राम-सीता विवाह के समय राजा दशरथ ने छुए थे जनक के पैर
श्रीराम के जन्मदाता और अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट महाराजा दशरथ ने श्रीराम-जानकी विवाह के समय मिथिला राजा जनक के चरण छु लिए थे, जबकि राजा दशरथ बेटों के पिता थे.
![]() (फाइल फोटो) |
रामायण से जुड़े प्रसंग आज के समय में भी प्रासंगिक हैं. आज के समय में जब बेटों के पिता की नाक ऊंची रहती है और वह बेटियों के पिता से सीधे मुंह बात तक नहीं करते ऐसे समय में रामायण का यह प्रसंग और भी ज्यादा अनुकरणीय हो जाता है.
रामायण के अनुसार राजा दशरथ जब अपने चारों बेटों की बारात लेकर राजा जनक के द्वार पर पहुंचे तो राजा जनक ने सम्मानपूर्वक बारात का स्वागत किया.
तभी दशरथ जी ने आगे बढ़कर जनक जी का चरण स्पर्श किया. जनक जी ने चौंककर दशरथ जी को थाम लिया और कहा, "महाराज आप बड़े हैं वरपक्षवाले हैं, ये उल्टी गंगा कैसे बहा रहे हैं?"
इस पर दशरथ जी ने राजा जनक से अत्यंत सुंदर बात कही. उन्होंने कहा, "महाराज आप दाता हैं कन्यादान कर रहे हैं, मैं तो याचक हूं, आपके द्वार कन्या लेने आया हूं. अब आप ही बताएं कि दाता और याचक दोनों में कौन बड़ा है?"
यह सुनकर जनक जी के नेत्रों से अश्रुधारा बह निकली.
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