भारत-चीन : शिखर वार्ता पर संशय!

Last Updated 20 Sep 2019 05:56:11 AM IST

अक्टूबर में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग वुहान की भांति अनौपचारिक बैठक संभवत: ममल्लापुरम (तमिलनाडु) में करने वाले हैं।


भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग वुहान

हालांकि इस शिखर सम्मेलन की जगह को लेकर समस्याएं पैदा हुई। इसके लिए भारत ने वाराणसी, जो मोदी का चुनाव क्षेत्र है, का नाम सुझाया था लेकिन चीनी पक्ष ने चुपके से यह विचार दरकिनार कर दिया। वहां आयोजन को लेकर वह कई कारणों से तैयार नहीं था-पहला, वाराणसी भीड़भाड़ वाला क्षेत्र है, और दूसरा, वहां तिब्बतियों के  विरोध प्रदर्शन की संभावना थी। वाराणसी हवाईअड्डे की हवाई पट्टी भी इतनी लंबी नहीं है कि शी जिनपिंग के बड़े हवाई जहाज को उतरने में आसानी हो। 
चीन की तरफ से भी दो अन्य जगहें सुझाई गई थीं-जयपुर और उदयपुर। दोनों राजस्थान में हैं। लेकिन चीन के प्रस्ताव पर मोदी सरकार ने ठंडा रुख दिखाया। संभवत: इसलिए कि राजस्थान में भाजपा की विरोधी पार्टी कांग्रेस की सरकार है।  राजस्थान के बजाय भारतीय पक्ष ने तमिलनाडु के ममल्लापुरम का नाम सामने रखा जो रमणीय तटीय स्थान है। वहां तमाम लक्जरी होटल और रिजॉर्ट्स हैं, जहां दोनों पक्षों के प्रमुख नेताओं और उनके प्रतिनिधिमंडलों को अच्छे से ठहराया जा सकता है। मोदी सरकार ममल्लापुरम में आयोजन किए जाने के पक्ष में इसलिए है कि वह दक्षिण भारत खासकर तमिलनाडु में अपनी राजनीतिक छाप छोड़ना चाहती है। गौरतलब है कि तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी का जनाधार कोई ज्यादा मजबूत नहीं है, और वह सोचती है कि चीन के साथ वहां शिखर बैठक करने से उसे राजनीतिक रूप से फायदा मिल सकता है। इसलिए कि तमिलों के बीते बारह सौ वर्षो से चीन के साथ घने संबंध रहे हैं। फिर, ममल्लापुरम में तिब्बती भी नहीं हैं।

