सरोकार : नस्लीय भेदभाव का महिलाओं पर असर
अफ्रीकी अमेरिकी लोगों में डिमनेशिया और अल्जाइमर्स जैसी बीमारियां श्वेत अमेरिकियों के मुकाबले अधिक होती हैं।
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बहुत अधिक तनाव और संज्ञान संबंधी (कॉग्निटिव) विकलांगता तथा दिमाग के याद रखने वाले हिस्से का सिकुड़ना इसका एक कारण हो सकता है, लेकिन इसका एक कारण नस्लवाद भी है।
अफ्रीकी अमेरिकी महिलाओं के लिए यह समस्या विशेष रूप से खतरनाक हो सकती है। बोस्टन विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में कहा गया है कि नस्लवाद के कारण प्रसव निश्चित समय से पहले हो जाता है। इससे मोटापा, टाइप 2 मधुमेह, गर्भाशय में फाइब्रॉएड, अस्थमा और अनिद्रा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
बोस्टन विश्वविद्यालय के ब्लैक विमेन हेल्थ स्टडी में पिछले 25 सालों में 59 हजार से अधिक महिलाओं को शामिल किया गया है। विश्वविद्यालय के हालिया अध्ययन से पता चला है कि नस्लवाद अफ्रीकी अमेरिकी महिलाओं के मस्तिष्क को प्रभावित करता है। उनमें संज्ञान संबंधी विकलांगता उत्पन्न हो सकती है। अध्ययन में लोगों से पूछा गया कि लोगों और संस्थाओं की ओर से नस्लवादी भेदभाव करने का उन पर क्या असर होता है। लोगों के सिलसिले में यह सवाल पूछा गया कि क्या अक्सर लोग उनके साथ ऐसा व्यवहार करते हैं कि वे उनसे डरते हैं।
संस्थागत भेदभाव के बारे में उन लोगों से पूछा गया कि क्या पुलिस वाले उनके साथ बुरा व्यवहार करते हैं, या जब वे नौकरी या मकान ढूंढने जाती हैं, तो उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। वैसे लोगों में याद रखने, नई चीजें सीखने की क्षमता उम्र के साथ कम होती जाती है। लेकिन इस अध्ययन में ऐसे लक्षण वाली महिलाओं की उम्र 38 वर्ष या उससे कम थी। यूं ऐसे ही कुछ अध्ययन और भी हुए हैं। माइनॉरिटी एजिंग रिसर्च स्टडी में भी ऐसी ही बात उभर कर आई। इसके अलावा हेल्थ एंड रिटायरमेंट स्टडी में भी कहा गया कि इससे नस्लवाद से महिलाओं की स्मरण शक्ति प्रभावित होती है।
इन अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि भेदभाव महिलाओं को किस तरह मानसिक रूप से तोड़ता है। इसकी एक छोटी सी मिसाल है-एक महिला से ‘सुंदर दिखने’ और ‘एक महिला की तरह पेश आने’ की अपेक्षा करना। उन्हें यह सलाह दी जाती है कि उन्हें अपनी बात पर बहुत ज्यादा नहीं अड़ना चाहिए। अक्सर लोग ऐसे वाक्यों का प्रयोग करते हैं, जिनमें स्त्री जैसा होना शर्म की बात कही जाती है। जैसे किसी पुरु ष को कहना कि वह लड़कियों की तरह चलता है, या किसी के डर जाने पर कहा कि वह लड़कियों की तरह घबराता है। ये वाक्य दरअसल, महिलाओं का अपमान करते हैं। इसके अलावा, भेदभाव का सबसे घातक रूप है, उसे सेक्सुअल ऑब्जेक्ट की तरह देखना। किसी भी लड़की या महिला पर सेक्सुअल टिप्पणी करना या उसे अनुचित तरीके से छूना।
इसका क्या असर हो सकता है? 2019 में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के एक अध्ययन में यह पाया गया कि 16 वर्ष की आयु जिन लड़कियों के साथ ऐसा भेदभाव किया जाता है, वे बाद के वर्षो में ज्यादा उदास होने लगती हैं और उनका मानसिक स्वास्थ्य पर तीन गुना जोखिम बढ़ जाता है। धीरे-धीरे वे अपने आप को दूसरों से कम समझने लगती हैं। यह उनमें कम होते आत्मविश्वास का संकेत है।
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