हरी-भरी सब्जियां खतरनाक भी
ताजा सब्जियां देखते ही उसे खरीदने और झट से पकाकर खाने के लिए लालायित रहने वाले लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.
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इन सब्जियों पर इस्तेमाल हुए कीटनाशक, रसायन और इनकी सिंचाई में इस्तेमाल हुए प्रदूषित पानी से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है.
फ्रेश वेजी डे 16 जून पर विशेष
राजधानी से गुजरने वाली यमुना नदी पर बने पुलों पर अकसर लोग टोकरियों में ताजी सब्जियां बेचते दिखाई देते हैं और लोग उन्हें बड़े चाव से खरीदते भी हैं, लेकिन इस तथ्य पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि यमुना के किनारे उगाई जाने वाली इन सब्जियों को जिस पानी से सींचा जाता है, वह बुरी तरह से प्रदूषित होता है.
यमुना में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा है कि उसके पानी में जीवन संभव ही नहीं है. राजधानी दिल्ली में यमुना में करीब 17 नाले गिरते हैं जो करीब हर रोज लाखों लीटर गंदा और दूषित पानी यमुना में डालते हैं.
इस पानी में घरों में इस्तेमाल होने वाले प्रदूषक जैसे फिनाइल और कीट पतंगों को मारने के लिए इस्तेमाल होने वाला रसायन पौधों के माध्यम से मानव शरीर में बहुत आसानी से पहुंच जाता है और शरीर के तंत्रिका तंत्र पर बहुत खराब असर डालता है.
इसके अलावा इसमें सीसा, पारा और कैडमियम जैसे खतरनाक पदार्थ होते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकते हैं. यमुना में प्रदूषण के स्तर का अंदाजा यमुना बचाओ आंदोलन के इस आंकड़े से लगाया जा सकता है, जिसके अनुसार नदी के पानी को नहाने के काबिल बनाने के लिए उसके प्रदूषण स्तर को कम से कम 1,00,000 गुना कम करना होगा.
हमारे देश में सब्जियों में कीटनाशकों का इस्तेमाल उस वक्त से शुरू हो जाता है जब वह बीज की अवस्था में रहते हैं. बीज को खराब होने और कीड़ा लगने से बचाने के लिए, अंकुरण के बाद और फिर उनमें लगी सब्जियों का आकार बढ़ाने के लिए कई तरह के रसायनों का प्रयोग होता है. बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती करने वाले किसान लौकी, कद्दू और खीरा का उत्पादन बढ़ाने और उनका आकार बड़ा करने के लिए पौधों में इंजेक्शन के माध्यम से रसायन डालते हैं. इन हार्मोन से फल का आकार तो बढ़ जाता है मगर उससे मानव शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है.
इन रसायनों का मानव तंत्रिका तंत्र पर बहुत खराब असर पड़ता है और उनकी काम करने की गति कम हो जाती है. कुछ रसायनों से कैंसर भी हो सकता है. सब्जियों, फलों और फसलों में कीटनाशकों के खराब प्रभाव से तो सभी वाकिफ हैं. फिलहाल केरल सहित पूरे देश में कीटनाशक एंडोसल्फान को प्रतिबंधित करने के लिए मुहिम चल रही है.
एक गैर सरकारी संस्था के आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में इस्तेमाल होने वाले कुछ कीटनाशकों का 20 प्रतिशत सब्जियों पर इस्तेमाल होता है. प्रदूषित पानी में उगायी गई सब्जियों और कीटनाशकों से होने वाले नुकसान के बारे में डॉक्टर आरपी सिंह का कहना है, 'कीटनाशकों में ऐसे कई रसायन हैं, जिनकी मात्रा पौधों से हमारे शरीर में पहुंचने के बाद 10 गुना तक बढ़ जाती है. डीडीटी एक ऐसा ही रसायन है. इससे शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है और हड्डियां तथा दांत कमजोर हो जाते हैं.'
घरों से निकले गंदे पानी से सिंचित सब्जियों में घरों में इस्तेमाल होने वाले तमात तरह के रसायन मौजूद होते हैं, जिनमें सबसे आम है फिनाइल, जिसे पीने से इन्सान की मौत हो सकती है. यही जानलेवा रसायन इन सब्जियों के जरिए शरीर में पहुंचता है और कई बीमारियों को जन्म देता है.
इस बारे में डॉक्टर मुकेश गुप्ता कहते हैं, 'कीटनाशकों से ज्यादा नुकसान फीताकृमि से होता है. सिंचाई के वक्त इस कृमि के अंडे सब्जियों से चिपक जाते हैं और जब हम उन सब्जियों को कच्चा खाते हैं तो ये हमारे पाचन तंत्र की रक्त नलिकाओं के माध्यम से हमारे रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं.
इनका सबसे पहला शिकार हमारा दिमाग होता है. ये हमारे दिमाग में अपने लिए घर बनाते हैं और इल्लियों की तरह विकसित होने लगते हैं. इनके बढ़ने पर तमाम दिमागी परेशानियां पैदा होती हैं. कुछ मामलों में तो इल्लियों के कारण लोगों की मौत भी हुयी है.
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