आखिर, चीन ने ममल्लापुरम, जिसे पहले महाबलीपुरम कहा जाता था, को शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल के रूप स्वीकार कर लिया। लेकिन अभी तक दोनों पक्षों ने इस बाबत आधिकारिक घोषणा नहीं की है। चेन्नई के निकट ममल्लापुरम शिखर सम्मेलन बुलाने को लेकर तिथियों और कार्यक्रम संबंधी अनिश्चितता बनी हुई है। हालांकि विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि चेन्नई और ममल्लापुरम में आयोजन की तैयारियां जोरों पर हैं। लेकिन तमाम अटकलबाजियां भी हैं, जैसे कि : 1) चीनी दूतावास के एक अधिकारी ने 10 सितम्बर को विदेश मंत्रालय के एक मध्यस्तरीय अधिकारी से भेंट की। लेकिन उसे शिखर सम्मेलन की नियत तिथि और स्थान की बाबत कोई जानकारी नहीं थी। चीनी अधिकारी ने शिखर सम्मेलन नहीं, बल्कि वीजा संबंधी कुछ मुद्दों को लेकर भेंट की थी; 2) विदेश मंत्रालय ने होटल शेरेटन (मारियट समूह का उपक्रम) के 125 कक्षों की 11  से 23 अक्टूबर तक के लिए बुकिंग रोक दी है यानी उन्हें ब्लॉक कर दिया है। इसी प्रकार विदेश मंत्रालय ने इन्हीं दिनों के लिए लक्जरी रिजॉर्ट फिशरमैन कोव को भी ब्लॉक कर दिया है; 3) फिशरमैन कोव मुख्य सड़क से एक किमी. दूर है, जिसे चौड़ा करके फिर से बनाया जा रहा है। इससे संकेत पुख्ता हैं कि शी का प्रतिनिधिमंडल यहां ठहर सकता है। हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है क्योंकि चीनी पक्ष ने अभी तक किसी रिजॉर्ट की बुकिंग नहीं की है; और 4) यह सड़क अच्छी स्थिति में है, जिसके दोनों तरफ छोटे-छोटे गांव, बाजार और छितरी हुई रिहायशें हैं। बाई तरफ बंगाल की खाड़ी और दाई तरफ तमिलनाडु है।
ममल्लापुरम चेन्नई के निकट कांचिलुरम जिले में पड़ता है। भारतीय पुरातत्व सव्रेक्षण विभाग (एएसआई) के कर्मचारी ‘पांच रथ’ नाम के ऐतिहासिक स्थल को सजाने-संवारने में जुटे हैं, जहां शी और मोदी चहलकदमी करेंगे। सातवीं शताब्दी के शोर मंदिर, जो भगवान शिव और भगवान विष्णु को समर्पित हैं, को देखने भी दोनों नेता पहुंच सकते हैं। मंदिर की बनावट दक्षिण भारत की आरंभिक स्थापत्य कला मानी जाती है, और विश्व धरोहर के रूप में इसे यूनेस्को ने सूचीबद्ध किया है। भारत में इस मंदिर की सर्वाधिक फोटोग्राफी की गई है। यह मंदिर बंगाल की खाड़ी के छोर पर स्थित है। पल्लव राजवंश की झलक देता शोर मंदिर जब निर्मित किया गया था, तब पल्लव राजवंश का स्वर्णकाल था। हवाओं और समुद्र से खासी क्षति उठा चुका मंदिर भारत की ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी है।
इस क्षेत्र के अन्य ऐतिहासिक स्मारकों के विपरीत पांच मंजिला शोर मंदिर शिलाओं को काटकर बनाया गया है। मंदिर पर सूर्य की पहली किरण पड़ती है, और सूर्यास्त के समय पानी में पड़ते इसके अक्श का नजारा देखते ही बनता है। पर्सी ब्राउन के शब्दों में दिन में यह मंदिर ‘इतिहास को बयां करता है, तो रात को प्रकाश स्तंभ में तब्दील हो जाता है’। ये तमाम जानकारियां देने का मकसद यह बताना है कि ममल्लापुरम में ही शिखर सम्मेलन हो सकता है। भले ही इस बाबत कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। दोनों पक्षों में से किसी ने भी आयोजन तिथियों की पुष्टि नहीं की है। विदेश मंत्रालय ने आयोजन तिथियों के दो सेट तैयार किए हैं-11-12-13 अक्टूबर तथा 15-16-17 अक्टूबर। इन्हीं दिनों शी को  नेपाल के द्विपक्षीय दौरे पर रहना है। इतना पक्का है कि मोदी के 27 सितम्बर को अमेरिकी दौरे के उपरांत ही प्रस्तावित शिखर सम्मेलन होना है। अभी विदेश मंत्रालय का सारा ध्यान मोदी के अमेरिका दौरे पर है। लेकिन चीन के विदेश मंत्री वांग यी के भारत दौरे को रद्द किए जाने से शिखर सम्मेलन के आयोजन पर संशय के बादल भी हैं। उन्हें 10 सितम्बर को भारत के दौरे पर आना था, लेकिन पाकिस्तान होते हुए वे यहां आ रहे थे, जिसके भारत पक्ष में नहीं था। संभव है कि वांग अब अक्टूबर के शुरुआती दिनों में भारत के दौरे पर आएं। बहरहाल, बहुत कुछ हुवेई को लेकर भारत के रुख पर निर्भर करेगा।
इस बड़ी टेलीकॉम कंपनी पर अमेरिका ने सुरक्षा कारणों से अपने यहां प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिका भारत पर भी इस कंपनी पर प्रतिबंध लगाने का दबाव बनाता रहा है। यदि भारत ने भी प्रतिबंध लगाया तो चीन ममल्लापुरम शिखर सम्मेलन से पीछे हट सकता है। हुवेई ही भारत के साथ शिखर सम्मेलन को तय करने वाला साबित होगा। लग रहा है कि भारत हुवेई पर दोहरा खेल खेलेगा। हो सकता है कि वह फाइव-जी की लाइसेंस प्रक्रिया पर प्रतिबंध न लगाए और इसी के भारत में हुवेई को अपने बिक्री केंद्र खोलने को अनुमति भी न दे।

राजीव शर्मा


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