काला धन : काबू में आए तो बात बने
यकीनन काले धन के खिलाफ लड़ाई में भारत को बड़ी सफलता मिली है।
काला धन : काबू में आए तो बात बने |
हाल ही में 7 अक्टूबर को स्विस बैंक में जमा भारतीयों के काले धन से जुड़ा पहले दौर का विवरण स्विट्जरलैंड ने भारत को सौंप दिया है, जिसमें सक्रिय खातों की भी जानकारी शामिल है। स्विस बैंक ने जो जानकारियां दी हैं, उनमें आइडेंटिफिकेशन, खाते तथा पैसों से जुड़ी जानकारी शामिल हैं। इनमें नाम, पता, नेशनलिटी, टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर, वित्तीय संस्थानों से जुड़ी सूचनाएं, खाते में पड़े पैसे और कैपिटल इन्कम शामिल हैं। ये खाते वाहन, कल-पुर्जे, रसायन, वस्त्र, हीरा, आभूषण तथा इस्पात आदि कारोबार से जुड़े लोगों से संबंधित हैं। इन सूचनाओं के आधार पर काला धन रखने का ठोस मामला बन सकता है।
निश्चित रूप से वैश्विक स्तर पर काले धन पर नियंत्रण से संबंधित जो अध्ययन रिपोर्टें प्रकाशित हो रही हैं, उनमें उभरकर दिखाई दे रहा है कि भारत में बढ़ते हुए काले धन पर रोक लगी है। स्विस नेशनल बैंक द्वारा प्रकाशित नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों लोगों और उपक्रमों का जमा धन 2018 में करीब छह प्रतिशत घटकर 95.5 करोड़ स्विस फ्रैंक यानी 6,757 करोड़ रु पये रह गया है। यह दो दशक में इसका दूसरा निचला स्तर है। इनमें स्विट्जरलैंड के बैंकों की भारतीय शाखाओं के जरिये जमा धन भी शामिल है।
गौरतलब है कि काला धन आर्थिक-सामाजिक बुराइयों की जननी कहलाता है। काला धन ऐसा धन होता है, जिस पर आयकर अदा नहीं किया जाता। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के अनुसार, काला धन वह धन होता है, जिस पर आयकर की देनदारी होती है, लेकिन उसकी जानकारी आयकर विभाग को नहीं दी जाती है। काला धन का स्रोत कानूनी और गैर-कानूनी कोई भी हो सकता है। आपराधिक गतिविधियां जैसे अपहरण, तस्करी, निजी क्षेत्र में कार्यरत लोगों द्वारा की गई जालसाजी इत्यादि के माध्यम से अर्जित धन काला धन कहलाता है। काले धन के ये तरीके गैर कानूनी हैं। दूसरी ओर, वैध तरीकों से अर्जित धन भी काले धन की श्रेणी में आ सकता है। अगर उस पर सुनिश्चित आयकर अदा नहीं किया गया हो।
देश में कितना काला धन है और देश का कितना काला धन विदेशों में जमा है, इसके बारे में देश की आजादी के बाद से अब तक कई रिपोर्टें प्रकाशित हुई हैं। लेकिन संसद पर वित्त मामलों की स्थाई समिति द्वारा विगत 28 मार्च को संसद को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार देश में काला धन पता लगाने का कोई भरोसेमंद तरीका मौजूद ही नहीं है। रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि काले धन को लेकर जितने भी आंकड़े देश में मौजूद हैं, वे अनुमान पर आधारित हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रकाशित एशिया और प्रशांत क्षेत्र का आर्थिक-सामाजिक सर्वे रिपोर्ट 2017 में कहा गया है कि भारत में काले धन पर आधारित अर्थव्यवस्था देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 20 से 25 फीसद के बराबर है। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च यानी एनसीएईआर का अनुमान कहता है कि विदेशों में जमा किया गया काला धन 384 से 490 अरब डॉलर के करीब हो सकता है। काला धन बाहर भेजने वाले शीर्ष पांच देश क्रमश: चीन, रूस, मैक्सको, भारत तथा मलयेशिया है।
