आर्थिकी : बनी रहेगी सोने की चमक

Last Updated 11 Jan 2024 01:41:34 PM IST

भारत में सोना हमेशा से निवेश का सबसे सुरक्षित और मुफीद विकल्प रहा है। संकट के समय में इसकी मांग में और ज्यादा इजाफा हो जाता है क्योंकि सोने में निवेश करना हमेशा से सुरक्षित होने के साथ-साथ निवेशकों को अच्छा प्रतिफल भी देता है।


आर्थिकी : बनी रहेगी सोने की चमक

महंगाई के नियंतण्रमें रहने, अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा 2024 में ब्याज दरों में कटौती करने की उम्मीद, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में कमी आने और भारतीय अर्थव्यवस्था के लगातार मजबूत होते रहने की वजह से 2024 में सोने में निवेश करने वालों की संख्या में इजाफा होगा की उम्मीद है।

फिलवक्त, विकसित एवं अन्य देशों के सामने चुनौती विकास की गति को बढ़ाने की है। इसके लिए फेडरल रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षाओं में ब्याज दर में कटौती कर सकता है। आम तौर पर दुनिया के सभी देशों के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व बैंक के नक्शे-कदम पर चलते हैं। अस्तु, माना जा रहा है कि जब फेडरल बैंक ब्याज दर में कटौती करेगा तो दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक भी ब्याज दरों में कटौती करेंगे, जिससे ऋण और जमा, दोनों के ब्याज दरों में कमी आएगी। जब जमा ब्याज दर में कमी आएगी तो बेहतर प्रतिफल के लिए लोग सोने में निवेश करेंगे। आज सोने में निवेशकों को अच्छा प्रतिफल मिल रहा है। साल 2023 में सोने में निवेश करने वाले निवेशकों को 16.4 प्रतिशत का प्रतिफल मिला है, जो बैंक या दूसरे सुरक्षित निवेश के विकल्पों से बहुत ही बेहतर है। विगत 10 सालों में सोने ने 105 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है, जबकि वैश्विक बाजार में सोने की कीमत में 63 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

जून, 2008 में 10 ग्राम सोने की कीमत 11,901 रुपये थी, जबकि जून, 2014 में 10 ग्राम सोने की कीमत 25,924 रुपये थी, वहीं, जून, 2017 में 10 ग्राम सोने की कीमत 29,499 रुपये थी। अगस्त, 2020 में सोने की कीमत में अभूतपूर्व इजाफा हुआ और यह 56,499 रुपये के स्तर पर पहुंच गई और अक्टूबर, 2023 में इसकी कीमत 62,193 रुपये हो गई, जबकि 29 दिसम्बर, 2023 को सोने की कीमत 63,332 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, वहीं,अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की प्रति आउंस कीमत 2050 डॉलर थी। सोने में निवेश करने वाले लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होने से कयास लगाया जा रहा है कि 2024 के अंत तक 10 ग्राम सोने की कीमत 70,000 रुपये के स्तर को पार कर जाएगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रति आउंस सोने की कीमत 2400 डॉलर पहुंच जाएगी।

सोने की कीमत के उतार-चढ़ाव के 50 सालों के इतिहास को देखने से पता चलता है कि सोने की कीमत में बड़े उतार-चढ़ाव लगभग 5 से 6 सालों तक जारी रहते हैं। ऐसे में कयास लगाए  जा रहे हैं कि सोने की कीमत आने वाले कुछ सालों तक उच्च स्तर पर बनी रहेगी। बोफा वैश्विक अनुसंधान के अनुसार दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने 2022 और 2023 में काफी मात्रा में सोना खरीदा है। 2022 में पहली बार केंद्रीय बैंकों ने 1000 टन से अधिक सोना खरीदा था। 2023 में भी केंद्रीय बैंकों ने 1000 टन से अधिक सोना खरीदा है, जो 2021 से 2.5 गुना और 2020 से 4 गुना अधिक है। वर्तमान में दुनिया के सभी केंद्रीय बैंकों के रिजर्व में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी सोने की है।

