मुद्दा : मोदी और मुसलमान

Last Updated 17 Sep 2020 02:49:49 AM IST

लगातार एक मिथक शर्मनाक ढंग से फैलाया जाता रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुस्लिम समुदाय के साथ संबंध बेहद खराब है।


मुद्दा : मोदी और मुसलमान

इस धारणा और प्रचार के खिलाफ कोई बोलता है, तो उसे तिरस्कार/उपहास का सामना करना पड़ता है। इस मसले को बीस वर्षों से नजदीकी से देखते आया हूं। मुझे लगा कि इस झूठे कथन पर बात करने का सही समय यही है। मोदी को मुस्लिम विरोधी चित्रित करने का अभियान तथ्यों के सामने विफल हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रशासनिक और राजनीतिक जीवन में हर कदम पर मुस्लिम समुदाय के भले के लिए वो सब किया जो वो कर सकते थे। हां, उनके काम करने की शैली पारंपरिक शैली से मेल नहीं खाती, इसके बजाय तुष्टीकरण और प्रतीकवाद के बिना सशक्तिकरण कैसे किया जा सकता है, इसके लिए एक नया विकल्प प्रदान करती है। मोदी का घर वड़नगर के जिस इलाके में है, वो मुस्लिम बहुल इलाका है। उनके पुराने मित्रों में कुछ मुस्लिम मित्र भी हैं। जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब राज्य के दो जिलों-कच्छ और भरूच-का व्यापक विकास हुआ। मुस्लिमों की अच्छी आबादी वाले ये दोनों जिले देश के तेजी से विकास करने वाले जिलों में शुमार हो गए। गुजरात में मेरे हिंदू और मुसलमान दोस्त अक्सर मुझे मुस्लिम समुदाय से जुड़े प्रमुख  स्थलों  के विकास के बारे में मोदी द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में बताते  हैं। मोदी पूरे देश के नेता हैं, किसी विशिष्ट समूह के नेता नहीं हैं। मैं जॉर्डन के शासक अब्दुल्ला द्वितीय की उपस्थिति में दिल्ली में आयोजित इस्लामिक विरासत सम्मेलन में मोदी के कहे शब्दों को कभी नहीं भूल सकता। उन्होंने कहा था कि युवा मुसलमानों को पवित्र कुरान और कंप्यूटर का पूरा ज्ञान होना चाहिए। उनके शब्दों ने समुदाय को व्यापक रूप से प्रतिध्वनित किया। मैं मुस्लिम स्टार्टअप उद्यमियों की बढ़ती संख्या को देख रहा हूं, जो उभरते भारत की सफलता की कहानी का हिस्सा बनने को उत्सुक हैं।

नेतृत्व का मूल मानव की गरिमा का सम्मान करना है। प्रधानमंत्री मोदी के तीन तलाक समाप्त करने के एकल कदम ने सुनिश्चित किया है कि मुस्लिम महिलाओं की पीढ़ियां बेहतर जीवन जिएंगी। बिना मेहरम महिलाओं को हज के लिए जाने का निर्णय भी महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में बढ़ाया गया कदम है। मोदी देश में शांति, एकता और सद्भाव के लिए अजमेर शरीफ में सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह  पर ‘चादर’ भिजवाते हैं। सभी वगरे के पूजनीय जनों और सूफी-संतों के प्रति उनके मन में अगाध  सम्मान है। पिछले कुछ वर्षों से कुछ प्रबुद्ध वगरे के बीच मोदी से नफरत करने (एक कड़वा सच) का चलन सा बन गया है। मैं विनम्रतापूर्वक उनसे पूछना चाहता हूं-आप कब रुकेंगे?
वर्ष 2002 के बाद सर्वोच्च न्यायालय से कम स्तर पर जांच-पड़ताल नहीं की गई। नानावटी आयोग बनाया गया था। एक विशेष जांच दल भी गठित किया गया था, जिसके सामने मोदी खुद घंटों मौजूद रहते थे। आयोग और जांच दल द्वारा एकत्रित जानकारी और तथ्य सबके सामने हैं। फिर भी किसी भी निष्कर्ष पर विास नहीं किया जाता। वे लोग अभी भी एक व्यक्ति को बदनाम करने के लिए ‘नरसंहार’ जैसे निष्ठुर शब्द प्रयोग करना पसंद करते हैं।  मोदी की अगुवाई वाली विदेश नीति की कई व्याख्याएं हैं, लेकिन तथ्य है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में मुस्लिम देशों के साथ भारत के उत्कृष्ट संबंध हैं। बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात, फिलिस्तीन, सऊदी अरब और अफगानिस्तान ने प्रधानमंत्री मोदी को अपना सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया है। क्या कोई मोदी की यूएई में ग्रेंड मस्जिद की विशेष यात्रा को भूल सकता है? क्या हम यंगून में बहादुर शाह जफर के मजार पर प्रधानमंत्री के पहुंचने की घटना को भूल सकते हैं?
आज के मुस्लिम विशेषकर कम उम्र के लोग पुराने तरीके के वोट बैंक की राजनीति से तंग आ गए हैं। निहित स्वार्थी लोग उनका वोट ले लेते हैं और उन्हें धमकाते हैं लेकिन उनके लिए कुछ नहीं करते। समुदाय समृद्धि और अवसर चाहता है। वोट बैंक की राजनीति करने वाले ‘दुकानदारों’ की दुकान बंद कराने का यही उचित समय है। एक नये भारत में यह आकांक्षा और समावेश का संवाद है, जो बोलेगा। नरेन्द्र मोदी ने एक शुरुआत की है। हमें उनका समर्थन करना चाहिए और इस महान देश को मजबूत बनाना चाहिए जिसने हमें बहुत कुछ दिया है।
(लेखक अजमेर की दरगाह ख्वाजा साहब, दरगाह समिति के अध्यक्ष हैं)

अमीन पठान


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