ओडीओपी : देसज का संवर्धन

Last Updated 04 Mar 2024 01:46:01 PM IST

एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी - ODOP)’ भारत सरकार की बेहद महत्त्वपूर्ण पहलों में शुमार है। यह पहल ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी योजनाओं की सफलता सुनिश्चित कर सकती है।


ओडीओपी : देसज का संवर्धन

सरल शब्दों में कहें तो इस पहल के तहत देश के प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश को अपने प्रत्येक जिले की कम से कम एक अनूठे स्थानीय उत्पाद की पहचान करनी होती है। ये उत्पाद आम तौर पर संबंधित जिले में तैयार किए जाते हैं, और वहां इनके उत्पादन के लिए आवश्यक कौशल से लैस लोग उपलब्ध होते हैं। प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में प्रत्येक जिले के ओडीओपी उत्पादों के बारे में निर्णय लेने के लिए उस राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति होती है। चयनित उत्पादों में कृषि और गैर-कृषि उत्पाद, दोनों शामिल होते हैं।

केंद्रीय विभाग के रूप में डीपीआईआईटी, ओडीओपी पहल के लिए सहायक की भूमिका निभाता है। यह विभाग एक ऐसा साझा मंच तैयार करता है, जहां उत्पादों की राज्यवार/जिलावार समेकित सूची उपलब्ध होती है। डीपीआईआईटी द्वारा उत्पादों एवं उनकी तस्वीरों तथा उत्पादकों एवं विक्रेताओं की सूची के विस्तृत विवरण से लैस एक कैटलॉग प्रकाशित किया जाता है। यह कैटलॉग भौतिक और डिजिटल रूप में उपलब्ध है। यह विभाग ओडीओपी पहल को बढ़ावा देने की दिशा में सर्वश्रेष्ठ प्रदशर्न करने वाले राज्यों और जिलों को पुरस्कृत भी करता है।

पिछले दो वर्षो और विशेष रूप से जी-20 से जुड़े आयोजनों के दौरान भारत सरकार के कई विभागों द्वारा उपहार देने के प्रयोजनों के लिए ओडीओपी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया। प्रधानमंत्री और अन्य मंत्री अक्सर उपहार देने के लिए ओडीओपी वस्तुओं का उपयोग करते हैं। नवम्बर, 2023 में भारत मंडपम में आयोजित भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में देश भर की विविध ओडीओपी वस्तुओं को शामिल किया गया था। जनवरी, 2024 में भारत मंडपम में आयोजित ‘आत्मनिर्भर भारत महोत्सव’ में सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की वस्तुएं प्रदर्शित करने के साथ-साथ ओडीओपी मंडप भी बनाया गया था। कई रेलवे स्टेशनों पर ओडीओपी स्टॉल उपलब्ध हैं। भारतीय दूतावासों/उच्चायोगों में ‘इंडिया कॉर्नर’ होता है, जहां ओडीओपी वस्तुओं का भंडार उपलब्ध होता है। ओडीओपी पहल अब फॉर्वड एवं बैकर्वड लिंकेज को मजबूत करने, उत्पादकों के कौशल में वृद्धि, आकषर्क एवं टिकाऊ पैकेजिंग, वैश्विक स्टोरों पर प्रदर्शन के साथ-साथ ओडीओपी की बिक्री के माध्यम से ओडीओपी इकोसिस्टम के लिए आर्थिक मूल्य संवर्धन के अगले स्तर की ओर छलांग लगाने के लिए तैयार है। डिजाइन की जटिलता, रंगों एवं बनावट की जीवंतता और ओडीओपी उत्पादों की सर्वोत्कृष्ट भारतीय पहचान को देखते हुए इन उत्पादों के भारतीय निर्यात में वृद्धि की प्रक्रिया में योगदान देने की व्यापक संभावनाएं हैं।

