मुद्दा : सियासी कदाचार की परख जरूरी
दोदृष्टांत है : राजनीतिक कदाचार और सदाचार के। दोनों ताजा घटनाएं हैं। एक पर नाज तथा हर्ष होता है, दूसरे पर ग्लानि और क्रोध।
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सैलाना (मध्य प्रदेश) के आदिवासी कमलेश्वर डोडियाल विधायक चुनाव जीता, मगर चंदा मांगकर। अभी पांच लाख का उधार चुकाना है। इस खेतिहर मजदूर ने सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी सोनिया-कांग्रेसी प्रतिद्वंद्वियों को गत सप्ताह हराया।
दूसरा उदाहरण है सोनिया-कांग्रेस के तीसरी बार निर्वाचित राज्य सभा सांसद धीरज साहू का। उनके पास तीन सौ करोड़ के हरे नोट पकड़े गए। उनके चार राज्यों के आवासों से। वे शराब के व्यवसायी हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के विश्वस्त हैं, दो दशकों से। राजनीति में साहू का प्रवेश इंदिरा गांधी के समय हुआ था। बात 1978 की है जब जनता पार्टी सरकार के गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह ने पराजित प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भ्रष्टाचार के आरोप में तिहाड़ में कैद कराया था। तब युवा कांग्रेसियों ने पुत्र संजय गांधी की अपील पर ‘जेल भरो’ संघर्ष छेड़ा था। युवक धीरज भी तब जेल गए थे। वे कांग्रेस में ही तबसे बने रहे। तीन बार राज्य सभा में सोनिया गांधी द्वारा भेजे गए। इनके नामांकन के समय घोषित उनकी संपत्ति पर नजर डालें। धीरज साहू ने कुल 20.41 करोड़ रुपए की चल संपत्ति होने का दावा किया था।
उस वक्त शपथ-पत्र में इस कांग्रेस नेता ने अपने पास कुल 27 लाख रुपए से ज्यादा की नगदी घोषित की थी। इसमें खुद के पास 15 लाख रु पए, पत्नी के पास 1.25 लाख रु पए और दो आश्रितों के पास 10 लाख रु पए से ज्यादा की नगदी बताई गई थी। कुल 22 बैंक खाते बताए थे। इन में कुल 8.59 करोड़ रुपए जमा की जानकारी दी गई थी। धीरज के हलफनामे के अनुसार, उनके नाम पर 1.51 करोड़ रु पए की कीमत के कुल चार कारें हैं। इनमें 87 लाख रु पए की सबसे महंगी कर बीएमडब्ल्यू केवी 42, 32 लाख रुपए की फॉच्र्यूनर, 24 लाख रु पए की रेंज रोवर और 8.5 लाख रुपए की सबसे सस्ती पजेरो कार है। धीरज साहू ने खुद की कमाई का जरिया व्यवसाय को बताया, जबकि पत्नी गृहणी है। झारखंड और ओडिसा में बौद्ध डिस्टिलिरिज के परिसरों पर आयकर विभाग की छापेमारी तीसरे दिन भी जारी रही। जिसमें 300 करोड रुपए नगद जब्त किए गए। आईटी विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बलदेव साहू इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, बौद्ध डिस्टलरीज की एक समूह कंपनी है, जो कि झारखंड से कांग्रेस के राज्य सभा सांसद धीरज साहू से जुड़ी हुई है।
छापेमारी में नौ अलमारियां नोटों से भारी पाई गई, जिनको गिनने के लिए तीन दर्जन मशीनें मंगवानी पड़ी। इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों ने उड़ीसा और झारखंड में कई जगहों पर छापेमारी की। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार 200 करोड़ से ज्यादा का कैश उड़ीसा और झारखंड के उनके घर से बरामद हुआ है। आयकर विभाग ने लगातार तीन दिनों तक छापेमारी की। इस दौरान 200 करोड रु पए नगद बरामद किए गए हैं, ‘जिनका कोई हिसाब नहीं है।’ धीरज को राजनीति विरासत में मिली थी। उनके भाई शिव प्रसाद साहू लोक सभा के सांसद रह चुके हैं। उनका परिवार आजादी के बाद से ही कांग्रेस से जुड़ा हुआ था। 1977 में राजनीति में आने वाले धीरज 1978 में जेल भरो आंदोलन में जेल गए थे। दूसरी ओर हैं आदिवासी श्रमिक कमलेर जो बस्ती में रहने वाला एक शख्स, जिसने चंदा इकट्ठा करके चुनाव लड़ा, जीत गया।
मध्य प्रदेश में हाल ही में विधानसभा चुनाव नतीजे आए हैं। भाजपा की प्रचंड जीत में जहां कांग्रेस 66 सीट पर सिमट गई। वहीं बसपा और सपा का सूपड़ा साफ हो गया, लेकिन एकमात्र विधायक ऐसा है, जो भारत आदिवासी पार्टी यानी बीएपी से जीतकर आए हैं। वह विधानसभा की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए 400 किलोमीटर बाइक चलाकर भोपाल पहुंचे। कमलेर ने बताया कि वह बेहद गरीब परिवार से आते हैं। उनके पिता के हाथ टूटे हैं। मां ने मेहनत करके उन्हें पाला। बराक ओबामा से प्रेरित होकर कमलेर ने चुनाव लड़ा। चुनाव में धनबल का जमकर इस्तेमाल हुआ, लेकिन जनता ने उन पर भरोसा जताया। चुनाव लड़ने के लिए चंदा मिला करीब ढाई लाख रु पए। कमलेर बताते हैं कि वे सात साल पहले दिल्ली में कानून की पढ़ाई कर रहे थे। पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए पार्ट टाइम वेटर की नौकरी दिल्ली के आलीशान होटल में की। वहां पार्टयिों व शादियों के लिए अलग से लोग बुलाए जाते थे। ‘मेरे पास मोजे नहीं थे। इसीलिए बिना मोजे जूते पहन कर चला गया।
मैनेजर ने मुझे इस हालत में देखा तो दो थप्पड़ जड़ दिए। मुझे पढ़ाई पूरी करनी थी, इसीलिए मैंने चुपचाप अन्याय सहन कर लिया।’ धीरज साहु प्रकरण पर प्रधानमंत्री नरेनद्र मोदी की प्रतिक्रिया गौरतलब है। वह बोले : ‘देशवासी इन नोटों के ढेर को देखें और फिर इनके नेताओं के ईमानदारी के भाषणों को सुनें। जनता से जो लूटा है, उसकी पाई-पाई लौटना पड़ेगी, यह मोदी की गारंटी है।’
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