धैर्य
जो लोग भी क्रोध करते हैं, वे सिर्फ सच्चाई को ही आधार मान कर क्रोधित होते हैं. लेकिन सच्चाई की कल्पना करना काफी सीमित है.
![]() श्री श्री रविशंकर |
इस दुनिया में सभी प्रकार की चीजें होती हैं और आपको सिर्फ धैर्य रखने की आवश्यकता है. जो की अमूमन हम सभी में कम देखने को मिलती हैं.
सच्चाई की कामना करना और यह कहते रहना कि ‘मुझे सच्चा रहना है और मैं चाहता हूं कि सभी अभी ही सच्चे बन जाएं’, यह संभव नहीं है. यह कोरी कल्पना करने जैसा है. सब सच्चे और अच्छे रहें, यह कामना करना ठीक है, लेकिन आपको लोगों को लंबा समय देना चाहिये. धैर्य के साथ सच्चाई की कामना करे फिर क्रोध हावी नहीं होगा.
इससे हम तत्काल की प्रतिक्रिया से बच सकते हैं. अन्यथा जब आप कहते हैं, ‘मैं सच्चा हूं’, और फिर जब यह मांग करते हैं, ‘मुझे यह चाहिये’- फिर क्रोध आता है, और जब क्रोध आता है फिर आप अपनी सच्चाई और अच्छाई को स्वयं ही गंवा देते हैं. सही होते हुए भी गलत हो जाते हैं.
जब आप क्रोधित होते हैं, तो यह उतना ही बुरा है, जैसे कोई व्यक्ति बुरा कर रहा हो. यदि किसी ने यह स्थान को साफ नहीं किया और यहां सिर्फ गंदगी है. आप यहां पर आते हैं और क्रोधित हो जाते हैं. उस व्यक्ति ने एक गलती करी है, उसने सफाई नहीं करी क्या यह ठीक है?
लेकिन उस पर आपका परेशान होना और चिल्लाना एक दूसरी गलती है. यह समझदारी नहीं है. दो गलतियां एक गलती को ठीक नहीं कर सकतीं, ब्लकि यह समस्या को सुलझाने के बजाय बढ़ाने का कारण बनेंगी.
यदि किसी ने कोई गलती करी है तो उसे धैर्य के साथ दो तीन बार समझायें और शिक्षित करें. शिक्षक होने के लिये आपमें बहुत धैर्य होना चाहिए. स्कूल के शिक्षकों के सामने यह एक चुनौती है. वे बच्चों को वहीं बात 10 बार बताते हैं, लेकिन बच्चे फिर भी नहीं सुनते. बच्चों में ध्यान की कमी का सिंड्रोम होता है.
बच्चे उस पर ध्यान नहीं देते. इसलिये धैर्य की आवश्यकता होती है. धैर्य एक गुण या खूबी होती है. वह 6 संपत्तियों में से एक है. शम (मन की शांति), दम (आत्मसंयम या स्वयं पर नियंत्रण), उपरति (सांसारिक सुखों और वस्तुओं से दूरी), तितिक्षा (धैर्य की शक्ति या सहनशीलता), श्रद्धा (विश्वास) और समाधान (आत्म संतुलन या मन का केंद्रित होना). समाधान, संतोष और धैर्य पाने के लिये होता है. यह अत्यंत आवश्यक है.
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