नजरिया : द रियल ग्लोबल लीडर इज नरेन्द्र मोदी

Last Updated 06 Oct 2019 12:32:07 AM IST

बीते 28 सितम्बर की शाम को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका के सात दिन के दौरे के बाद दिल्ली के पालम टेक्निकल एरिया में विमान से उतरे तो समर्थकों के विशालकाय हुजूम ने ऐसा अहसास कराया मानो वह दुनिया जीतकर वतन लौटे हों।


द रियल ग्लोबल लीडर इज नरेन्द्र मोदी

2014 का चुनाव जीतने के बाद भी नरेन्द्र मोदी अमेरिका गए थे, वहां संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भाग लिया था, लेकिन तब और अब यानी पांच साल के भीतर दुनिया की नजरों में भारत का कद और मान-सम्मान कितना बढ़ चुका है, इस फर्क को न सिर्फ  मोदी महसूस करके लौटे थे, बल्कि आज हर हिंदुस्तानी महसूस कर रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया के नजरिये को 5 साल में कितना बदल दिया है और कैसे भारत का कद विश्व  में बढ़ा है, इसकी बेहतरीन मिसाल है 22 सितम्बर को अमेरिका के टेक्सास के ह्यूस्टन में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम। नरेन्द्र मोदी इस आयोजन से ऐसे इकलौते विदेशी नेता बनकर सामने आए, जिनके लिए अमेरिका में 50 हजार लोगों की भीड़ जुटी। ऐसी ऐतिहासिक भीड़ कि खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इसका राजनीतिक लाभ उठाने के आकर्षण से खुद को रोक नहीं पाए। भारतीय प्रधानमंत्री ने भी ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में एक अमेरिकी राष्ट्राध्यक्ष की मेजबानी खुद उन्हीं के देश में करके दुनिया को ये जता दिया कि वक्त कितना बदल चुका है। संयुक्त राष्ट्र में जिस तरह से प्रधानमंत्री ने अपने ओजस्वी भाषण से दुनिया भर के देशों को संदेश दिया और दुनिया ने जिस गंभीरता के साथ उनकी बातों को समझा, वह अद्भुत है। कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान अपनी ओर से लगातार कूटनीतिक घेराबंदी में जुटा था। उसे उम्मीद थी कि कोई तो उसके सुर में सुर मिलाएगा, लेकिन प्रधानमंत्री ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया, समूची दुनिया को भारत के पक्ष में लामबंद कर दिया। अमेरिका में 7 दिवसीय दौरे पर हुआ हर संवाद और हर आयोजन ने भारत का मस्तक गर्व से ऊंचा किया है।

जनधन खाते, स्वास्थ्य बीमा, शौचालय जैसे लोककल्याणकारी पहल की सफलता को दुनिया के सामने रखते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने यूएन में भारत की अनहोनी को होनी में बदल देने की उस क्षमता का इजहार किया, जो देश ने हाल के वर्षो में और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अर्जित की है। आतंकवाद के प्रति दुनिया के भेदभावपूर्ण नजरिये पर उंगली उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में भारत खुद सक्षम है, जिसमें दुनिया को उसका साथ देना मजबूरी नहीं, बल्कि जरूरी है। भारत अब जो कहता है, उसे दुनिया किस गंभीरता से लेती है, इसकी पुष्टि ताजा घटना से भी होती है जब फ्रांस ने भारत के आग्रह पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के प्रमुख को अपनी संसद में बोलने से रोक दिया। भारत को इसके लिए कोई अतिरिक्त तर्क भी देना नहीं पड़ा, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के सात दिन की अमेरिकी यात्रा के दौरान संचालित अभियान ही काफी और कारगर साबित हुआ। सिर्फ  आतंकवाद ही नहीं, पर्यावरण को लेकर भी भारत ने यह जताया कि दुनिया के विकसित देश क्लाइमेट चेंज के लिए जिम्मेदार हैं मगर भारत पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटेगा। सिंगल यूज प्लास्टिक के बैन का जिक्र करते हुए उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी।

व्यापारिक संबंध में भी भारत अपने अधिकारों की रक्षा को लेकर अधिक सजग दिख रहा है। अब एकतरफा व्यापार भारत को कबूल नहीं है। अमेरिका मेडिकल डिवाइस जैसी चीजों के लिए अधिक छूट की मांग कर रहा है मगर भारत इसके लिए तैयार नहीं, क्योंकि उसे अपने देश के गरीबों के लिए सस्ती स्वास्थ्य सुविधाओं की चिंता है। भारत चाहता है कि निर्यात में अमेरिका उसे तरजीह दे।

