उपलब्धि : जयपुर भी विश्व धरोहर

Last Updated 09 Jul 2019 07:11:34 AM IST

राजस्थान का तकरीबन तीन सदी पुराना ऐतिहासिक शहर जयपुर, अब विश्व धरोहर शहर बन गया है।


उपलब्धि : जयपुर भी विश्व धरोहर

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व विरासत समिति ने हाल ही में अजरबैजान की राजधानी बाकू में 30 जून से शुरू हुई अपनी 43वीं बैठक में पूरी दुनिया में पिंक सिटी के तौर पर मशहूर जयपुर शहर को अपनी विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया है। बैठक में शामिल 21 में से 16 देशों  ने भारत का समर्थन किया। यूनेस्को ने भारत के दूसरे शहर को विश्व धरोहर का दर्जा दिया है। इससे पहले 2017 में गुजरात के अहमदाबाद शहर को यह मर्तबा मिला था।
भारत के लिए यह उपलब्धि इसलिए भी खास मायने रखती है कि भारतीय उपमहाद्वीप के सिर्फ दो शहर-नेपाल के भक्तपुर और श्रीलंका के गॉल को ही इस सूची में शामिल होने का गौरव हासिल है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें, तो चंद शहर पेरिस, वियना, काइरो, ब्रुसेल्स, रोम और एडिनबर्ग ही इस श्रेणी में शामिल हैं। जयपुर शहर को विश्व धरोहरों की फेहरिस्त में शामिल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार, दोनों बीते दो साल से लगातार कोशिशें कर रहे थे। राजस्थान की पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने जयपुर को सांस्कृतिक शहरों की श्रेणी में र्वल्ड हैरिटेज सिटी का दर्जा प्रदान करने के लिए पिछले साल अगस्त में इस शहर का विस्तृत विवरण तैयार करके एक प्रस्ताव विश्व विरासत केंद्र को भेजा था।

प्रस्ताव के बाद आईसीओएमओएस (स्मारक और स्थल पर अंतरराष्ट्रीय परिषद) ने शहर के दावे का निरीक्षण किया। लेकिन निरीक्षण के बाद संस्था के प्रतिनिधियों ने यह कहकर प्रस्ताव को विलंबित कर दिया कि परकोटा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुए अवैध निर्माण बड़ा और अहम मुद्दा हैं। ये अवैध इमारतें, विरासत को बचाने के लिए लागू कानून पर गंभीर शक पैदा करती हैं। लिहाजा राजस्थान सरकार जवाब दे कि इन अवैध इमारतों के भविष्य को लेकर उसने क्या प्रस्तावित किया है? यूनेस्को के इस रुख के बाद मौजूदा गहलोत सरकार ने परकोटा को ‘नो कंस्ट्रक्शन जोन’ घोषित करने के अलावा कई अहम फैसले लिये। कोशिशें आखिरकार रंग लाई और अंतरराष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद की सिफारिश पर यूनेस्को की र्वल्ड हैरिटेज कमेटी ने जयपुर शहर को विश्व विरासत की फेहरिस्त में शामिल कर लिया।
यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत में शामिल कर लिये जाने के बाद वह जगह या स्मारक पूरी दुनिया की धरोहर बन जाता है। विश्व स्मारकों का संरक्षण यूनेस्को के इंटरनेशनल र्वल्ड हेरिटेज प्रोग्राम के तहत किया जाता है। यूनेस्को हर साल दुनिया भर के ऐसे ही बेहतरीन सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्मारकों को सूचीबद्ध करके उन्हें उचित देखभाल प्रदान करती है। इनका प्रचार-प्रसार करती है, जिससे ज्यादा से ज्यादा पर्यटक इन स्मारकों के इतिहास, स्थापत्य कला, वास्तु कला, शिल्प कला और प्राकृतिक खूबसूरती से वाकिफ होते हैं। फायदा यह भी होता है कि दुनिया भर के पर्यटक उस तरफ आकषिर्त होते हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर की स्थापना 17वीं शताब्दी में सवाई जय सिंह द्वितीय ने की थी। शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर की पहचान यहां के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है, जो यहां की वास्तुकला और स्थापत्य की खूबी हैं। 1876 में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह द्वितीय ने इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ, ¨प्रस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित करवा दिया था। तभी से शहर का नाम ¨पक सिटी या गुलाबी नगरी पड़ गया। आमेर का किला, जंतर मंतर, सिटी पैलेस, जयगढ़ का किला, हवा महल, नाहरगढ़ किला, जल महल और अल्बर्ट हॉल म्यूजियम आदि ऐतिहासिक स्थल और बड़े-बड़े किले देशी-विदेशी सैलानियों को अपनी खूबसूरती और भव्यता से अचंभित कर देते हैं। राजस्थान में विदेशी सैलानियों की पहली पसंद जयपुर शहर होती है। 
भारत के अभी तक केवल 37 स्मारक विश्व विरासत की सूची में शामिल थे। अब इनकी संख्या 38 हो गई है। अब जबकि जयपुर को विश्व धरोहर का दर्जा मिल गया है, तो केंद्र सरकार और राजस्थान सरकार,  दोनों की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है कि इस शहर के ऐतिहासिक स्मारकों और पर्यटक स्थलों को और भी ज्यादा बेहतर तरीके से सहेजने और संवारने के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाएं ताकि ये अनमोल धरोहर हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित बनी रहें। सैलानियों को यहां यहां सुरक्षा, अपनत्व और विश्वास का माहौल मिले।

जाहिद खान


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