टीकाकरण : टकराव से बचने की जरूरत

Last Updated 14 Jan 2021 12:27:50 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद कोविड टीकाकरण की तारीख तय कर दी गई है।


टीकाकरण : टकराव से बचने की जरूरत

विस्तृत समीक्षा के बाद निर्णय लिया गया कि लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, माघ, बिहू आदि सहित आगामी त्यौहारों को देखते हुए कोविड-19 टीकाकरण 16 जनवरी, 2021 से शुरू किया जाएगा। ‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं’ नियम का पालन करके भारत ने काफी हद तक कोरोना वायरस पर काबू पा लिया है। हालांकि, इस वायरस पर तब तक पूरी तरह से जीत हासिल नहीं की जा सकती जब तक सभी लोगों का टीकाकरण न हो जाए। सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है।
निश्चित रूप से टीकाकरण की खबर उम्मीद बढ़ाने वाली है। हालांकि इस बीच बकाया वेतन को लेकर राजधानी दिल्ली के तीनों निगमों में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू होने की खबरें भी सामने आई हैं। चिंताजनक बात यह है कि इस हड़ताल में टीकाकरण अभियान में कार्य करने वाले स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल हैं। इतना ही नहीं, हड़ताल पर जाने वालों में सफाई कर्मचारियों के साथ-साथ शिक्षक और निगम कार्यालयों में काम करने वाले कर्मी भी शामिल हैं। कोरोना से लड़ाई के इस अहम पड़ाव पर टकराव की ऐसी खबरें चिंताजनक है। ऐसे में सरकार और प्रशासन को चाहिए कि उनकी जायज मांगों को गंभीरतापूर्वक सुनें और उनकी समस्याओं का निराकरण करें। दरअसल, हमें समझना होगा कि ये ऐसे योद्धा हैं, जो कोरोना वायरस से लड़ाई में अग्रिम मोचरे पर तैनात रहे हैं। जान की परवाह किए बगैर इन्होंने दिन-रात काम किया है। कोरोना मरीजों की सेवा की है। और उनकी जान बचाई है। बावजूद इसके उन्हें समय पर वेतन नहीं मिलता है तो संबद्ध विभाग को इस समस्या का तत्काल समाधान ढूंढ़ना चाहिए। ऐसा नहीं है कि दिल्ली के तीनों निगमों में पहली बार ऐसी स्थिति आई है। पहले भी टकराव की ऐसी स्थिति बनी हैं, जिनके कारण कर्मचारी हड़ताल पर गए। देश के अन्य हिस्सों से भी ऐसी खबरें सामने आती रही हैं,  जिनमें बताया गया है कि आवश्यक सेवा में लगे कर्मचारी, समय पर वेतन नहीं मिलने के कारण हड़ताल पर चले गए हैं। हाल में एम्स, दिल्ली में भी स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल पर चले गए थे।

दरअसल, हमें समझना होगा कि चिकित्सा अति आवश्यक सेवा में आती है। स्वास्थ्य से जुड़ी चीजों को हम कभी अनदेखा नहीं कर सकते। हर इंसान के जीवन में स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता होती है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मचारियों के जीवन से जुड़ी आवश्यकताओं पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है। अगर ऐसा नहीं होगा तो टकराव की स्थिति बनेगी ही और कर्मचारी हड़ताल पर भी चले जाएंगे। इससे हालत सुधरने के बजाय बिगड़ेगी ही। ऐसे में संबद्ध विभाग को हालात को बिगड़ने से बचाने और स्थिति को सुधारने के लिए प्रयास करना चाहिए।
कोरोना वायरस के कारण देश में सिर्फ  स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या ही सामने नहीं आई है, बल्कि इस वायरस के कारण देश को कई अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में चिकित्सा और सेवा से जुड़े कर्मचारियों को भी चाहिए कि वे वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखें। ऐसे में कर्मचारियों को अड़ियल रवैया छोड़ना चाहिए और सहानुभूतिपूर्वक दूसरे पक्ष की बात भी सुननी चाहिए। कोविड-19 टीकाकरण के अभियान में लगभग तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मिंयों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों, उसके बाद पचास वर्ष से अधिक आयु के लोगों और सह-रु ग्णता वाले पचास वर्ष से कम आयु के जनसंख्या समूहों को प्राथमिकता दी जाएगी। सह-रु ग्णता वाले पचास वर्ष से कम आयु के जनसंख्या समूहों की संख्या लगभग सत्ताइस करोड़ है। कहना न होगा कि यह टीका रोग से बचाव और प्रतिरोधक क्षमता को मजूबती देगा।
कोरोना वायरस पर हमें जीत हासिल करना ही है। इसके लिए ‘कड़ाई’ की जरूरत है, और यह ‘कड़ाई’ तभी संभव है जब टीकाकरण का काम सफलतापूर्वक पूरा हो जाए। ऐसे में चिकित्सा और आवश्यक सेवा सहित इस काम में लगे कर्मचारियों और व्यवस्थापकों को चाहिए कि जब तक यह काम पूरा नहीं हो जाता तब तक टकराव की स्थिति से बच कर रहें। अगर टकराव से बचेंगे और एकजुट होंगे तो निश्चित रूप से हम कोरोना वायरस की इस कठिन चुनौती को पार कर जाएंगे।

चंदन कु. चौधरी


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