नहीं दे सकी. स्कूल परिसर से बिल्कुल सटे इस उपक्रम से लगातार खतरा बना रहता है. पहले भी कई बार बच्चों ने सांस फूलने की शिकायतें की थीं. जब भी तेज हवा चलती है, तो इलाके में बदबू फैल जाती है. इलाके के कई लोग इस दुर्गध के चलते दमे की बीमार से ग्रसित हो गए हैं.

स्थानीय लोगों ने पुलिस में कई बार शिकायतें भी कीं पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई. तुगलकाबाद के अलावा पटपड़गंज, लोनी, दादरी, गढ़ी, हरसरू, पाटली और फरीदाबाद में भी आईसीडी के प्लांट हैं. ये सभी प्लांट शिक्षण संस्थानों और रहने वाले इलाकों से दूर हैं, जिससे ज्यादा खतरा नहीं रहता है. पर सबसे ज्यादा कागरे हैंडलिंग तुगलकाबाद के इसी प्लांट से होती है. इस लिहाज से यहां खतरा हर वक्त मंडराता रहता है. इस घटना से दिल्ली सरकार को सीख लेनी चाहिए और प्लांट को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाना चाहिए.

रमेश ठाकुर
लेखक


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