गुजरात के वाडनगर के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले नरेन्द्र भाई दामोदर दास मोदी के लिए यह दौर उनका स्वर्ण काल माना जा सकता है। हिंदुस्तान की राजनीति के शिखर पर विराजमान नरेन्द्र मोदी के पहले कार्यकाल यानी पार्ट वन की सफलता के बाद मोदी पार्ट टू की शुरुआत हुई है। जिस अमेरिका में अभी मोदी एक नया इतिहास रचकर लौटे हैं, उसी महाशक्ति ने एक दौर में गुजरात दंगे की आड़ लेकर उन्हें प्रवेश पर पाबंदी लगा रखी थी। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अमेरिका को अपनी ये पाबंदी हटानी पड़ी थी, जिसने ये साबित कर दिया कि झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए। अब तो बाजी किस कदर पलट चुकी है, ये ‘हाउडी मोदी’ की कामयाबी ने बता ही दिया है। एक बात और गौर करने वाली है कि कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प डबल गेम खेल रहे थे। मध्यस्थता के लिए नरेन्द्र मोदी की ओर से आग्रह का झूठा दावा और फिर ह्वाइट हाउस से उसका खंडन कराने के बाद एक बार फिर उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़्ान के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में मध्यस्थता का राग अलापा था। मगर भारतीय प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में द्विपक्षीय मुद्दे को द्विपक्षीय तरीके से सुलझाने और किसी राष्ट्र को मध्यस्थता का कष्ट नहीं देने की दो टूक बात कहकर उनके सामने ही ये साबित कर दिया कि मोदी के नेतृत्व वाला भारत अब अपनी शर्तों पर अपनी कूटनीतिक प्राथमिकताएं तय करता है, किसी दूसरे के दबाव में आकर नहीं। इसी के साथ नए हिंदुस्तान की इस क्षमता का पता दुनिया को भी चल गया।

डोनाल्ड ट्रम्प और नरेन्द्र मोदी बीते दिनों में व्यापार को लेकर पैदा हुई तल्खी को भी कम करने में जुटे हैं। भारत का चीन के साथ कारोबार 737 अरब डॉलर का है जबकि अमेरिका के साथ महज 142 अरब डॉलर का ही कारोबार है। मोदी-ट्रम्प इस स्थिति में सुधार चाहते हैं। निश्चित रूप से आने वाले समय में भारत और अमेरिका के बीच कारोबार में बढ़ोतरी होगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमेरिका दौरे के बाद सबसे महत्त्वपूर्ण जो बात हुई है वह यह है कि दुनिया का कोई भी देश अब भारत को नजरअंदाज नहीं कर सकता। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत महत्त्वपूर्ण होकर उभरा है। आतंकवाद पर दुनिया भर के देशों से मिला समर्थन इसका सबूत है। अब भारत के लिए सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की मुहिम भी तेज होगी। फ्रांस जैसे देश खुलकर इस मामले में भारत की वकालत करने लगे हैं। एक बात और महत्त्वपूर्ण है कि रूस के साथ एस-400 के सौदे पर अमेरिकी आपत्ति को भी भारत ने खारिज कर यह जता दिया है कि भारत अब किसी के दबाव में आने वाला नहीं है। वह फ्रांस से राफेल तो रूस से एस-400 डील और अमेरिका से 10 साल के सुरक्षा समझौते से जुड़ सकता है। इस पर किसी तीसरे देश की इच्छा को भारत स्वीकार नहीं करेगा।

एक आलोचना है कि ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम ट्रम्प के लिए चुनाव अभियान था। इसमें भी यह तथ्य अपना दबदबा दिखाता दिख रहा है कि भारत और भारतीयों की ताकत अमेरिकी चुनाव प्रचार को प्रभावित करने के स्तर तक पहुंच चुकी है। इसका फायदा अमेरिका में रह रहे भारतीयों को भी मिलेगा और द्विपक्षीय संबंध भी अनुकूल होंगे। वास्तव में ‘हाउडी मोदी’ से भारत की दुनिया के स्तर पर ऐसी ब्रांडिंग हुई है, जिससे भारत के बारे में वैश्विक नजरिया बदलेगा। अमेरिकी प्रवास के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री का 25 से ज्यादा देशों के प्रमुखों के साथ मुलाकात इसकी पुष्टि करता है। भारत बारम्बार दुनिया को बताता रहा है कि वह निवेश के लिए दुनिया में सबसे बेहतरीन बाजार है। इस दावे को पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे से मजबूती मिली है। आने वाले दिनों में वास्तविक निवेश से इसकी पुष्टि होगी। फिलहाल हम इस बात पर संतोष कर सकते हैं कि दुनिया के ज्यादातर देश भारत को उभरते हुए बाजार के रूप में देख रहे हैं और उससे जुड़ने को तत्पर भी हैं। संक्षेप में, भारत ने यह ओहदा और प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अर्जित की है।

उपेन्द्र राय


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