उपलब्धि : महिलाओं को सबल किया मोदी ने

Last Updated 03 Jun 2022 02:21:47 AM IST

मानव जाति खुद का विकास करने में सक्षम है, यदि उसको कोई उसके बल की याद दिलाए। उसके कामों में आने वाले अर्थ आदि का व्यवधान न रहे।


उपलब्धि : महिलाओं को सबल किया मोदी ने

उसके मार्ग में सुगमता दिखे। वह पुरुष हो या महिला सब खुद में एक नई कृति, नई सोच, नया कार्य करने की क्षमता रखते हैं। महिलाओं के बारे में तो इसे और सबल ढंग से कहा जा सकता है। महिलाओं को परिवार व समाज में माहौल मिल जाए तो कोई ऐसा काम नहीं है, जिसे वे पुरुषों की अपेक्षा बेहतर न कर सकें। वर्तमान सरकार यही कर रही है, महिलाओं को आत्मबल देने का काम।
दरअसल, जब तक महिलाओं का विकास नहीं होता, तब तक राष्ट्र का संपूर्ण विकास कतई संभव नहीं है। इस बात को ही शायद आजादी के बाद सरकारों ने नहीं समझा और महिला को सिर्फ  अबला मानकर उसकी रक्षा के लिए कानून बनाकर मौन हो गई। इसे पहली बार समझने का काम किया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने। यही कारण है कि उनकी तमाम योजनाएं महिलाओं को आत्मबल देने पर केंद्रित थी और हैं यहां तक कि आज तो सरकारी योजना के तहत मिलने वाले आवास की चाभी भी महिला को सौंपी जाती है। यदि कोई सदियों से घूंघट की घुटन में जी रहा हो, उसे तुरंत पर्दे से बाहर लाकर हम दौड़ा नहीं सकते। वैसे ही आत्मबल भी है। यह एक दिन का काम नहीं है, जिसे तुरंत हवा की तरह भरे और वह फुल गया।
यह धीरे-धीरे चलने वाली प्रक्रिया है, जिसका प्रतिफल एक साल में दिखना तो शुरू हो जाता है, लेकिन मूल परिणाम आने में दशकों लग जाते हैं। किसी भी समाज के विकास के लिए पहली जरूरत होती है, शिक्षित होना। इसकी सोच प्रधानमंत्री ने पहले ही पाल रखी थी और सत्तासीन होते ही 22 जनवरी 2015 को उन्होंने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना की शुरुआत की। इसका मुख्य उद्देश्य बेटियों को उच्च शिक्षा प्रदान किया जाना, उन्हें सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ाना है।

आज गांव-गांव में यह गूंज दिख जाती है, ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ।’ वहीं महिलाओं को धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने एक मई 2016 को उज्ज्वला योजना की शुरुआत कर दी। गरीब परिवारों की महिलाओं को भी धुआं से मुक्ति दिलाना। इस योजना का परिणाम रहा कि पिछले पांच वर्षो में ही इस योजना के तहत पिछले 4 वर्षो में इस योजना के अंतर्गत लगभग 8 करोड़ एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। अब उपभोक्ताओं की संख्या 30 करोड़ के लगभग हो गई है। इसी तरह यूपी सरकार ने भी महिलाओं को समृद्ध बनाने की फिक्र करते हुए महिला सामथ्र्य योजना की शुरुआत 22 फरवरी 2021 को की। इसका उद्देश्य महिलाओं को रोजगार देकर उनमें आत्मबल पैदा करना है। 22 जनवरी 2015 को शुरू किए गए ‘सुकन्या समृद्धि’ योजना के तहत बेटियों के नाम बैंक खाता खुलवाने की प्रक्रिया शुरू की, जिससे बेटियों की शादी बोझ न बने। इसके अलावा सरकार ने फ्री सिलाई मशीन योजना, समर्थ योजना, सुरक्षित मातृत्व योजना की भी शुरुआत की। समर्थ योजना के तहत वस्त्र उद्योग में महिलाओं को आत्मबल पैदा करना है। केंद्र सरकार द्वारा 20 दिसम्बर 2017 में शुरू की गई योजना में 18 राज्यों में तीन करोड़ से ज्यादा महिलाओं को वस्त्र उद्योग से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन तमाम योजनाओं का एकमात्र उद्देश्य महिलाओं में आत्मबल पैदा करना है, जिससे वे खुद के पैरों पर खड़ी हो सकें। वे किसी पर बोझ नहीं, बल्कि किसी का बोझ कम करने में सहभागी की भूमिका निभा सकें। सबसे ज्यादा ध्यान देने योग्य बात है कि देश और कई प्रदेशों की बागडोर महिलाओं के हाथों में भी रही है, लेकिन कभी महिलाओं ने महिला विकास पर ध्यान नहीं दिया। शायद इसका कारण यही रहा कि उनमें अहम की भावना कूट-कूट कर भरी थी। यूपी में बसपा प्रमुख द्वारा कभी किसी महिला को मंत्रालय में तवज्जो न देना, इंदिरा गांधी द्वारा कभी महिलाओं के उत्थान के लिए काम न करना, इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
महिलाओं के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जितनी चिंता की, उतनी किसी ने नहीं की। इसमें विशेषकर ऐसी पार्टी, जिसके प्रमुख महिलाएं हैं, उनके लिए शर्म की बात होनी चाहिए। इस दृष्टि से महिलाओं की चिंता देखें तो घर-परिवार में भी कई बार महिलाओं की विरोधी महिलाएं ही हो जाती हैं। जैसे सास-बहू का झगड़ा। एक ही नारी का ननद के रूप में दूसरा व्यवहार तो भाभी के रूप में दूसरा व्यवहार हो जाता है। इस तरह की संस्कृति में भी धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है, लेकिन इसे और बदलने की जरूरत है। यह सब धीरे-धीरे होने वाली चीजें हैं। इसको भावनाओं में बदलाव लाकर ही बदला जा सकता है। किसी कानून से नहीं। प्रधानमंत्री ने इसी तरह से तमाम भावनाओं को भी बदलने का काम किया है, जिसका असर अब चारों तरफ दिख रहा है। प्रधानमंत्री ने महिलाओं को बताया कि तुम अबला नहीं, सबला हो। तुम उठो तो राष्ट्र उठेगा। यदि तू सो गई तो राष्ट्र सो जाएगा।

स्वाति सिंह


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