रूस-यूक्रेन युद्ध : वैश्विक आर्थिक प्रभाव के बीच भारतीय रेल
यूक्रेन पर रूस के हमले के 100 दिन से अधिक दिन पूरे हो चुके हैं। रूस पर अमेरिका और यूरोपीय देशों ने पांच हजार से ज्यादा प्रतिबंध लगा रखे हैं।
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उसकी करीब 300 अरब डॉलर की संपत्तियों को जब्त किया जा चुका है। 1000 से ज्यादा कंपनियों ने रूस में व्यापार बंद कर दिया है। रूस के केंद्रीय बैंक के मुताबिक मुद्रास्फीति 18 फीसद के करीब है। वहीं यूक्रेन की जीडीपी 35 फीसद संकुचित हुई है।
ज्ञातव्य है कि रूस विश्व भर में तेल का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक (विश्व भर के तेल का 12 फीसद उत्पादन करने वाला) देश है। पहले और दूसरे स्थान पर क्रमश: अमेरिका (वैश्विक उत्पादन का 18 फीसद) और सऊदी अरब (वैश्विक उत्पादन का 13 फीसद) आते हैं। गौरतलब है कि रूस प्रतिदिन 70 से 80 लाख बैरल कच्चे तेल तथा सालाना 8500 अरब क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस (पूरे वैश्विक उत्पादन का 17 फीसद) का उत्पादन करता है। वह अपने उत्पादन का अधिकतर हिस्सा 40 फीसद गैस और 30 फीसद तेल यूरोपियन यूनियन को निर्यात करता है। रूस पर लगे प्रतिबंधों के कारण दुनिया भर में तेल और गैस की कीमतें आसमान पर हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि दुनिया को डर था कि युद्ध पश्चिम को रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रेरित करेगा। अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा रूसी तेल और गैस के आयात पर प्रतिबंध लगाने से पहले ही कुछ देशों ने अपनी खरीद रोक दी थी, जबकि अन्य घबराहट-खरीद में चले गए थे। 7 मार्च को कीमतें 14 साल के उच्च स्तर 140 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। तब से वे नीचे आई हैं, लेकिन थोड़ा ही। मोटे तौर पर गैस व कच्चे तेल की कीमतों में 25-30 फीसद का इजाफा हुआ है इससे हर चीज महंगी हुई है। श्रीलंका जैसे देश तो भीषण संकट में है।
भूख, दवा की कमी, इलाज नहीं मिलने और हमलों के कारण लोगों ने जान गंवाई है। दुनिया में ऊर्जा संकट गंभीर है। विकासशील व गरीब अफ्रीकी देशों पर इसका सबसे बुरा असर हुआ है। रूस पर प्रतिबंधों के कारण यूरोपीय बंदरगाहों का प्रयोग रूसी जहाज नहीं कर पा रहा है। र्वल्ड बैंक के आकलन के अनुसार इस महंगाई के चलते वर्ष 2022-23में जीडीपी वृद्धि दर गिरकर मात्र 6 फीसद रह सकती है। इसके अतिरिक्त काला सागर एवं मैरियूपोल शहर पर रूसी सेना का कब्जा हो चुका है इन सबके कारण यूक्रेन से दुनिया भर में निर्यात किए जाने वाले गेहूं का रास्ता बंद है, जिससे यूक्रेन के जहाजों की आवाजाही बंद हो गई है और उनमें निर्यात के लिए लदे हुए गेहूं सड़ने लगे हैं। इससे खासकर अफ्रीका में भुखमरी के हालात हैं। भारत रूस से अपनी खपत का मात्र 2 फीसद तेल आयात करता है। भारत कुल आयातित क्रूड आयल से पेट्रोलियम पदार्थ (जैसे पेट्रोकेमिकल एवं प्लास्टिक इत्यादि) का निर्माण कर लगभग 100 देशों को उनकी आपूर्ति करता है और यह निर्यात भारत के कुल निर्यात का 13 फीसद होता है। भारतीय बाजारों में भी एक समय 120 रुपये प्रति लीटर तक पेट्रोल की कीमत बढ़ गई थी, जिसका असर सभी खाद्य वस्तुओं, सब्जियों, फलों तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं पर पड़ा है। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से अनुरोध करके वैट कम करके महंगाई पर नियंत्रण करने का प्रयास किया है। तथापि कुछ भाजपाशासित राज्यों ने वैट कम नहीं किया है। वर्तमान समय में गैस की कीमत भी बढ़कर 1070 रु पये प्रति सिलेंडर तक पहुंच चुकी है। ऐसी स्थिति में भारतीय अर्थव्यवस्था का सुस्त हो जाना भी पूर्णतया प्रत्याशित था क्योंकि जब देश की अर्थव्यवस्था का अधिकांश भाग पेट्रोलियम एवं गैस की कीमत चुकाने में तो वस्तुओं एवं खाद्य पदाथरे इत्यादि के दाम बढ़ना लाजमी है तथा लोगों की क्रयशक्ति भी घटी है और मांग आपूर्ति श्रृंखला भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। इन सब विपरीत परिस्थितियों के होते हुए भी जहां तक रेलवे का संबंध है, रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन के चलते डीजल इंजनों के उपयोग को धीरे-धीरे कम करते हुए इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के प्रयोग/संचालन में उत्तरोत्तर वृद्धि करना रेलवे के सबसे भरोसेमंद, टिकाऊ तथा ऊर्जा दक्ष अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित होने के शुभ संकेत है।
वर्तमान में भारतीय रेल में यात्री एवं माल ढुलाई सेवा में लगभग 5000 डीजल इंजन कार्य कर रहे हैं, वहीं लगभग 8500 इलेक्ट्रिक इंजन कार्यरत हैं। यात्री एवं माल परिवहन में इलेक्ट्रिक इंजन के प्रयोग में उत्तरोत्तर वृद्धि का दूसरा महत्त्वपूर्ण लाभ पर्यावरण संरक्षण, हरित पर्यावरण अनुशीलन एवं प्रवर्धन तथा प्रदूषण में कमी के रूप में परिलक्षित हो रहा है। इलेक्ट्रिक कारों अथवा बसों के टायर/अन्य पार्ट्स का बियर टियर, सड़क की धूल से उत्सर्जित होने वाले कार्बन की तुलना में इलेक्ट्रिक लोको से चलने वाली ट्रेनें अपेक्षाकृत बहुत कम कार्बन उत्सर्जित करती हैं। पुनश्च: रेलवेज में सौर ऊर्जा का बढ़ता उपयोग मैत्रीपूर्ण पर्यावरण का विकास करेगा। तीसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इलेक्ट्रिफिकेशन और इलेक्ट्रिक लोको के प्रयोग की अधिकाधिक उपयोगिता इस बात पर ज्यादा निर्भर करेगी कि रेलवे अपनी यात्री परिवहन एवं माल ढुलाई सेवाओं को किस तरह और किस सीमा तक उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं के अनुरूप ढाल पाती है।
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