मुद्दा : स्कैवेंजिंग से मिलेगी मुक्ति

Last Updated 04 Feb 2023 01:26:46 PM IST

मौजूदा सरकार का अंतिम पूर्ण बजट होने के कारण वित्त मंत्री सीतारमण ने अपने बजट 2023-24 में समाज के लगभग सभी वर्ग को छूने का प्रयास किया है, लेकिन इस बजट में सामाजिक तौर पर जो महत्त्वपूर्ण बात नजर आ रही है वह सफाई कर्मचारियों को मैनुअल स्कैवेंजिंग से मुक्ति दिलाने के लिए सेप्टिक टैंकों और गंदी नालियों की सफाई के लिए मशीनीकरण शुरू करने की है।


मुद्दा : स्कैवेंजिंग से मिलेगी मुक्ति

वास्तव में कानूनी प्रावधानों के बावजूद व्यावहारिक कठिनाइयों और दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव में सिर पर मैला ढोने या दूसरों की गंदगी को हाथ से साफ करने का कलंक समाज के माथे से साफ नहीं हो रहा है। अब भी हर साल सैकड़ों की संख्या में सफाईकर्मी सीवरलाइनों के अंदर दम घुटने से जान गंवा रहे हैं। आज भी स्कैवेंजिंग का काम अनुसूचित जाति के एक वर्ग के भरोसे चल रहा है। वित्त मंत्री द्वारा पेश केंद्र सरकार के वाषिर्क बजट 2023-24 में संकल्प लिया गया है कि सेप्टिक टैंकों और नालों से मानव द्वारा गाद निकालने का काम पूरी तरह से मशीनयुक्त बनाने के लिए शहरों को तैयार किया जाएगा।

जाहिर है कि केंद्र सरकार इस प्रथा की मुक्ति के लिए नगर निकायों को मशीनें उपलब्ध कराएगी या उसके लिए अलग से बजट देगी। स्वच्छता अभियान के तहत केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच मुक्ति का अभियान 2014 से चला चुकी है। हालांकि खुले में मुक्ति के लिए अक्टूबर 2019 तक का लक्ष्य रखा गया था जो कि व्यवहार में अभी तक अधूरा है। फिर भी उस मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों घरों में शौचालय बने हैं। अब इस अभियान को अगर दिलोजान से चलाया गया तो इंसानों की एक बिरादरी को सचमुच दूसरों की गंदगी साफ करने से कलंक से मुक्ति मिल जाएगी।

महात्मा गांधी और डॉ. अम्बेडकर दोनों ने ही हाथ से मैला ढोने की प्रथा का पुरजोर विरोध किया था। यह प्रथा संविधान के अनुच्छेद 15, 21, 38 और 42 के प्रावधानों के भी खिलाफ है। आजादी के 7 दशक बाद भी इस प्रथा का जारी रहना देश के लिए शर्मनाक है। लातूर महाराष्ट्र के सांसद सुधाकर तुकाराम के एक प्रश्न के उत्तर में लोक सभा में 2 फरवरी 2021 को तत्कालीन सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत का जवाब था कि 31 दिसम्बर 2020 तक उससे पिछले 5 सालों में देशभर में सीवर लाइनें साफ करते हुए 340 सफाइकर्मियों की मौत हुई। इनमें सर्वाधक 52 सफाईकर्मी उत्तर प्रदेश में मारे गए। उसके बाद तमिलनाडु की गंदी नालियां जाति विशेष के कर्मियों के लिए मरघट बनीं जहां 43 लोगों ने जानें गंवाई।

देश की राजधानी दिल्ली में 36 सफाईकर्मियों ने नारकीय परिस्थितियों में दम तोड़ा। समाजिक अधिकारिता मंत्री का यह भी जवाब था कि देश में अब तक 13 राज्यों  में 13,657 मैला ढोने वालों की पहचान की गई है, लेकिन 2011 की जनगणना में परिवारों के आंकड़ों से बड़ी संख्या में गंदे शौचालयों को हटाने को ध्यान में रखते हुए राज्यों  से कहा गया है कि वे अपने सव्रेक्षण की दोबारा समीक्षा करें। दरअसल, कानून अकेले किसी समस्या का समाधान नहीं कर सकता।

अगर इस अमानवीय समस्या का समाधान कानून के पास होता तो नब्बे के दशक में समस्या तब समाप्त हो जाती जब पहली बार 1993 में सफाई कर्मचारी नियोजन और शुष्क शौचालय सन्निर्माण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1993 आ गया था। जिसका उद्देश्य मानव मल-मूत्र को हटाने के लिए सफाई कर्मचारियों के नियोजन को अपराध घोषित कर सफाई कार्य के हाथ से किए जाने का अंत करने और देश में शुष्क शौचालयों की और वृद्धि पर पाबंदी लगाने के लिए संपूर्ण भारत के लिए एक समान विधान अधिनियमित करना था।

जब इस कानून से काम नहीं चला तो उसके बाद सितम्बर 2013 में संसद द्वारा ‘हाथ से मैला साफ करने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम 2013’ पास किया गया। इस अधिनियम में अस्वच्छ शौचालयों और मैनुअल स्केवेंजिंग संबंधी उपबंधों का पहली बार उल्लंघन करने पर 1 वर्ष की सजा या 50 हजार का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। दूसरी बार उल्लंघन करने पर 2 वर्ष की सजा और 1 लाख का जुर्माना हो सकता है।

तीसरी बार: उल्लंघन करने पर 5 पांच साल की सजा या 5 लाख के जुर्माने या दोनों का प्रावधान है। इस अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत पाए गए अपराध संज्ञेय एवं गैर जमानती हैं, लेकिन फिर भी समाज के एक खास वर्ग को इससे पूरी तरह मुक्ति नहीं मिल सकी। अब तक कानून तो बनते रहे मगर वे कानून अपने उद्देश्य की पूर्ति न कर सके। अब उम्मीद की जा सकती है कि भारत सरकार की मदद से सारे देश के शहरों में मशीनों से ही नालियों, सीवरलाइनों और सेप्टिक टैंकों की सफाई हो सकेगी। मैन्वल स्केवेंजिंग से एक जाति विशेष का उद्धार नहीं हो पा रहा है। संसद में 2021 में स्वयं सरकार ने स्वीकार किया था कि इस पेशे में लगे लोगों में 97.25 प्रतिशत लोग अनुसूचित जाति के थे।

जयसिंह रावत


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment