जानें, माघी पूर्णिमा को संगम स्नान का क्‍या है विशेष महत्व

Last Updated 19 Feb 2019 11:54:24 AM IST

हिंदू धर्म में माघी पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है। शास्त्रों में माघ स्नान और व्रत की महिमा बतायी गई है। इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करके पूजा पाठ और दान करते हैं।


जानें, माघी पूर्णिमा का क्‍या है विशेष महत्व (फाइल फोटो)

दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक  समागम कुंभ के पांचवें माघी पूर्णिमा का संगम स्नान उत्तम और सुखदायी माना गया है।

इस बार माघी पूर्णिमा पर अर्ध्य कुम्भ का संयोग भी बना है। मघा नक्षत्र में माघ पूर्णिमा आई है। मान्यता है कि इस दौरान गंगा स्नान करने  से इसी जन्म में मुक्ति की प्राप्ति होती है। यदि गंगा नदी में स्नान संभव  न/न हो सके तो जल में गंगा जल डालकर स्नान करना भी फलदायी होता है।

मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर स्नान करने वाले लोगों पर भगवान  विष्णु की विशेष कृपा होती है और व्यक्ति को धन-धान्य, सुख-समृद्धि और  संतान के साथ मुक्ति का आर्शिवाद प्रदान करते हैं। माघ मास में पवित्र  नदियों में स्नान करने से एक विशेष ऊर्जा प्राप्त होती है वहीं शास्त्रों और पुराणों में वर्णित है कि इस मास में पूजन-अर्चन एवं स्नान करने से भगवान नारायण को प्राप्त किया जा सकता है।

देवरहवा बाबा सेवाश्रम पीठ के आचार्य रमेश प्रपन्नाचार्य  शास्त्री ने पद्मपुराण का हवाला देते हुए बताया कि जब कर्क राशि में  चंद्रमा, मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होता है तब माघ पूर्णिमा का पवित्र योग बनता है। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व  है। इस दिन को पुण्य योग भी कहा जाता है। माघ पूर्णिमा में दान-धर्म, जप,  स्नान का भी बड़ा महत्व है। इस स्नान के करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त  दोषों से मुक्ति मिलती है।

शास्त्री ने बताया कि ब्रमवैवर्त पुराण में कहा गया है कि माघी पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन भैरव जयंती भी मनाई जाती है। माघ मास स्वयं भगवान विष्णु का स्वरूप बताया गया है। पूरे महीने स्नान-दान नहीं करने की स्थिति में केवल माघी पूर्णिमा के दिन तीर्थ में स्नान किया जाए तो संपूर्ण माघ मास के स्नान का पूरा फल मिलता है

शास्त्री ने बताया कि अन्य महीनों में जप, तप और दान से भगवान  विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने कि वे माघ मास में स्नान करने से होते  हैं। माघ मास स्नान के आलावा दान का विशेष महत्व है। स्नान के बाद अनाज,  वस्त्र, फल, बर्तन, घी, गुड़, जल से भरा घड़ा दान करना चाहिए। दान में तिल, गुड़ और कंबल का विशेष पुण्य है। ऐसा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलेगी।  शास्त्रों के अनुसार माघी पूर्णिमा के दिन अन्न दान और वस्त्रदान का बड़ा  ही महत्व है। पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।



प्रपन्नाचार्य ने बताया कि महाभारत में एक जगह इस बात का उल्लेख  करते हुए कहा गया है कि इन दिनों में अनेक तीर्थ का समागम होता है। वहीं पद्मपुराण में कहा गया है कि अन्य मास में जप, तप और दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने कि वे माघ मास में स्नान करने से होते हैं।
    
उन्होंने बताया कि साल में शरद पूर्णिमा समेत अन्य कई पूर्णिमा पड़ती  है लेकिन इन सभी में माघी पूर्णिमा का विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग में  माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है और इस दिन गंगा स्नान और दान करने से व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं। पौराणिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के अवसर पर भगवान विष्णु पृथ्वी पर आकर गंगा के जल में स्नान करते हैं। गंगा में किसी भी दिन और किसी भी तिथि पर स्नान करना अति उत्तम और सुखदायी माना  गया है लेकिन माघ पूर्णिमा पर जब भगवान विष्णु स्वयं गंगा में स्नान करते  हैं, तब इस दिन का महत्व अधिक बढ़ जाता है।



प्रपन्नाचार्य ने बताया कि निर्णय सिंधु में कहा गया है कि माघ मास के दौरान मनुष्य को कम से कम एक बार पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।  भले पूरे माह स्नान के योग न बन सकें लेकिन माघ पूर्णिमा के स्नान से स्वर्गलोक का उत्तराधिकारी बना जा सकता है।
     
मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु स्वयं गंगा नदी में  स्नान करने आते हैं। इसलिए जो भी माघ पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान करता है उसको सभी तरह के पुण्य लाभ मिलते हैं। माघ पूर्णिमा में शुभ मुहूर्त में पूजन विधि अनुसार करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है।



शास्त्री ने बताया कि हिंदू धर्म में माघी पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है। शास्त्रों में माघ स्नान और व्रत की महिमा बतायी गई है। इस दिन  लोग पवित्र नदी में स्नान करके पूजा पाठ और दान करते हैं। लेकिन यही कारण है कि इस दिन पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलीला स्वरूप में  प्रवाहित सरस्वती के त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं  की बड़ी संख्या में भीड़ जुटती है।
   
उन्होंने बताया कि माघ स्नान वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।  माघ में ठंड समाप्त होने की ओर रहती है तथा इसके साथ ही बसंत की शुरुआत होती है। ऋतु के बदलाव का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर नहीं पड़े इसलिए प्रतिदिन सुबह स्नान करने से शरीर को मजबूती मिलती है। वास्तव में माघी पूर्णिमा माघ मास का आखिरी दिन है और इसके ठीक अगले दिन से ही फाल्गुन की शुरूआत होती है।

 

वार्ता
कुंभनगर


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