फार्मा सेक्टर : आर्थिक तेजी की दवा भारत के पास

Last Updated 16 Apr 2024 01:37:45 PM IST

कोविड के दौरान और उसके बाद दुनियाभर के फार्मा सेक्टर में नई चुनौतियों के साथ कई सकारात्मक बदलाव आए। दवा बनाने वाली कंपनियां और सरकार आज लोगों को किफायत और गुणवत्ता के नाम पर अपने साथ जोड़ने में जुटी हैं।


फार्मा सेक्टर : आर्थिक तेजी की दवा भारत के पास

खासकर दक्षिण एशियाई देशों की सरकारें अपने यहां फार्मा कंपनियों को प्रोत्साहित कर रही हैं। यह प्रोत्साहन नीतिगत तो है ही वित्तीय भी है। इसका एक बड़ा प्रभाव आज हर तरफ दिख रहा है। विकसित के साथ विकाशील देशों के बाजार में भी ब्रांडेड दवा की हिस्सेदारी घटी है। वैसे ग्लोबली देखें तो 56 फीसद बाजार हिस्सेदारी के साथ अब भी ब्रांडेड दवाओं का बड़ा दखल है। बड़ा परिवर्तन यह जरूर है कि 36 फीसद हिस्सेदारी के साथ जेनिरक और ब्रांडेड जेनरिक दवाओं ने ग्रोथ दिखाया है। इस बदलाव ने फार्मा सेक्टर को चर्चा में ला दिया है।

ट्रेड और बिजनेस मैगजीन्स की मानें तो फार्मा सेक्टर आज ग्लोबली तकरीबन सात फीसद के सालाना दर से बढ़ रहा है। 2025 तक इसके 1.6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंचने की संभावना है। इस ग्लोबल ग्रोथ में 120 वर्ष से भी पुराना भारत का फार्मा सेक्टर बहुत आगे चल रहा है। भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा फॉर्मा उत्पाद बनाने वाला देश है। यह उपलब्धि असाधरण है। फार्मा सेक्टर के इस ग्रोथ के समांतर एक दूसरी स्थिति भी है। कोविड के बाद वैिक स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक का बाजार भी खूब गरमाया। इस दौरान भारत भी एक बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादक देश के रूप में उभरा।

अमेरिका और यूरोपीय देशों की कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद बनाने के लिए चीन की जगह भारत की तरफ आकर्षित हुई। दोनों स्थितियों को मिलाकर देखें तो इलेक्ट्रॉनिक और फार्मा दोनों ने एक साथ भारत में जोर पकड़ा। अलबत्ता यह जरूर है कि भारतीय संदर्भ में इलेक्ट्रॉनिक्स के मुकाबले फार्मा सेक्टर के ग्रोथ को बड़ा बताया जा रहा है। ऐसा इस सेक्टर से जुड़ी भविष्य की संभावनाओं और सरकार के नीतिगत समर्थन के कारण भी है। जो स्थिति है उसमें अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में दवाओं का हमारा निर्यात बढ़ रहा है। एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रेडिएंट्स (एपीआई) के घरेलू निर्माण के प्रोत्साहन के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) स्कीम शुरू होने के बाद दवा बनाने के लिए कच्चे माल का उत्पादन भी तेज हुआ है, जिससे हमारी चीन जैसे देशों पर निर्भरता कम हुई है।

भारतीय फार्मा कंपनियों के बढ़ते रु तबे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना काल में जब पूरी दुनिया थम गई थी, तब विश्व में कुल वैक्सीन की 60 प्रतिशत भारत से निर्यात की गई। इसी प्रकार जेनिरक दवाओं में भी वैिक जरूरत का 20 प्रतिशत से अधिक दवाएं भारतीय कंपनियों ने भेजीं। अमेरिका और यूरोपीय देशों में दवा व्यापार के लिए खासा सख्त कानून है, लेकिन बीते कुछ वर्षो में भारतीय कंपनियों ने इन बाजारों में भी अपनी पैठ बनाई है। इन्वेस इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का दवा उद्योग आज 50 बिलियन डॉलर से बड़ा हो गया है। भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल के एक सर्वे के मुताबित देश के 19 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में 118 फार्मा क्लस्टर हैं। इनमें सबसे ज्यादा 40 फार्मा क्लस्टर महाराष्ट्र में हैं।

इसके बाद गुजरात में 13, आंध्र प्रदेश में 8, हिमाचल प्रदेश में 7, राजस्थान में छह, उत्तर प्रदेश में छह, गोवा, कर्नाटक और तमिलनाडु में 5-5 हैं। इसके अलावा हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पुडुचेरी, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और झारखंड में भी फार्मा क्लस्टर हैं।  इन राज्यों में बनने वाली दवाओं का बड़े स्तर पर विकसित देशों में निर्यात किया जा रहा है, जो हमारी अर्थव्यवस्था में संजीवनी की तरह काम कर रहा है। बीते कुछ वर्षो में भारत में केंद्र के साथ राज्यों ने अलग से निवेश आकर्षित करने के बड़े प्रयास किए हैं। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा आदि जैसे पिछड़े माने जाने वाले राज्य हर वर्ष अपने यहां ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट कर रहे हैं। ऐसे में पहले से विकसित प्रदेश भला पीछे कैसे रह सकते हैं। गोवा इस लिहाज से एक बड़ा उदाहरण है। गोवा ने हाल के दिनों में अपने यहां इससे अलग निवेश की कई संभावनाएं खोली हैं।

डॉ. प्रमोद सावंत की नेतृत्व वाली राज्य सरकार अपने फार्मा सेक्टर को बढ़ाने पर विशेष जोर दे रही है। नतीजा है कि भारत में निर्मिंत कुल दवाओं का 12 फीसद उत्पादन अकेले गोवा कर रहा है। यहां की बनी लगभग 70 फीसद दवाएं विकसित देशों को निर्यात हो रही हैं। पर्यटन के लिए मशहूर इस राज्य में 2.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर की दवाओं का उत्पादन सालाना हो रहा है। इसके अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, हिमाचल आदि राज्य भी भारत के फार्मा सेक्टर को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। दरअसल, वैिक अर्थव्यवस्था में भारत की मजबूत हिस्सेदारी जमाने के लिए फार्मा सेक्टर का बढ़ना सोने पर सुहागा है। आने वाले एक दशक फार्मा सेक्टर के ग्रोथ के लिहाज से बेहद महत्त्वपूर्ण हैं और भारत अपने सामथ्र्य से इस सेक्टर में नंबर वन बनने की तरफ तेजी से कदम बढ़ा रहा है।

संदीप भूषण


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