इस पहल का उद्देश्य ओडीओपी को हैरोड्स, डार्विस, मैसीज, ब्लूमिंगडेल्स आदि जैसे उच्चस्तरीय वैश्विक स्टोरों में स्थापित करना है। यह वाकई गर्व की बात होगी जब दुनिया भर के उच्चस्तरीय लक्जरी स्टोरों में बागपत (उत्तर प्रदेश) के घरेलू साज-सज्जा के सामान, अराकू कॉफी (आंध्र प्रदेश), जैविक चाय (असम), मधुबनी चित्रकला (बिहार) प्रमुखता के साथ प्रदर्शित की जाएगी। आकषर्क लेकिन पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग इन उत्पादों के प्रति उत्साह और बढ़ाएगी। अनूठे भारतीय लक्जरी उत्पादों के रूप में ओडीओपी की ब्रांडिंग करने के लिए उत्पादों की डिजाइन से लेकर उन्हें वैश्विक रुचियों एवं प्राथमिकताओं के अनुरूप ढालने, उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने, गुणवत्ता संबंधी मानकों के विकास, पर्यावरण एवं निर्यात के अनुकूल पैकेजिंग सामग्री के उपयोग, उत्पादन स्थल से डिब्बाबंद उत्पादों को ले जाने और वैश्विक स्तर के वितरकों तक पहुंचाने के लिए लॉजिस्टिक्स की व्यवस्था करने आदि की दिशा में काफी कुछ करने की आवश्यकता है।

अभी हमारे सामने इन उत्पादों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए संस्थागत तंत्र के अभाव की चुनौती है। उच्चस्तरीय मंचों पर रखने के लिए प्रत्येक उत्पाद की प्रामाणिकता एवं उत्पत्ति की ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र स्थापित करना जरूरी है, इससे घरेलू व विदेशी खरीदारों के मन में भरोसा पैदा करने में मदद मिलेगी। खरीदार के लिए आस्त होना जरूरी है कि वह प्रामाणिक पश्मीना शॉल या एरी रेशम स्कार्फ  ही खरीद रहा है। एक कदम आगे बढ़कर हम ऐसा डिजिटल मंच बना सकते हैं, जहां विशिष्ट पहचान संख्या के आधार पर सही उत्पादों का पता लगाया जा सके। वैश्विक स्तर पर पहुंच के साथ-साथ हमें विशाल संभावनाओं वाले घरेलू बाजार पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। कॉरपोरेट उपहार के रूप में ओडीओपी वस्तुओं के उपयोग की दिशा में  कॉरपोरेट-सीएसआर गतिविधियों के हिस्से के रूप में-एसएचजी/एफपीओ के साथ मिलकर काम कर सकते हैं, और अनुकूलित पैकेजिंग से लैस अनुकूलित उत्पाद पा सकते हैं।

पर्यटन स्थलों पर ओडीओपी को बढ़ावा दिया जा सकता है। दार्जिलिंग चाय या खुर्जा के मिट्टी के बर्तन या पश्मीना की गर्माहट आदि के जरिए ओडीओपी आधारित अनुभवजन्य पर्यटन पर्यटकों को अनूठा अनुभव प्रदान करने में मददगार हो सकता है। ओडीओपी उत्पादों की बिक्री (अन्य राज्यों के भी) के लिए सभी राज्यों में शीघ्र ही पीएमयूनिटी मॉल उपलब्ध होंगे। तेइस राज्यों ने इस बाबत मंजूरी दे दी है (और धनराशि भी जारी कर दी है)। ओडीओपी का ब्रांड विकसित करने और इसका उपयोग करके सभी दुकानों में उपलब्ध सभी उत्पादों को टैग करने से प्रोत्साहन की पूरी कवायद तेज हो जाएगी। इससे देश भर में छोटे कारीगरों के उत्थान और संतुलित आर्थिक विकास सुनिश्चित करने में काफी मदद मिलेगी। डीपीआईआईटी ओडीओपी उत्पादकों को राष्ट्रीय यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों के साथ समन्वित करके इस पहल को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और इससे जुड़े इकोसिस्टम के सभी प्रतिभागियों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा।

(राजेश कुमार सिंह डीपीआईआईटी (डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड) में सचिव हैं जबकि सहलेखिका सुप्रिया देवस्थली डीपीआईआईटी में निदेशक हैं)

राजेश कुमार सिंह


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