वैश्विकी : जोश में ट्रंप
चुनाव वर्ष में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से खेला गया दांव उल्टा सिद्ध हुआ है।
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पिछले एक सप्ताह के दौरान हर मोर्चे पर ऐसा घटनाक्रम हुआ जो ट्रम्प के पक्ष में जाता है। सीनेट ने राष्ट्रपति के खिलाफ लाये गये महाभियोग की कार्रवाई को नकार दिया। सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है और महाभियोग की कार्रवाई के लिए केवल एक सदस्य मिट रोमनी ने कतार तोड़ी। दो बिन्दुओं पर महाभियोग लगाने पर हुए मतदान में ट्रम्प चार और पांच वोट से जीते। डेमोक्रेटिक पार्टी ने सार्वजनिक जीवन में नैतिकता और अमेरिकी हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के मानदंडों पर ़ट्रम्प को परखने की कोशिश की थी। विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी का आरोप था कि इन दोनों मामलों में ट्रम्प विफल सिद्ध हुए हैं। लेकिन नतीजों से साफ है कि ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य इन आरोपों से सहमत नहीं हुए। उन्होंने पूरी एकजुटता के साथ राष्ट्रपति के पक्ष में मतदान किया।
महाभियोग प्रस्ताव गिरने के बाद ट्रम्प में नया आत्मविश्वास और जोश है। मतदाताओं के बीच उनकी स्वीकार्यता भी बढ़ी है। पूर्व के आंकड़ों के हिसाब से देखा जाये तो दूसरे कार्यकाल के पहले ट्रम्प का समर्थन 49 फीसद है जो बराक ओबामा सहित पूर्व के कई राष्ट्रपतियों से अधिक है। डेमोक्रेटिक पार्टी महाभियोग की कार्रवाई के जरिये ट्रम्प की छवि खराब करना चाहती थी और जनता को इस बात का भान कराना चाहती है कि ट्रम्प राष्ट्रपति पद के योग्य नहीं है। उसे इस कवायद में मुहंकी खानी पड़ी और और ट्रम्प का जनसमर्थन पहले से बढ़ गया। विपक्ष की रणनीति इस कारण नकारा सिद्ध हुई क्योकि महाभियोग की कार्रवाई के पहले के तीन वर्षो में भी ट्रम्प को कठघरे में खड़े करने की कोशिश की गई थी। विपक्ष की यह नकारात्मक राजनीति अमेरिकी जनता को कतई रास नहीं आई।
ट्रंप 232 साल के अमेरिकी इतिहास में महाभियोग का सामना करने वाले तीसरे राष्ट्रपति हैं। हालांकि महाभियोग की कार्रवाई के जरिये किसी भी राष्ट्रपति को अपना पद छोड़ना नहीं पड़ा। सबसे पहले 1886 में एंड्रयू जॉनसन के विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन वह भी सीनेट से बरी हो गये थे। उनके बाद 1974 में र्रिचड निक्सन ने महाभियोग पर मतदान से पहले ही अपना इस्तीफा दे दिया था। 1998 में बिल क्लिंटन पर महाभियोग चला था, लेकिन वह भी सीनेट से बरी हो गये थे।
रिपब्लिकन सीनेटरों ने ट्रंप को सत्ता के दुरुपयोग करने के आरोप से चले मुक्त कर दिया, लेकिन रिपब्लिकन मिट रोमनी अमेरिकी इतिहास के पहले ऐसे सीनेटर हैं, जिन्होंने अपनी ही पार्टी के राष्ट्रपति के विरुद्ध मतदान करके इतिहास रच दिया। वह भले अमेरिका के राष्ट्रपति न बन पाये लेकिन उन्होंने सचाई को नजरअंदाज करने से इनकार कर दिया। उनका विश्वास था कि राष्ट्रपति ट्रंप दोषी हैं। ट्रंप ने जो लोकप्रियता अर्जित की है, उसे पूरी तरह भुनाने की मुद्रा में हैं। अपने पक्ष में जो माहौल उन्होंने बनाया है, वह उसे नवम्बर महीने में मतदान की तारीख तक बनाये रखना चाहते हैं। ट्रंप का सबसे मजबूत तर्क अर्थव्यवस्था में सुधार और रोजगार के अवसर पैदा करना है। आंकड़ों के आधार पर ट्रंप के ये दोनों दावे खरे उतरते हैं। ट्रम्प की संरक्षणवादी आर्थिक नीतियों की वजह से पहले कुछ दिनों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में संतोषजनक सुधार हुआ है और रोजगार सृजन के मोच्रे पर भी कामयाबी मिली है अर्थात बेरोजगारी कम हुई है।
जाहिर है कि ट्रम्प अपने चुनाव अभियान में इन सफलताओं का जोर-शोर से प्रचार करेंगे। वह अपने मतदाताओं को यह भरोसा दिलाने की कोशिश करेंगे कि कुछ भ्रष्ट और बुरी ताकतें महाभियोग के जरिये अनावश्यक रूप से उन्हें रोकने की कोशिश भी की, लेकिन ये ताकतें बुरी तरह से पराजित हुई। ट्रम्प के चुनावी अभियान की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि जनता इसको कितना सच समझती हैं। वहीं विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के पास ट्रम्प के विरुद्ध जो भी तथ्य हैं, उसे वह जनता के बीच रखेगी। लेकिन ट्रम्प के विरुद्ध लाये गये महाभियोग का प्रस्ताव आगामी राष्ट्रपति पद के चुनाव में अहम मुद्दा रहेगा और कोई अनहोनी नहीं हुई तो डोनाल्ड ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति बनने की संभावनाए ज्यादा हैं।
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