अर्थव्यवस्था : नवाचार में दिख रही ऊंचाइयां
यकीनन कोविड-19 के बीच भारत के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), नवाचार (इनोवेशन) और नई तकनीक विशेषज्ञता के साथ आगे बढ़ने का सुकूनभरा परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है।
अर्थव्यवस्था : नवाचार में दिख रही ऊंचाइयां |
इन दिनों पूरे देश और पूरी दुनिया के करोड़ों लोगों के द्वारा भारत के एआई में आगे बढ़ने तथा नवाचार और तकनीकी विकास में ऊंचाई प्राप्त करने संबंधी रिपोटरे को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा हैं।
गौरतलब है कि हाल ही में एआई की संभावनाओं को लेकर आयोजित वर्चुअल शिखर सम्मेलन रेज-2020 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एआई के क्षेत्र में भारत की नई क्रांति की इबारत को रेखांकित किया है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम भारत को एआई का ग्लोबल हब बनाना चाहते हैं। हम देश में सिर्फ ऐसी मशीनों, तकनीकों, सेवाओं और उत्पादों का प्रयोग करने तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि हम उनका निर्माण और विकास दुनिया के लिए करेंगे। इसी परिप्रेक्ष्य में भारत में एआई को नई शिक्षा प्रणाली के साथ इस तरह जोड़ा गया है कि बहुत बड़ी संख्या में इसमें कुशल पेशेवरों को तैयार किया जा सके। यह उल्लेखनीय है कि तकनीकी विकास और नवाचार से संबंधित वैश्विक रिपोटरे में भारत की ऊंचाई लगातार बढ़ रही है। पिछले दिनों प्रकाशित प्रसिद्ध कंसलटेंसी फर्म केपीएमजी के 2020 ग्लोबल टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री इनोवेशन सर्वे के मुताबिक आर्टििफशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निग, ब्लॉकचेन इंटरनेट ऑफ थिंग्स के क्षेत्र में नई खोजों और अनुसंधान के मामले में भारत दुनिया में चीन के साथ दूसरे नंबर पर है।
इसी तरह हाल ही में ब्लूमबर्ग के द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट में दुनिया के 135 देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नवाचार (इनोवेशन) के आधार पर जिन पांच समूह में विभाजित किया गया है, उनके तहत भारत तीसरे समूह के देशों में शामिल किया गया हैं। वैश्विक इनोवेशन रैंकिंग का यह वर्णीकरण संस्थाओं की गुणवत्ता, आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजनेस क्लाइडमेट एवं मानव संसाधन के आधार पर किया गया है। यदि हम विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा जारी वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स जीआईआई) 2020 को देखें, तो पाते हैं कि इस इंडेक्स में भारत चार पायदान ऊपर चढ़कर 48वें स्थान पर पहुंच गया है और भारत ने शीर्ष 50 देशों में अपनी जगह बना ली है। ज्ञातव्य है कि भारत लगातार 10 साल से वैश्विक नवाचार क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने वाला देश है। नये वैश्विक ग्लोबल इंडेक्स के तहत भारत में कारोबारी विशेषज्ञता, रचनात्मकता, राजनीतिक और संचालन से जुड़ी स्थिरता, सरकार की प्रभावशीलता और दिवालियापन की समस्या को हल करने में आसानी जैसे संकेतकों में अच्छे सुधार किए हैं। साथ ही भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था, घरेलू कारोबार में सरलता, स्टार्टअप, विदेशी निवेश, जैसे मानकों में भी बड़ा सुधार दिखाई दिया है।
यह बात महत्त्वपूर्ण है कि कोविड-19 ने सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति के लिए एआई उपयोग तथा शोध एवं तकनीकी विकास के महत्त्व को बहुत तेजी से आगे बढ़ाया है। कोविड-19 के मद्देनजर लॉकडाउन के कारण विभिन्न तकनीकी रु झानों में अप्रत्याशित तेजी आई है। दुनियाभर में उद्योग-कारोबार, शिक्षा, स्वास्थ्य टेली मेडिसिन एवं मनोरंजन के मामलों में डिजिटलीकरण तेजी से आगे बढ़ा है। तकनीक के जुड़े नये-नये कारोबारी मॉडल आगे बढ़े हैं। एक ऐसे समय में जब कोरोना महामारी के कारण दुनियाभर में शोध एवं नवाचार गतिविधियों को मजबूती मिली है। ऐसे में नवाचार में भारत का आगे बढ़ना सुकूनभरा परिदृश्य है। वस्तुत: जीआईआई ऐसा वैश्विक सूचकांक है, जिस पर पूरी दुनिया के उद्योग-कारोबार की निगाहें लगी होती हैं। जीआईआई के कारण विभिन्न देशों को सार्वजनिक नीति बनाने से लेकर उत्पादकता में सुधार और नौकरियों में वृद्धि में सहायता मिलती है। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि भारत में लगातार नवाचार बढ़ने से अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय आईटी प्रतिभाओं के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत में अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से बढ़ाते हुए दिखाई दे रही हैं।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध और विकास को बढ़ावा देने के लिए लागत और प्रतिभा के अलावा नई प्रोद्यौगिकी पर इनोवेशन और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते हुए भी वैश्विक कंपनियां भारत का रूख कर रही हैं। यदि हम चाहते हैं कि भारत कोविड-19 की चुनौतियों के बीच अपनी एआई और नवाचार की बढ़ती हुई शक्ति से देश और दुनिया में उभरते हुए आर्थिक मौकों को अपनी मुट्ठियों में कर ले तो हमें कई बातों पर ध्यान देना होगा। हमारे द्वारा नवाचार में आगे बढ़ने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) पर खर्च बढ़ाया जाना होगा। भारत में आरएंडडी पर खर्च की राशि जीडीपी के एक फीसद से भी कम करीब 0.7 फीसद के लगभग ही है।
आरएंडडी खर्च की दृष्टि से इजरायल, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, चीन और जापान जैसे देश भारत से बहुत आगे है। इतना ही नहीं भारत में आरएंडडी पर जितनी राशि खर्च होती है; उसमें इंडस्ट्री का योगदान काफी कम है, जबकि अमेरिका, इजरायल, चीन सहित विभिन्न देशों में यह काफी अधिक है।
हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि हमारे देश की प्रतिभाओं के साथ-साथ कोविड-19 के कारण घर लौटती भारतीय प्रतिभाओं की मदद एआई, शोध एवं नवाचार में ली जाए। भारतीय उद्योगों को वैश्विक स्तर पर ऊंचाई देने के लिए उद्योगों को नये अविष्कारों, खोज से परिचित कराने के मद्देनजर सीएसआईआर, डीआरडीओ और इसरो जैसे शीर्ष संस्थानों की भूमिका को महत्त्वपूर्ण बनाना होगा। अभी एआई, तकनीकी विकास और नवाचार के कई क्षेत्रों में व्यापक सुधार की जरूरत है। हमारे पास एआई शोध एवं तकनीकी विकास में वैश्विक ऊंचाई प्राप्त करने की भारी क्षमताएं हैं। हमें एआई शोध एवं नवाचार तकनीकी विकास में अपनी स्थिति और मजबूत करनी होगी। ऐसा करने पर ही भारत में विदेशी निवेश बढ़ेगा, भारत में वैश्विक कंपनियों का प्रवाह बढ़ेगा तथा भारतीय उद्योग कारोबार सहित पूरी अर्थव्यवस्था लाभांवित होगी।
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