यदि अदालत महसूस करे तो संजय दत्त को वापस जेल भेजा जा सकता है: महाराष्ट्र सरकार

Last Updated 28 Jul 2017 10:07:06 AM IST

बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त की मुश्किलें फिर बढ़ सकती हैं. संजय दत्त को जेल के अंदर वीआईपी ट्रीटमेंट मिलने की बात सच साबित हुई तो उनकी जेल में वापसी हो सकती है.


बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त (फाइल फोटो)

 महाराष्ट्र सरकार ने आज बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि 1993 के श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के मामले के दोषी बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त को जेल में कोई विशेष सुविधाएं नहीं दी गयी और यदि कोर्ट ऐसा कुछ महसूस करता है और इस नतीजे पर पहुंचता है कि राज्य सरकार ने उसकी सजा को कम करने में कोई गलती की है तो उसे वापस जेल भेजा जा सकता है.
       
संजय दत्त की जेल से समय से पूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली एक याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुम्बाकोणी ने कोर्ट में यह बयान दिया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि पांच वर्ष की सजा के मामले में आत्मसमर्पण करने के दो महीनों के भीतर पैरोल और फलरे इतनी जल्दी-जल्दी क्यों दिया गया.
          
कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि किसी भी दोषी व्यक्ति के अच्छे आचरण और अच्छी आदत का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है और किस आधार तथा मानक के अनुसार संजय दत्त की समय पूर्व रिहाई को अनुमति दी गयी.
 
न्यायाधीश आर एन सावंत और न्यायाधीश साधना जाधव की खंडपीड ने इस पर ध्यान दिया कि संजय दत्त ने मई 2013 में आत्मसमर्पण किया था और जुलाई में उसने फलरे तथा पैरोल पर जेल से रिहाई के लिये अर्जियां दी थी.            
              
न्यायाधीश जाधव ने कहा आठ जुलाई 2013 को उसने फलरे की अर्जी भरी और 25 जुलाई को पैरोल पर रिहाई के लिए अर्जी दी. दोनों अर्जियों को अनुमति दी गयी और एक साथ मंजूरी मिल गयी. जेल अधिकारियों ने किसी भी दोषी के आत्मसमर्पण करने की दो माह की अवधि के भीतर किस प्रकार अच्छे आचरण और अच्छी आदत का निर्धारण किया. सामान्यत: जेल अधीक्षक भी इस तरह की अर्जियों को आगे भेजे जाने की अनुमति नहीं देगा और जेल अधिकारी ऐसी अर्जियों को फेंकना बेहतर समझेंगे.
             
न्यायाधीश सावंत ने कहा हम समय की घड़ी को पुन: निर्धारित नहीं करना चाहते हैं और न ही एक क्षण के लिए यह सुझाव दे रहे हैं कि संजय दत्त को जेल भेजा जाना चाहिये. लेकिन हम यही चाहते हैं ऐसे मामलों का तर्कसंगत तरीके से निपटारा हो ताकि भविष्य में इन्हें लेकर कोई सवाल नहीं उठाये जाएं. हम केवल यह जानना चाहते है कि किस आधार और मानक के तहत संजय दत्त को अच्छे आचरण के चलते समय से पूर्व रिहा किया गया. इस अच्छे आचरण और आदत का निर्धारण किस प्रकार होता है. हमारी अंतरआत्मा की इस बात को लेकर संतुष्टि की जानी है कि यह सब कानून के दायरे में रहकर ही किया गया था.


        
कोर्ट ने कहा कि कई मामलों में यह देखा गया है कि अगर दोषी व्यक्ति की मां या पिता मरणासन्न स्थिति में है तो उन्हें पैरोल पर जाने की अनुमति नहीं दी गयी.
            
न्यायाधीश जाधव ने कहा संजय दत्त को अपनी बीमार पत्नी को देखने के लिए पहली बार फलरे दी गयी और उसके बाद बेटी की बीमारी के आधार पर पैरोल दिया गया. हमने कई मामले ऐसे देखे है जहां दोषी व्यक्ति की मां या तो बहुत बीमार है या मरणासन्न हालत में हैं लेकिन फिर भी पैराल या फलरे नहीं दिया गया है.
        
खंडपीठ ने राज्य सरकार को इस मामले में दो हफ्तों के भीतर एक विस्तृत हलफनामा देने का निर्देश दिया है.
 

 

वार्ता


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment