अर्थव्यवस्था : छोटी बचत पर बढ़ाएं ब्याज दर

Last Updated 13 Jul 2022 09:47:55 AM IST

इस समय जब दुनिया के साथ-साथ देश में भी तेज महंगाई का दौर बना हुआ है और देश में ब्याज दर बढ़ने का ग्राफ दिखाई दे रहा है, तब महंगाई की चुनौतियों के बीच छोटी बचत योजनाओं (स्मॉल सेविंग्स स्कीम) से मिलने वाले ब्याज से अपने जीवन की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने वाले करोड़ों लोग ब्याज दर नहीं बढ़ने से चिंतित दिखाई दे रहे हैं।


अर्थव्यवस्था : छोटी बचत पर बढ़ाएं ब्याज दर

ये लोग उम्मीद कर रहे थे कि जुलाई से सितम्बर 2022 के लिए छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों में बढोतरी की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। छोटी बचत से जुड़े लोग सरकार से यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि जब तक महंगाई का दौर बना रहे, तब तक कृपया छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में कुछ वृद्धि करके उन्हें महंगाई की चुनौतियों के बीच कुछ राहत अवश्य दी जाए।

गौरतलब है कि देश में महंगाई के नये आंकड़ों के मुताबिक माह मई 2022 में थोक महंगाई दर 15.88 फीसद और खुदरा महंगाई दर 7.04 फीसद के चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। ऐसे में सरकारी बॉन्डस पर करीब साढ़े साथ फीसदी का फायदा दिखाई दे रहा है, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अब तक 0.90 फीसद रेपो दर बढ़ा चुका है, बैंक एफडी पर करीब 0.50 फीसद से अधिक ब्याज दर बढ़ा चुके हैं, ऋण महंगे हो रहे हैं।

ज्ञातव्य है कि पिछले दो वर्षो में कोविड-19 की आर्थिक चुनौतियों से लेकर अब तक देश में आम आदमी, नौकरीपेशा वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग के सामने एक बड़ी चिंता उनकी छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर कम रहने की है। अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा और जीवन स्तर हेतु लिये गए सबसे जरूरी हाउसिंग लोन, ऑटो लोन, कन्ज्यूमर लोन आदि को चुकाने के लिए अधिक ब्याज व किस्तों की राशि में वृद्धि से बड़ी संख्या में लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। ऋण पर ज्यादा किस्त और ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ रहा है और कर्ज के भुगतान की किस्त चूक में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। भारतीय स्टेट बैंक के मुताबिक पिछले पूरे साल के मुकाबले मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल और मई दो महिनों में 60 फीसद होम लोन में डिफाल्ट देखा गया है।

यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि पिछले दो वर्षो से छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यदि हम छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाली मौजूदा ब्याज दरों को देखें तो पाते हैं कि इस समय बचत खाता पर 4 फीसद, एक से तीन साल की एफडी पर 5.5 फीसद, पांच साल की एफडी पर 6.7 फीसद, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर 7.4 फीसद, एमआईएस पर 6.6 फीसद, एनएससी पर 6.8 फीसद, पीपीएफ पर 7.1 फीसद, किसान विकास पत्र पर 6.9 फीसद, सुकन्या समृद्धि योजना पर 7.6 फीसद ब्याज दर देय है। यह भी उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर 8.1 फीसद ब्याज दर को अनुमति दी है। यह चार दशक से अधिक समय में सबसे कम ब्याज दर है। इस फैसले का लगभग पांच करोड़ ईपीएफ सदस्यों पर असर पड़ा है।

वस्तुत: देश में बचत की प्रवृत्ति के लाभ न केवल कम आय वर्ग के परिवारों के लिए हैं, वरन पूरे समाज व अर्थव्यवस्था के लिए भी हैं। हमारे देश में बचत की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि हमारे यहां विकसित देशों की तरह सामाजिक सुरक्षा का उपयुक्त ताना-बाना नहीं है। अभी भी देश में बड़ी संख्या में लोगों को सामाजिक सुरक्षा (सोशल प्रोटेक्शन) की छतरी उपलब्ध नहीं है। यद्यपि देश में छोटी बचत योजनाओं में ब्याज दर की कमाई का आकषर्ण घटने से वर्ष 2012-13 के बाद सकल घरेलू बचत दर (ग्रास डोमेस्टिक सेविंग रेट) लगातार घटती गई है, लेकिन अभी भी छोटी बचत योजनाएं अपनी विशेषताओं के कारण बड़ी संख्या में निम्न और मध्यम वर्गीय परिवारों के विश्वास और निवेश का माध्यम बनी हुई हैं।

गौरतलब है कि कोई 14 वर्ष पूर्व 2008 की वैश्विक मंदी का भारत पर कम असर होने का एक प्रमुख कारण भारतीयों की संतोषप्रद घरेलू बचत की स्थिति को माना गया था। फिर 2020 में महाआपदा कोविड-19 से जंग में भारत के लोगों की घरेलू बचत विसनीय हथियार के रूप में दिखाई दी। नेशनल सेविंग्स इंस्टीट्यूट (एनएसआई) के द्वारा भारत में निवेश की प्रवृत्ति से संबंधित रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां देश के लोगों के लिए छोटी बचत योजनाएं लाभप्रद हैं, वहीं इनका बड़ा निवेश अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभप्रद है।

निश्चित रूप से इस समय आसमान छूती महंगाई की चुनौतियों का सामना कर रहे देश के आम आदमी, नौकरीपेशा एवं निम्न मध्यम वर्ग के करोड़ों लोगों को उनके जीवन निर्वाह में मदद करने और उन्हें आर्थिक-सामाजिक निराशाओं से बचाने के लिए सरकार के द्वारा छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में इजाफा किए जाने की स्पष्ट आवश्यकता दिखाई दे रही है। निश्चित रूप से छोटी बचत योजनाओं पर महंगाई की भयावह चुनौतियों के बीच दो वर्ष बाद ब्याज दर बढ़ाने का निर्णय देश में बचत की प्रवृत्ति को बढ़ावा देगा। इससे बचत बढ़ेगी। बचत आधारित निवेश बढ़ेगा। सामाजिक सुरक्षा के लिए नया विश्वास पैदा होगा। कुल मिलाकर छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में वृद्धि आम आदमी से लेकर अर्थव्यवस्था की गतिशीलता के लिए शुभ संकेत होगी। यही वह प्रमुख आधार भी होगा, जिससे भारत तेज विकास दर वाले देश का तमगा भी प्राप्त कर सकेगा।

हम उम्मीद करें कि वित्त मंत्रालय के द्वारा तत्परतापूर्वक छोटी बचत की ब्याज दरों में बदलाव हेतु उपयुक्त समीक्षा की जाएगी और छोटी बचत योजनाओं पर अधिक ब्याज दरों को अधिसूचित किया जाएगा। इससे महंगाई की निराशाओं एवं मुश्किलों के बीच छोटी बचत करने वाले देश के करोड़ों लोगों के चेहरे पर छाई हुई चिंताएं कुछ कम हो सकेगी और साथ ही बचत की प्रवृत्ति बढ़ने से छोटी बचत योजनाओं के बढ़े हुए कोष से अर्थव्यवस्था के लिए लगातार विसनीय निवेश भी प्राप्त हो सकेगा।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी


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