Chaitra Navratri 2023 Day 2: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की करें पूजा
मां दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहां ‘ब्रह्म' शब्द का अर्थ तपस्या है।
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ब्रह्मचारिणी अर्थात तप की चारिणी–तप का आचरण करने वाली।
कहा भी है–वेदस्तत्वं तपो ब्रह्म–वेद‚ तत्व और तप ‘ब्रह्म' शब्द के अर्थ हैं। ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बायें हाथ में कमण्डल रहता है।
अपने पूर्व जन्म में जब ये हिमालय के घर पुत्री–रूप में उत्पन्न हुई थीं तब नारद के उपदेश से इन्होंने भगवान शंकर जी को पति–रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यन्त कठिन तपस्या की थी। इसी दुष्कर तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। मां दुर्गा जी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्त फल देने वाला है।
इसकी उपासना से मनुष्य में तप‚ त्याग‚ वैराग्य‚ सदाचार‚ संयम की वृद्धि होती है।
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