इसमें कोई दोमत नहीं है कि देश में नवम्बर, 2016 में नोटबंदी के बाद काला धन जमा करने वाले लोगों में घबराहट बढ़ी है और नोटबंदी के दौरान और उसके बाद भी बड़ी संख्या में लोगों ने काले धन का खुलासा करके काला धन प्रगटीकरण योजना का लाभ भी लिया है। वैसे यह ध्यान रखने योग्य तथ्य है कि देश में नोटबंदी के बाद से आयकरदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है। वर्ष 2016-17 की तुलना में वर्ष 2018-19 में आयकर रिटर्न फाईल होने की संख्या करीब दोगुनी हो गई। निसंदेह सरकार ने पिछले पांच वर्षो के दौरान कर के दायरे में ज्यादा लोगों को लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब कर विभाग निवेश एवं बड़े लेन-देन समेत कई स्रोतों से आंकड़े जुटाता है। आयकर और जीएसटी नेटवर्क को आपस में जोड़ दिया गया है। डाटा एनालिटिक्स से लोगों के खर्चों और बैंक लेन-देन पर नजर रखी जा रही है। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि सरकार के काला धन नियंत्रण के प्रयास आंशिक ही सही पर सफल हो रहे हैं।
निश्चित रूप से वर्ष 2019-20 के बजट में भी कर चोरी रोकने और बेहतर अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। वर्ष 2019-20 के बजट में सरकार ने आयकर अधिनियम में संशोधन कर चार ऐसी स्थितियां जोड़ने का प्रस्ताव रखा है, जिनमें रिटर्न भरना अनिवार्य होगा। पहली स्थिति यह है कि अगर किसी व्यक्ति ने एक बैंक के एक या अधिक चालू खातों में 1 करोड़ रु पये से अधिक राशि जमा कराई है तो उसके लिए रिटर्न भरना जरूरी होगा। दूसरी स्थिति यह है कि अगर कोई व्यक्ति खुद या अन्य किसी के लिए विदेश यात्रा पर 2 लाख रु पये से अधिक खर्च करता है तो उसे रिटर्न भरना होगा। तीसरी स्थिति यह है कि अगर किसी व्यक्ति का बिजली का सालाना बिल 1 लाख रु पये से अधिक है तो उसे भी रिटर्न भरना होगा। चौथी स्थिति यह है कि अगर कोई व्यक्ति घर बेचता है और इससे प्राप्त होने वाली रकम को दूसरे घर या बॉन्डों में निवेश करता है और ऐसे व्यक्ति की कोई कर देनदारी नहीं है, फिर भी उसे आयकर अधिनियम के किसी प्रावधान का लाभ लेने के लिए रिटर्न भरना होगा।’ जिन लोगों के पास विदेश में सम्पत्ति है, उनके लिए भी रिटर्न भरना जरूरी है। नए बजट के तहत एक सितम्बर 2019 से एक करोड़ रु पये से ज्यादा की निकासी के स्रोत पर कर (टीडीएस) लगाया गया है।
निश्चित रूप से काले धन पर नियंत्रण के ऐसे प्रयासों से देश की जीडीपी में आयकर का योगदान बढ़ सकेगा। इस समय देश की जीडीपी में आयकर का योगदान एक फीसद से भी कम है, जबकि यह चीन में 9.7 फीसद, अमेरिका में 11 फीसद, ब्राजील में 13 फीसद है। अर्थ विशेषज्ञों के मुताबिक काले धन पर नियंत्रण और आयकर का आकार बढ़ने से छोटे आयकरदाताओं के लिए आयकर छूट की सीमा भी बढ़ सकेगी। अब इस परिप्रेक्ष्य में हम सब यही आशा करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2024-25 में देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर यानी 5,000 अरब डॉलर की ऊंचाई पर ले जाने का जो महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, उसमें काले धन पर नियंत्रण की प्रभावी भूमिका होगी।
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