ई-वोटिंग : इस्तोनिया से सबक ले भारत

Last Updated 04 Apr 2019 05:30:57 AM IST

इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (इवीएम) से लेकर पुराने समय के बैलेट पेपर से मतदान करने का मुद्दा भारत में पिछले कुछ समय से सुर्खियों और विवादों में रहा है।


ई-वोटिंग : इस्तोनिया से सबक ले भारत

इस संदर्भ में एक छोटे से बाल्टिक देश इस्तोनिया से भारत को सबक लेने की आवश्यकता है। इस्तोनिया के 44 फीसद लागों ने हाल के संसदीय चुनावों में डिजिटल तरीके से अपने मतदाता धर्म का निर्वाह किया है। इस्तोनिया में हाल में हुए संसदीय चुनावों में विजयी दल को 40 फीसद ई-वोट हासिल हुए जो कुल मतदान का लगभग 30 फीसद है।  इस्तोनिया में लगभग सभी आयु समूहों के लोगों में ऑनलाइन वोटिंग व्यापक रूप से लोकप्रिय रहा है। 55 वर्ष से अधिक के उम्र के लोगों में ई-वोट डालने वालों का फीसद 25 रहा जबकि 45-54 के बीच के आयु समूह के लोगों के डाले गए वोट का फीसद 20 रहा। अनुमानत: इस्तोनिया ने ई-वोटिंग प्रणाली के उपयोग के जरिये लगभग 11 हजार कार्य दिवसों की बचत कर ली।
उपरोक्त आंकड़ों का भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश के लिए बहुत अधिक महत्त्व है, जहां 28 करोड़ की आबादी से भी अधिक मतदाता नियमित रूप से मतदान करने में विफल हो जाते हैं, इसकी वजह उनका काम काज के चक्कर में एक जगह से दूसरी जगह जाना जाना होता है। इसके फलस्वरूप वे भौतिक रूप से उस चुनाव क्षेत्र में उपस्थित नहीं रह पाते, जहां उनका पंजीकरण होता है। निश्चित रूप से  ई-वोटिंग भारत के इन चलायमान मतदाताओं को इस गंभीर समस्या से निजात दिला सकती है। हालांकि यह प्रक्रिया बहुत आसान भी नहीं है। बिना मजबूत सुरक्षा उपायों के ऑन लाइन वोटिंग हैकिंग या दूसरी तरह की चालबाजियों की शिकार हो सकती है।

जहां तक ई-वोटिंग की प्रक्रिया का सवाल है तो इस्तोनिया निवासी मतदान दिवस से सात दिन पहले तक किसी भी वक्त मतदान कर सकते हैं। मतदान के दिन ऑन लाइन वोटिंग की इजाजत नहीं है। मतदाताओं को इसके लिए इंटरनेट कनेक्शन के साथ एक कंप्यूटर की आवश्यकता होती है तथा एक राष्ट्रीय आईडी कार्ड या एक विशेष मोबाइल आईडी की जरूरत होती है। आईडी कार्ड को एक कार्ड रीडर में प्रविष्ट कराया जाता है जिससे कि मतदाता की अर्हता और रजिस्ट्रेशन का सत्यापन कराया जा सके। इसके बाद मतदाताओं को एक डिजिटल बैलेट को भरने, साइन करने एवं उसे सबमिट करने की आवश्यकता होती है। चुनावी प्रक्रिया त्रृटिरहित रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए इस्तोनिया अपने मतदाताओं का यह जांच करने के लिए उनके फोन के उपयोग की अनुमति देता है जिससे कि वे देख सकें कि उनका वोट रिकॉर्ड किया जा रहा है या नहीं। इलेक्शन सर्वर को भेजे जाने से पूर्व प्रत्येक वोट को इनिक्रप्ट और टाइमस्टांप किया जाता है। मतदाता चुनाव के दिन तक अपनी पसंद बदलने के लिए ऑनलाइन सिस्टम का उपयोग कर सकता है।
इस्तोनिया में ई-वोटिंग की यह प्रक्रिया 2005 में आरंभ हुई। ई-वोटिंग के लिए एक विशेष चिप सुसज्जित आईडी कार्ड और एक स्मार्ट कार्ड रीडर की आवश्यकता होती है। हालांकि नगरपालिका चुनावों में सर्वप्रथम उपयोग में लाए गए ऑनलाइन वोटिंग में केवल दो फीसद लोगों ने ऑनलाइन वोटिंग की। ऑनलाइन वोटिंग का उपयोग इस्तोनिया के संसदीय चुनावों में सबसे पहले 2007 में किया गया जिसमें 30, 243 मतदाताओं ने ऑनलाइन वोटिंग का उपयोग किया। 2007 में ही इस्तोनिया ने एक नया आईडी कार्ड सिस्टम का उपयोग किया, जिसने कार्ड रीडर के बजाय मतदाताओं को एक विशेष सिम कार्ड रखने और अपने फोन से वोट करने की सुविधा प्रदान की। 2009 के नगरपालिका चुनावों में ऑनलाइन वोटिंग करने वालों की संख्या एक लाख से भी अधिक (16 फीसद) तक पहुंच गई। 2015 में ई-वोटिंग प्रणाली को अपडेट किया गया जिससे कि मतदाता यह जांच कर सकें कि उनका वोट सर्वर द्वारा रिकॉर्ड किया जा रहा है या नहीं और मतों में बदलाव करने या वोट को ब्लॉक करने के लिए कोई चालबाजी तो नहीं की जा रही। कुल मिलाकर, इस्तोनिया के उदाहरण से भारत को सीख लेने और जितनी जल्द संभव हो, इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

शशि कुमार झा


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