इस बार नाग पंचमी सोमवार को पड़ रही है और सोमवार भगवान शिव को समर्पित है।
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इस बार सावन का महीना एक की बजाय दो महीने का मनाया जा रहा है। अधिक मास के चलते सावन में चार के बजाय 8 सोमवार पड़ रहें हैं।और आज 21 अगस्त को सावन के सातवें सोमवार का व्रत और पूजा की जा रही है। लेकिन आज सोमवार के साथ-साथ नाग पंचमी भी है। इस शुभ अवसर पर भक्त भगवान शंकर के साथ नाग देवता को भी प्रसन्न कर सकेंगे।
नागपंचमी पर भगवान शंकर की पूजा करने और नागों को दूध पिलाने से आपके सभी कार्य सफलता पूर्वक पूर्ण होंगे।
आज के भौतिक युग में कोई माने या ना माने परंतु धर्म ग्रंथों पुराणों और वेदों में नागों की पूजा का उल्लेख मिलता है। नाग पंचमी का त्योहार इस का प्रत्यक्ष प्रमाण है। ज्योतिष् शास्त्र के अनुसार श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी कहते है।
श्रावण मास भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय है और पंचमी तिथि का स्वामी नाग देवता है। इस बार नाग पंचमी सोमवार को पड़ रही है ओर सोमवार भगवान शिव को समर्पित है।
सर्प पूजन की परंपरा का प्रारंभ सृष्टि के प्रारंभ से जुड़ा है। वाराह पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने शेष नाग को आज ही के शुभ दिन प्रसाद से विभूषित किया था और शेष नाग ने पृथ्वी माता को अपने फन पर धारण किया। तभी से नागों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक बन गया और जन साधारण के द्वारा नागों का पूजन किया जाने लगा।
लोक रक्षक भगवान विष्णु भी इन्हे श्य्या बना कर उस पर विराज रहे है।
अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन के समय भी रस्सी की जगह काम आने वाले वासुकी नाम के नागराज ने अपना शरीर लोक जान कल्याणार्थ स्मर्पित कर दिया था।
देव माता अदिति की सग़ी बहन कद्रू के पुत्र होने के कारण नाग देवतायों के छोटे भाई भी है। और जिन नागों को माला के रूप में धारण कर भगवान भोले नाथ नागेंद्रहार कहलाए। वेदों में तो अनेक मंत्रों में नागों की स्तुति की गई है जैसे
नमोस्तु सर्पेभ्यो जे के च पृथ्वी मनु जेअन्तरिक्षे जे दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नमः
इन वेद मंत्रो के द्वारा नागों की पूजा और स्तुति का विधान मिलता है।
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