उपराष्ट्रपति का अफ्रीका दौरा : संबंधों को नया आयाम
भारत ने अफ्रीकी देशों के साथ अपने सदियों पुराने राजनैतिक, सामजिक एवं आर्थिक संबंधों को निरंतर कूटनीतिक पहलों के माध्यम से मजबूत करने के प्रयास किए हैं।
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इसी का परिणाम है कि वैश्विक संकट के समय में अफ्रीकी महाद्वीप तक पहुंचने में भारत की सक्रियता की सराहना कई अफ्रीकी देशों ने की है। कोविड महामारी से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने की भारत की मिशन सागर एवं मानवीय सहायता पहल कार्यक्रम ने भारत-अफ्रीका संबंध को पहले की तुलना में ओर अधिक मजबूत बना दिया है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू 30 मई से 3 जून, 2022 तक अफ्रीकी देशों गैबॉन और सेनेगल की पांच दिवसीय यात्रा से स्वदेश लौट आए हैं। उपराष्ट्रपति के स्तर पर इन देशों में भारत की यह पहली यात्रा रही। अपनी यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति नायडू ने गैबॉन के प्रधानमंत्री एच.ई. रोज क्रिस्टियन ओसौका रापोंडा, राष्ट्रपति एच.ई. अली बोंगो ओंडिम्बा समेत गणमान्य व्यक्तियों से मुलाकात की। व्यापारिक समुदाय के साथ ही गैबॉन में रहे लगभग 800 भारतीय प्रवासियों को भी संबोधित किया। ये प्रवासी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, व्यापार और लकड़ी और धातु स्क्रैप के निर्यात में लगे हुए हैं। अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने दोनों पक्षों के बीच व्यापार, निवेश, ऊर्जा, आईसीटी, क्षमता निर्माण, स्वास्थ्य, फार्मास्यूटिकल्स सहित अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए एक श्रृंखला बनाने की बात की। उन्होंने उन पचास से अधिक भारतीय कंपनियों के प्रतिनिधियों से भी बात की जो गैबॉन स्पेशल इकोनॉमिक जोन (जीएसईजेड) में कार्यरत हैं। दोनों पक्षों ने संयुक्त आयोग और राजनयिकों के प्रशिक्षण की स्थापना के लिए दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।
भारत और गैबॉन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य हैं। 2021-22 में दोनों देशों के बीच 1.12 अमेरिकी डॉलर द्विपक्षीय व्यापार रहा। भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) और आईसीसीआर योजनाओं के तहत गैबॉन नागरिक भारत में छात्रवृत्ति एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत शिक्षा प्राप्त करते हैं। उपराष्ट्रपति एक से 3 जून तक सेनेगल की यात्रा पर रहे। इस दौरान सेनेगल के राष्ट्रपति राष्ट्रपति और नेशनल असेंबली के अध्यक्ष एच.ई. श्री मुस्तफा निया से प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। व्यापार गोलमेज सम्मेलन में शिरकत की। भारतीय समुदाय को भी संबोधित किया। इस वर्ष भारत और सेनेगल राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वषर्गांठ मना रहे हैं। इस दौरान द्विपक्षीय साझेदारी को और गहरा करने के लिए तीन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। पहला समझौता ज्ञापन राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा मुक्त शासन से संबंधित है। दूसरा समझौता सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (सीईपी) के नवीनीकरण से संबंधित है। तीसरा समझौता ज्ञापन युवा मामलों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने का प्रयास करता है। भारत और सेनेगल की आबादी अपेक्षाकृत युवा है।
उपराष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि यह समझौता युवाओं के माध्यम से दोनों देशों के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी होगा। उन्होंने कहा कि अफ्रीका के आदर्श लोकतंत्रों में शुमार सेनेगल और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत के साझा मूल्य दोनों देशों के बीच मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंधों के आधार हैं। उपराष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत-सेनेगल के व्यापार में कोविड-19 महामारी के बावजूद पिछले एक वर्ष के दौरान 37% की वृद्धि के साथ द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 1.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कुल 16 लाइन ऑफ क्रेडिट और लगभग 305 मिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रेता क्रेडिट की पेशकश की है। उन्होंने विशेष रूप से कृषि, तेल और गैस, स्वास्थ्य, रेलवे, खनन, रक्षा, हरित ऊर्जा आदि के क्षेत्रों में व्यापार टोकरी में विविधता लाने का आह्वान किया। अफ्रीकी देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंध बताते हैं कि भारत इस महाद्वीप में अधिक रुचि रखता है। 2019-20 में भारत-अफ्रीका व्यापार बढ़कर लगभग 66.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। लगभग 8% भारतीय आयात अफ्रीका से और लगभग 9% अफ्रीका का आयात भारत से होता है।
हाल के वर्षो में, भारत ने ऋण और निवेश के अलावा, कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए प्रोजेक्ट मौसम, मिशन सागर आदि के माध्यम से अफ्रीका को पर्याप्त सहायता भी दी है। वैक्सीन मैत्री पहल के तहत भारत ने अफ्रीका के 42 देशों को मेड ऑफ इंडिया कोविड टीकों की 24.7 मिलियन खुराक की आपूर्ति की है। यह बताता है कि भारत अफ्रीका के साथ सार्थक रूप से जुड़ना चाहता है। अफ्रीका में लोकतांत्रिक प्रथाओं, प्रक्रियाओं, संस्थानों और लोगों से लोगों के जुड़ाव के लिए भारत के समर्थन का आकषर्ण ही अलग है। भारत को वहां भाषा और सांस्कृतिक आत्मीयता का भी फायदा मिल रहा है। किसी भी अन्य भाषा की तुलना में अफ्रीकी देशों में लोगों के बीच अंग्रेजी अधिक प्रचलित है, जिससे भारतीयों के लिए अफ्रीकी लोगों के साथ बातचीत करना आसान हो गया है। अफ्रीका में 3 मिलियन से अधिक भारतीय प्रवासी भी भारत के लिए अफ्रीकी देशों के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण रणनीतिक संपत्ति साबित होते हैं। अफ्रीका में आधा दर्जन से अधिक देश विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देश हैं। सेनेगल और तंजानिया, इसे दुनिया के विकास ध्रुवों में शुमार कराते हैं। अफ्रीकी महाद्वीप की आबादी एक अरब से अधिक है, जिसकी संयुक्त जीडीपी 2.5 ट्रिलियन डॉलर है, जो इसे एक बड़ा बाजार बनाती है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए भारत अफ्रीका के साथ संबंध मजबूत करने की दिशा में प्रयासरत है।
2008 में शुरू की गई भारत की शुल्क-मुक्त टैरिफ तरजीही योजना से 33 अफ्रीकी राष्ट्रों को लाभ हुआ है। भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन-अफ्रीकी-भारतीय संबंधों के लिए आधिकारिक मंच-भी इस निर्माण प्रक्रिया में योगदान दे रहा है। अतीत में हिंद महासागर में भौगोलिक निकटता और आसान नौगम्यता के परिणामस्वरूप यूरोपीय अन्वेषण से बहुत पहले भारत और अफ्रीका के बीच अच्छे व्यापार संबंध थे। भारत उन व्यापार संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के लिए विभिन्न कूटनीतिक पहलों के माध्यम से निरंतर कार्य कर रहा है।
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