वैश्विकी : कोरोना से हारे ट्रंप

Last Updated 04 Oct 2020 12:10:00 AM IST

अमेरिका का प्रथम नागरिक कोरोना वायरस का मरीज नंबर एक बन गया है।


वैश्विकी : कोरोना से हारे ट्रंप

राष्ट्रपति पद के चुनाव के ठीक एक महीना पहले डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप वायरस से संक्रमित पाए गए हैं और वे एकांतवास में चले गए हैं। वाद-विवाद और कटुता के बीच हो रहे इस चुनाव में यह सबसे बड़ी घटना मानी जा रही है, जिससे चुनाव परिणाम को लेकर अनिश्चितता और बढ़ गई है।
स्वयं ट्रंप ने एक ट्विट के जरिये अपने और अपनी पत्नी के संक्रमित होने की सूचना अमेरिकी जनता को दी। कुछ ही घंटों में इस ट्विट के लाखों-लाख रि-ट्वीट किए गए तथा चारों ओर से स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनाएं आने लगीं। ट्रंप ने लिखा, मैं और मेरी पत्नी दोनों एक साथ इस संक्रमण का मुकाबला करेंगे और जीतेंगे। इस ट्विट में एक मार्मिक संदेश भी था। अमेरिकी समाज के परंपरावादी तबके में परिवार को बहुत महत्त्व दिया जाता है। ट्रंप ने अपनी बीमारी का मुकाबला करने में परिवार की पवित्र धारणा का जिक्र किया है, जिसका सकारात्मक असर होगा।

फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप का संक्रमण सामान्य है, मध्यम दरजे का है या गंभीर है। यदि संक्रमण मामूली है तो वह कुछ ही हफ्तों में फिर चुनावी मैदान में कूद पड़ेंगे। संक्रमण गंभीर होने की स्थिति में उनका चुनाव अभियान प्रभावित हो सकता है। कहने के लिए ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार हैं, लेकिन वास्तव में वह वन मैन आर्मी की तरह हैं। अपनी सारी कमियों और खूबियों के साथ ट्रंप जनता से सीधा सवाल करते हैं। देश की मुख्यधारा की मीडिया शुरू से ही उनके विरुद्ध है, लेकिन इसका मुकाबला वह अपने ट्विटर एकाउंट के जरिये कारगर तरीके से करते हैं। इसी माध्यम से एकांतवास के दौरान भी वह जनता से संवाद कर रहे हैं। अपने नवीनतम संदेश में उन्होंने कुशलक्षेम की शुभकामना देने वाले लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि वह शीघ्र ही स्वस्थ हो जाएंगे।
चुनाव अभियान आगे क्या रूप लेगा, यह अनिश्चित है। अभी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच दो डिबेट होनी है। अगली डिबेट 15 अक्टूबर को है। संभावना है कि वह स्थगित हो जाए। 74 वर्षीय ट्रंप यदि जल्द ही एकांतवास से बाहर आते हैं तो भी यह सवाल बना रहेगा कि वह पहले जैसे ऊर्जा और दमखम कायम रखते हैं या नहीं। किसी अन्य लोकतांत्रिक देश में यदि ऐसा घटनाक्रम होता तो चुनाव आयुक्त चुनाव को टाल सकता था, लेकिन अमेरिका में चुनाव टालने का अधिकार केवल संसद (कांग्रेस) को है। इसके लिए भी कानून बनाने की बाध्यता है। संसद के निचले सदन में विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत है। जबकि सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है। चुनाव टलने की संभावना नगण्य है। विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी को पूरा विश्वास है कि उसके उम्मीदवार जो बाइडन ट्रंप को आसानी से पराजित कर देंगे। जनमत सव्रे भी बाइडन को आसान बढ़त दे रहे हैं। ऐसे में डेमोक्रेटिक पार्टी चाहेगी कि चुनाव इसी माहौल में हो जाए।
ट्रंप के संक्रमण ने महामारी से निपटने में उनके प्रयासों को चर्चा का प्रमुख विषय बना दिया है। पिछली डिबेट में बाइडन ने 70 लाख लोगों के संक्रमित होने और 2 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु होने को लेकर ट्रंप की कोरोना नीति पर सवाल उठाया था। वास्तव में महामारी का मुकाबला करने में ट्रंप ने बहुत सी गलतियां की और नासमझी दिखाई। महामारी के विरुद्ध अभियान में उन्होंने देश के सर्वप्रमुख चिकित्सा प्रमुख डॉ. एंथोनी फाउसी की सेवाएं हासिल की, लेकिन फिर भी वह लोगों को आश्वस्त नहीं कर पाए। उनका सबसे पहले यह रुख था कि अमेरिका लॉकडाउन के लिए नहीं बना है। उन्होंने हाइड्रोक्लोरोक्विन को कोरोना की रामबाण दवा बताया, जिसे लेकर भी उनकी बड़ी जगहंसाई हुई। इसलिए उम्मीद कम है कि ट्रंप को संक्रमण के चलते सहानुभूति के वोट मिलेंगे।
चुनाव के बाद नतीजों को लेकर भी अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया में एक आशंका बनी हुई है। नतीजों को परस्पर विरोधी उम्मीदवार स्वीकार करेंगे या नहीं, सत्ता हस्तांतरण सहज तरीके से हो पाएगा या नहीं इसे लेकर आशंका बनी हुई है। इस स्थिति की गंभीरता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि सेना की भूमिका की चर्चा भी हो रही है। अमेरिका में ऐसा पहली बार हो रहा है। भले ही इसकी नौबत न आए लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि चुनाव नतीजों को लेकर कानूनी लड़ाई अवश्य होगी।

डॉ. दिलीप चौबे


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