वैश्विकी : विदेश नीति की अग्नि-परीक्षा

Last Updated 17 Feb 2019 07:24:58 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में अपनी सक्रिय विदेश नीति की उपलब्धियों और कमियों को आंकने का एक दुखद अवसर मिला है।


वैश्विकी : विदेश नीति की अग्नि-परीक्षा

पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के चवालीस जवानों के शहीद होने के बाद देश में उपजे दुख और आक्रोश के बीच देश की जनता प्रधानमंत्री मोदी से यह पूछ रही है कि पूरी दुनिया का कई बार चक्कर काटने के बाद आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के मोच्रे पर भारत को क्या हासिल हुआ? भारत को अपने कूटनीतिक प्रयासों से पाकिस्तान को अलग-थलग करने और उसे आतंकवादियों को संरक्षण और प्रोत्साहन देने से रोकने में कितनी सफलता मिली। ये दोनों सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां की सेना से नियंत्रित होने वाले जेहादी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पहले भी भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला कर चुका है। पुलवामा हमले के बाद दुनिया भर के नेताओं ने शोक संदेश भेजे, लेकिन यह रस्म अदायगी तो पहले भी होती रही है। अब देखना यह है कि यदि भारत पाकिस्तान के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई करता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से कितना सहयोग और समर्थन मिलेगा।

पाकिस्तान ने लंबी चुप्पी के बाद पुलवामा हमले की निंदा करते हुए भारत के इस आरोप को खारिज कर दिया है कि इस हमले में इस्लामाबाद का हाथ है। हांलाकि भारत के पास पाकिस्तान के विरुद्ध पुख्ता प्रमाण हैं। गौर करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान की धरती पर पैदा हुआ आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। इस संगठन का सरगना आतंकी मसूद अजहर है। उसने 2014 में भारत के विरुद्ध जेहाद का ऐलान किया था। इसी मंसूबे के तहत उसने सितम्बर 2016 में उरी के सैन्य प्रतिष्ठान में हमला कराया था जिसमें 19 जवान शहीद हो गये थे। कहा जा रहा है कि पिछले साल अक्टूबर में उसका भतीजा उस्मान हैदर त्राल में सेना के साथ मुठभेड़ में मारा गया था। तब से वह अपने भतीजे की मौत का बदला लेने के लिए कश्मीर में बड़ा आतंकी वारदात करने का रणनीति बना रहा था। आखिर पाकिस्तान किस मुंह से हमले की जांच की मांग कर रहा है। जबकि फिदायीन हमला करने वाला आतंकी आदिल अहमद डार का वीडियो जैश-ए-मोहम्मद ने ही जारी किया है। इस वीडियो में डार ने खुद को जैश का सदस्य बताते हुए कहा है कि  हिंदुस्तान के लोगो गौर से सुनो.. मुझ जैसे अभी तमाम तुम्हारी तबाही के लिए तैयार बैठे हैं। इस वीडियो के बाद पाकिस्तान को और किस तरह के प्रमाण देने की क्या जरूरत रह जाती है।
नयी दिल्ली चाहता है कि पाकिस्तान जैश समेत अन्य सभी आतंकी संगठनों को समर्थन देना पूरी तरह से बंद करे। इसके लिए वह कुटनीतिक स्तर पर इस्लामाद के विरुद्ध वि समुदाय को लामबंद करने की कोशिश कर रहा है। उसे इस दिशा में बड़ी सफलता तब मिली जब अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार जॉन बोल्टन ने अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल से फोन पर अपनी संवेदना जतायी। उन्होंने सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया और हमले के दोषियों को सजा दिलाने के लिए भारत की हर तरह से मद्द करने की पेशकश की, लेकिन भारत के असली चुनौती चीन है जो कूटनीतिक और सैनिक दोनों स्तरों पर पाकिस्तान का समर्थन करता है।
भारत ने पुलवामा हमले के बाद वि समुदाय से यह अपील की है कि वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव का समर्थन करे। जाहिर है भारत का इशारा चीन की ओर है क्योंकि पुलवामा हमले के बाद चीन ने भारत की इस अपील का समर्थन करने से इनकार कर दिया है। आने वाले दिनों में भारतीय कूटनीति की यह अग्नि परीक्षा होने वाली है कि वह चीन के ऊपर यह दवाब बनाने में कितना सफल हो पाता है कि वह अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की राह में अपना वीटो पावर का इस्तेमाल न करे। अब इस बात पर सबकी नजर है कि भारत किस तरह की जवाबी कार्रवाई करता है। उरी के बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी, लेकिन अब ऐसी कार्रवाई दोहराई नहीं जा सकती। भारत की प्रतिक्रिया क्या हो, इस पर भी उलझाव आ गया है कि देश आम चुनाव में जाने वाला है। इसके मद्देनजर मोदी पर कार्रवाई करने का दवाब भी है, लेकिन किसी बड़ी सैनिक कार्रवाई को लेकर उनके ऊपर बंधन भी है।

डॉ. दिलीप चौबे


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