नशा विरोधी अभियान : समाज सुधार की बड़ी प्राथमिकता

Last Updated 09 Jul 2022 07:34:23 AM IST

प्राय: आर्थिक प्रगति पर ही अधिक महत्त्व दिया जाता है, जबकि समाज-सुधार के पक्ष पीछे रह जाते हैं।


नशा विरोधी अभियान : समाज सुधार की बड़ी प्राथमिकता

इस विसंगति को दूर करने के लिए समाज-सुधार पर अधिक ध्यान देना जरूरी है। वैसे तो समाज-सुधार के कितने ही महत्त्वपूर्ण कार्य हैं, पर शराब विरोधी अभियान एक ऐसा कार्य है, जिससे समाज में एक साथ बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं-स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार होता है, अपराध और हिंसा में कमी आती है। महिलाओं की स्थिति अधिक सुरक्षित होती है व सभी तरह की दुर्घटनाओं विशेषकर सड़क दुर्घटनाओं में कमी आती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की शराब व स्वास्थ्य स्टेटस रिपोर्ट (2018) के अनुसार विश्व में वर्ष 2016 में शराब से 30 लाख मौतें हुई। विश्व में होने वाली सभी मौतों में से 5.3 प्रतिात मौतें शराब के कारण हुई। पुरुषों के संदर्भ में 23 लाख मौतें तथा महिलाओं के संदर्भ में 7 लाख मौतें शराब के कारण हुई। वर्ष 2016 में शराब के कारण हुई मौतों में से 28.7 प्रतिशत चोटों के कारण हुई, 21.3 प्रतिशत पाचन रोगों के कारण हुई, 19 प्रतिशत हृदय रोगों के कारण हुई, 12.9 प्रतिशत संक्रामक रोगों से हुई व 12.6 प्रतिशत कैंसर से हुई। 20 से 29 आयु वर्ग में होने वाली मौतों में से 13.5 प्रतिशत शराब के कारण होती हैं। सड़क दुर्घटनाओं में शराब के कारण वर्ष 2016 में 370000 मौतें हुई। इनमें से 187000 ऐसे व्यक्ति थे जो स्वयं गाड़ी नहीं चला रहे थे। शराब के कारण इस वर्ष 150000 आत्महत्याएं हुई व 90000 मौतें आपसी हिंसा में हुई। रिपोर्ट ने यह भी बताया कि 200 तरह की बीमारियों व चोटों में शराब का हानिकारक उपयोग एक कारण है। कुछ वर्ष पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक अन्य रिपोर्ट तैयार करवाई थी, जिसे हिंसा व स्वास्थ्य पर विश्व रिपोर्ट (हिंस्व रिपोर्ट) का शीषर्क दिया गया था। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि डिप्रेशन या अवसाद के लिए भी एल्कोहल एक महत्त्वपूर्ण कारक है।

रिपोर्ट के अनुसार एल्कोहल व नशीली दवाओं के दुरुपयोग की आत्महत्या में भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। संयुक्त राज्य अमेरिका में चार में से कम-से-कम एक आत्महत्याओं में एल्कोहल की भूमिका रिपोर्ट की गई है। हिंस्व रिपोर्ट ने घरेलू हिंसा पर अनेक अध्ययनों के आधार पर बताया है कि जो महिलाएं ज्यादा शराब पीने वालों के साथ रहती हैं उनके प्रति पति या पार्टनर की हिंसा की संभावना कहीं अधिक होती हैं। इसी रिपोर्ट के अनुसार इन अध्ययनों में यह भी बताया गया है कि शराब पीने वाले या पी रहे व्यक्ति हिंसा करते हैं तो उनके द्वारा की गई हिंसा अधिक भीषण होती है। इस रिपोर्ट में कनाडा के एक सव्रेक्षण के बारे में बताया गया है, जिससे पता चला है कि यदि शराब न पीने वालों के साथ रहने वाली महिलाओं की तुलना अधिक शराब पीने वालों के साथ रहने वाली महिलाओं से की जाए तो दूसरी श्रेणी वाली महिलाओं पर पति या पार्टनर के हमले या हिंसा की संभावना पांच गुणा बढ़ जाती है। हिंस्व रिपोर्ट के अनुसार यौन हिंसा के मामलों में हमलावर के संदर्भ में व जिस पर हमला हुआ है उसके संदर्भ में भी यह कहा जा सकता है कि एल्कोहल व नशीली दवा के उपभोग से बलात्कार सहित यौन हमले व हिंसा की आशंका बढ़ जाती है। विभिन्न देशों में होने वाले अध्ययनों में यह महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि 50 प्रतिशत से अािक यौन हिंसा व हमलों में शराब व नीली दवाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। शराब के हिंसा, अपराध व नजदीकी रिश्ते या संबंध टूटने के रूप में बहुत गंभीर सामाजिक दुष्परिणाम भी हैं। कुछ अध्ययनों ने शराब के इन सामाजिक दुष्परिणामों की आर्थिक कीमत लगाने का प्रयास किया है जिससे पता चलता है कि शराब के सामाजिक दुष्परिणाम कितने महंगे पड़ते हैं।
(1) यूरोपीयन यूनियन के लिए वर्ष 2003 में लगाए गए अनुमान में शराब के सामाजिक दुष्परिणामों की कीमत 125 अरब यूरो लगाई गई।
(2) केवल एक देश यूके के लिए वर्ष 2009 में लगाए गए अनुमान में शराब के सामाजिक दुष्परिणामों की कीमत 21 अरब पाऊंड लगाई गई।
(3) संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए वर्ष 2006 में शराब के सामाजिक दुष्परिणामों की कीमत 233 अरब डालर लगाई गई।
(4) दक्षिण अफ्रीका के लिए वर्ष 2009 में शराब के सामाजिक दुष्परिणामों की कीमत 300 अरब रैंड लगाई गई जो कि सकल राष्ट्रीय उत्पाद के 10 से 12 फीसद के बराबर थी।
यह आंकड़े बहुत अहम तो हैं पर इसके आगे यह भी कहना चाहिए कि शराब से उत्पन्न हिंसा में जितने लोग मारे जाते हैं या नजदीकी रिश्ते बिगड़ जाते हैं उससे उत्पन्न गहरे दुख-दर्द की तो कोई कीमत लगाई ही नहीं जा सकती है। यह क्षति तो असहनीय हद तक गहरा दुख-दर्द देने वाली हैं।

भारत डोगरा


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