अर्थव्यवस्था :घरेलू बचत बढ़ना जरूरी

Last Updated 16 Jan 2023 01:43:54 PM IST

इस समय देश में घरेलू वित्तीय बचत बढ़ाने की जरूरत अनुभव की जा रही है।


अर्थव्यवस्था :घरेलू बचत बढ़ना जरूरी

एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2023 की शुरुआत में दिखाई दे रहा है कि महंगाई और खर्च बढ़ने से भारतीय परिवारों की वित्तीय बचत घटकर करीब 30 साल के निचले स्तर पर आ गई है। वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में घरेलू वित्तीय बचत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4 प्रतिशत के बराबर दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2021-22 में 7.3 प्रतिशत के स्तर पर थी जबकि वर्ष 2020-21 में 12 प्रतिशत की ऊंचाई पर। धनराशि के आंकड़ों के मद्देनजर अप्रैल-सितम्बर, 2022 में घरेलू वित्तीय बचत 5.2 लाख करोड़ रुपये रह गई जो एक वर्ष पहले की समान छमाही में 17.2 लाख करोड़ थी।

ऐसे में आगामी तिमाहियों में बचत में तेजी नहीं आती है, तो अर्थव्यवस्था में खपत और निवेश, दोनों प्रभावित होते दिखेंगे। अतएव घरेलू वित्तीय बचत को बढ़ाने के लिए छोटी बचत योजनाओं को ब्याज दर के मद्देनजर आकषर्क बनाया जाना जरूरी है। यद्यपि सरकार ने जनवरी से मार्च, 2023 तिमाही के लिए राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी), डाकघर सावधि जमा, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना सहित छोटी जमा राशि पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है, किंतु महंगाई और जीवन निर्वहन के बढ़ते खचरे के मद्देनजर छोटी बचत योजनाओं और अधिक आकषर्क बनाना जरूरी है।

गौरतलब है कि जनवरी, 2023 से एनएससी पर 7 फीसदी की ब्याज दर मिलेगी। वर्तमान में यह 6.8 फीसदी है। वरिष्ठ नागरिक बचत योजना वर्तमान में 7.6 फीसदी के मुकाबले अब 8 फीसदी ब्याज देगी। 1 से 5 साल की अवधि की डाकघर सावधि जमा योजनाओं पर ब्याज दरों में 1.1 फीसदी तक की वृद्धि होगी। मासिक आय योजना में भी 6.7 फीसदी से बढ़कर 7.1 फीसदी ब्याज मिलेगा। ज्ञातव्य है कि इससे पहले 9 सितम्बर को सरकार ने अक्टूबर से दिसम्बर, 2022 की तीसरी तिमाही में किसान विकास पत्र के ब्याज दर को 6.9 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी किया था।

उल्लेखनीय है कि कोविड-19 की आर्थिक चुनौतियों से लेकर महंगाई की चुनौतियों के बीच देश में आम आदमी के सामने बड़ी चिंता छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर कम रहना थी। रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहने, वैश्विक खाद्यान्न उत्पादन में कमी, अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा 2023 में मौद्रिक नीति को सख्त बनाए जाने से डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत घटने की चिंता तथा चीन सहित कई देशों में कोहराम मचा रहे कोरोना वायरस के नये वेरिएंट की वजह से 2023 में महंगाई बढ़ने की आशंका के बीच इस वर्ष की शुरुआत में छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में वृद्धि छोटे निवेशकों के लिए राहतकारी है। स्पष्ट है कि अभी वैश्विक चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था गतिशील है, और कारोबार से कर्ज की मांग तेजी से बढ़ रही है और बैंकों में कर्ज के मुकाबले जमा की रफ्तार धीमी है।

रिजर्व बैंक के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि बैंकों की ऋण वृद्धि दर जमा वृद्धि दर की तुलना में डेढ़ गुना से भी अधिक है। ऐसे में तमाम बैंकों में बढ़ते ऋणों की जरूरत के मद्देनजर जमा धन राशि बढ़ाने के लिए सावधि जमा पर ब्याज दरों में वृद्धि की होड़ लग गई है। वस्तुत: देश में बचत की प्रवृत्ति के लाभ आमजन के साथ ही समाज व अर्थव्यवस्था के लिए भी हैं। बचत की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि हमारे यहां विकसित देशों की तरह सामाजिक सुरक्षा का उपयुक्त ताना-बाना नहीं है। यद्यपि छोटी बचत योजनाओं में ब्याज दर की कमाई का आकषर्ण घटने से 2012-13 के बाद सकल घरेलू बचत दर (ग्रास डोमेस्टिक सेविंग रेट) घटती गई है। लेकिन अभी भी छोटी बचत योजनाएं अपनी विशेषताओं के कारण आमजन के विश्वास और निवेश का माध्यम बनी हुई हैं।

गौरतलब है कि 2008 की वैश्विक मंदी का भारत पर कम असर होने का एक कारण भारतीयों की संतोषप्रद घरेलू बचत की स्थिति को भी माना गया था। कोविड-19 से जंग में भारतीयों की घरेलू बचत विसनीय हथियार के रूप में दिखी। नेशनल सेविंग्स इंस्टीट्यूट (एनएसआई) द्वारा भारत में निवेश की प्रवृत्ति से संबंधित रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों के लिए छोटी बचत योजनाएं लाभप्रद हैं।

उम्मीद करें कि घरेलू वित्तीय बचत बढ़ाने की जरूरत के मद्देनजर वित्त मंत्रालय द्वारा तत्परतापूर्वक छोटी बचत की ब्याज दरों में बदलाव के लिए  एक और उपयुक्त समीक्षा करके इस बार ब्याज दर बढ़ने से वंचित रहे पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना की ब्याज दरों में उपयुक्त वृद्धि की जाएगी। करीब पांच करोड़ कर्मचारियों से संबंधित ईपीएफ पर वर्तमान में दी जा रही और चार दशक की सबसे कम 8.1 फीसदी ब्याज दर में भी वृद्धि की जाएगी। इससे महंगाई की निराशाओं एवं मुश्किलों के बीच छोटी बचत करने वाले करोड़ों लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहट बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगी। बचत की प्रवृत्ति बढ़ने से छोटी बचत योजनाओं के बढ़े हुए कोष से अर्थव्यवस्था के लिए निवेश भी बढ़ाया जा सकेगा।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी


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