सितम्बर, 2023 में भारतीय रिजर्व बैंक ने 9 टन सोना खरीदा था जबकि पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने दिसम्बर, 2023 में 23 टन सोना खरीदा है। ऐतिहासिक आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर माना जा रहा है कि 2024 में भी दुनिया के सभी केंद्रीय बैंक अपने जमा आधार के फलक को विस्तृत करने के लिए सोना खरीदेंगे।      कोरोना महामारी, वैश्विक अनिश्चितता और वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था में कायम नरमी के कारण अमेरिका सहित सभी विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं में सुधार की रफ्तार धीमी है।

वहीं, हमास और इस्रइल के बीच चल रहे युद्ध की वजह से मिडिल ईस्ट में तनाव बरकरार है और रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध भी थमा नहीं है, जिससे कई उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला बाधित है। इस वजह से लोग सोने में निवेश कर रहे हैं। हालांकि, भारत इस मामले में अपवाद है क्योंकि यहां मंदी में भी और अर्थव्यवस्था के गुलाबी रहने पर लोग सोने में निवेश करते हैं क्योंकि भारत में अनादि काल से सोने में निवेश करने का प्रचलन रहा है। भारत में दिसम्बर से विवाह का मौसम शुरू हो गया है, और शादी में लोग सोने की आसमान छूती महंगाई के बावजूद अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार कम या ज्यादा सोने की खरीददारी कर रहे हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण है कि भारत में सोना हमेशा से सोणा रहा है, क्योंकि भारत में महिलाएं सोने के प्रति दीवानी हैं, और यह दीवानगी अनादिकाल से है। प्राचीनकाल में तो स्त्रियों के साथ-साथ पुरुष भी सोने के आभूषण पहना करते थे।

भारतीयों के रहन-सहन, सभ्यता-संस्कृति आदि में सोना इस तरह से रचा-बसा है कि इसके बिना उनका जीवन अधूरा है। भारतीय स्त्रियों के लिए सोना उनके लिए सिर्फ गहना नहीं है, बल्कि उनके सुहाग, स्वाभिमान और गौरव का प्रतीक है। हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों अर्थात जन्म से मृत्यु तक में सोने का लेन देन किया जाता है। इतना ही नहीं, हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं को सोना चढ़ाने या देवी-देवताओं को सोने के मुकुट पहनाने की भी परंपरा रही है। इस वजह से भारत के मंदिरों में कई टन सोना जमा है। र्वल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने वर्ष 2020 में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार लगभग 4 हजार टन से अधिक सोना भारत के प्रमुख मंदिरों में जमा है।   

दुनिया भर में सोने के आयात में स्विट्जरलैंड का हिस्सा 22.6 प्रतिशत है, और मूल्य के आधार पर यह दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश है, जबकि 17.6 प्रतिशत आयात के साथ चीन दूसरे स्थान पर है। हालांकि, चीन दुनिया में सोने के कुल उत्पादन का 10.6 प्रतिशत सोना उत्पादित करता है। आज दुनिया में सबसे अधिक सोना 8133.47 टन अमेरिका में है, इस मामले में दूसरे स्थान पर 3359.09 टन सोना के साथ जर्मनी है।  फिलवक्त, महंगाई के सामान्य से अधिक रहने, शेयर बाजार को छोड़कर बैंकिंग और दूसरे वित्तीय क्षेत्रों में जमा ब्याज दर के कम रहने, भू-राजनैतिक संकट, वैश्विक मंदी की आशंका आदि की वजह से लोगों का निवेश के दूसरे माध्यमों पर भरोसा कम हो गया है। लोगों को लग रहा है कि सोने में निवेश करके वे अपने पैसे को सुरक्षित रख सकते हैं।

सतीश सिंह


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment