मुद्दा : गहरे होते भारत-जर्मनी संबंध

Last Updated 30 Oct 2019 04:04:49 AM IST

जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल 31 अक्टूबर से 2 नवम्बर तक भारत के दौरे पर आ रही है। यह दौरा वर्तमान अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में एक विशेष महत्त्व रखता है।


मुद्दा : गहरे होते भारत-जर्मनी संबंध

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज भारत एक अलग पहचान रखता है और उसके महत्त्व को पूरी दुनिया समझ रही है। भारत की पूछ की एक और वजह यहां का विशाल बाजार भी है। विश्व का हर देश भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना चाहता है और भारत भी आगे बढ़कर उनका स्वागत कर रहा है। इसी कड़ी में एक महत्त्वपूर्ण नाम है जर्मनी का। यूं तो भारत और जर्मनी के संबंध आजादी के समय से ही है, लेकिन वर्तमान समय में इनमें और मजबूती आ गई है। इसमें दोनों देशों के अभी के राजनीतिक नेतृत्व का एक अहम योगदान है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां अपने कार्यकाल में चार बार जर्मनी जा चुके हैं, जिसमें एक बार वहां की चांसलर एंजेला मर्केल के बुलावे पर कम देर के लिए लंदन से लौटने में बर्लिन में रु कना भी शामिल है। उसी तरह चांसलर एंजेला मर्केल भी अपने कार्यकाल में तीन बार भारत आ चुकी हैं और यह उनकी चौथी यात्रा है। इस साल जून महीने में जापान के ओसाका शहर में जी-20 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एंजेला मर्केल से मुलाकात की थी।  एंजेला मर्केल 2005 में चांसलर बनी थीं तब से लेकर जर्मनी की कमान उनके हाथों में है।

मर्केल यहां पांचवें इंटर-गवर्मेंटल कंसल्टेशन में भाग लेने आ रही हैं। इंटर-गवम्रेटल कंसल्टेशन की शुरु आत 2011 में हुई और 2 साल के अंतराल पर होता है। यह पांचवा इंटर-गवम्रेटल कंसल्टेशन है। इसको शुरू करने का मुख्य उद्देश्य संबंधों की एक व्यापक समीक्षा और सहयोग के नये आयाम ढूंढना है। भारत और जर्मनी के रिश्ते के सात दशक से ज्यादा हो गए है, दोनों देशों के घरेलू स्थिति में काफी उतार-चढ़ाव आए मगर इसका प्रभाव दोनों देशों के संबंधों पर नहीं पड़ा और संबंधों में निरंतरता बनी रही। जर्मनी भारत के नाभिकीय आपूर्ति-कर्ता समूह में सदस्यता का भी समर्थ है। भारत और जर्मनी एक दूसरे के संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का भी समर्थन करता है। वर्ष 2001 में दोनों देशों ने स्ट्रेटेजिक पार्टनिशप से अपने रिश्तों को और मजबूत किया, जिसे वर्तमान समय में इंटर-गवम्रेटल कंसल्टेशन इस दायरे को और बढ़ा रहा है। रक्षा, आर्थिक और अन्य मामलों में भी भारत और जर्मनी साथ में काम कर रहे है। दोनों देशों के बीच व्यापार 17 अरब से ज्यादा का हो चुका है जो की लगातार बढ़ रहा है और जर्मनी यूरोप में भारत का एक महत्त्वपूर्ण और बढ़े व्यापारिक भागीदारी के रूप में उभरा है। इंटर-गवम्रेटल कंसल्टेशन इनमें मजबूती और नये क्षेत्रों में फैलाव का एक प्रभावी जरिया बन गया है। पिछले इंटर-गवम्रेटल कंसल्टेशन के दौरान, जो की बर्लिन में 2017 में  हुआ था, दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में 12 नये समझौते हुए थे, जिसमें कौशल विकास, स्वास्थ, शहरी विकास, विज्ञान, इत्यादि शामिल थे। इस बार का इंटर-गवम्रेटल कंसल्टेशन भी अपने साथ नई उम्मीद और संभावनाएं ला रहा है।
पांचवें इंटर-गवम्रेटल कंसल्टेशन को लेकर शनिवार को चांसलर एंजेला मैर्केल ने भी ट्वीट किया, जिससे उन्होंने जाहरि किया की वो इस यात्रा लेकर कितनी उत्साहित हैं। आर्थिक एवं व्यापारिक संबंध, जलवायु संरक्षण, सतत विकास और अन्य विषयों पर इस बैठक में बातचीत होनी है और इन क्षेत्रों  में समझौते भी हो सकते हैं। जर्मनी तकनीक के क्षेत्र में भी भारत के लिए सहयोगी साबित हो सकता है। 2019 के ग्रुप 20 (जी-20) बैठक के दौरान भी दोनों देशों के नेताओं ने आर्टफिीशियल इंटेलिजेंस, ई-मोबिलिटी, कौशल विकास, रेलवे का आधुनिकरण  इत्यादि विषयों पर बातचीत हुई थी। आगे इनपर कुछ ठोस कदम उठने की भी उम्मीद की जा सकती है।
ऐसे समय में जब अमेरिका को चीन चुनौती दे रहा है और विश्व में कोई एक वैश्विक व्यवस्था नहीं है लगभग सभी देश आतंकवाद और आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, उस समय विश्व की दो शक्तियों- भारत और जर्मनी का अच्छा संबंध एक सकारात्मक संदेश है। जहां भारत विशेष तौर पर एशिया में एक गहरा प्रभाव रखता है ठीक उसी तरह जर्मनी यूरोप की राजनीति और अर्थव्यवस्था का केंद्रबिंदु है। यह दौरा भारत और जर्मनी के भविष्य को तय करने में एक अहम योगदान तो रखता ही है साथ ही साथ इसका प्रभाव पूरे विश्व पर भी होगा।

अभिजीत


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