सरोकार : स्वस्थ भारत की बुनियाद है खुराक
देश में मरीजों की बढ़ती संख्या और स्वास्थ संबंधी चुनौतियों के कारण जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा चिकित्सा सेवाओं पर खर्च हो जाता है।
![]() सरोकार : स्वस्थ भारत की बुनियाद है खुराक |
इसी कारण सरकारी मेडिकल सेवाओं की उपलब्धता के बावजूद निजी चिकित्सालयों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी होती जा रही है। आधुनिक मेडिकल तकनीकी विस्तार के बावजूद मरीजों की संख्या घटने की बजाय तेजी से बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक देश की आबादी का लगभग 60-70 प्रतिशत हिस्सा किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त है। जिसका प्रमुख कारण आम जनमानस की जीवनशैली, दैनिक दिनचर्या और खानपान का बदलता स्वरूप है। अनियमित दिनचर्या, असंतुलित एवं असुरक्षित खान-पान बीमारियों को निमंतण्रदेता है। शारीरिक श्रम के अभाव और आरामदायक दिनचर्या के कारण शरीर में बड़े पैमाने पर टॉक्सिन पदार्थ एकत्रित हो जाते हैं। जो अनेकों गम्भीर बीमारियों को जन्म देते हैं।
परंपरागत खानपान के स्थान पर आधुनिक और पाश्चात्य संस्कृति के आधारित ‘रेडी-टू-ईट’, पैकेज्ड या डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, ‘जंक फूड‘ और ‘फास्ट फूड’ के सेवन से शरीर में खतरनाक रसायनों की आपूर्ति होती है। जो शरीर के पाचन तंत्र एवं आंतरिक अंगों को दुष्प्रभावित करते हैं। ‘जंक फूड‘ और ‘फास्ट फूड’ में ट्रांसफैट, शुगर, टेस्टमेकर, सोडियम और लेड सहित अनेकों खतरनाक रसायनों का प्रयोग कर ‘टेस्टी’ तो बनाया जाता है, लेकिन ‘हेल्दी’ नहीं। इससे मनुष्य की भूख तत्कालिक रूप से तो मिट जाती है, परन्तु शरीर की पोषण आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती है। इसमें प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स इत्यादि पोषक तत्वों का अभाव होता है। पोषक तत्वों के अभाव के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और हानिकारक तत्वों की अधिकता से शरीर का संतुलित विकास व आंतरिक अंगों में सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाता।
महानगरों में भागदौड़ भरी जीवनशैली और काम के तनाव के कारण युवा वर्ग घर पर निर्मिंत खाद्य पदाथरे के सेवन की बजाय, मार्केट में उपलब्ध रेडी-टू-ईट खाद्य पदाथरे का सेवन कर भोजन संबंधी आवष्यकताओं की पूर्ति करता है। परन्तु होटल और टिफिन वाले भोजन की पौष्टिकता की बजाय स्वाद पर बल देते हैं। रेडी-टू-ईट खाद्य पदाथरे में ट्रांसफैट, सिंथेटिक कलर, एसेन्स के रूप में हानिकारक रसायनों और शुगर की अधिकता होती है। इसमें फाइबर का अभाव और चिकनाई की अधिकता होने के कारण पाचन तन्त्र दुष्प्रभावित होते हैं। जिसके कारण मोटापा, शुगर, ब्लडप्रेशर, कैंसर, किडनी, कब्ज, लीवर सम्बन्धी अनेकों बीमारियां हो रही हैं।
देश में बढ़ती स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने एफएसएसएआई के तत्वावधान में ‘ईट राइट इंडिया मूवमेंट’ आरंभ किया है। जिसके अंतर्गत आम जनमानस को सही और गुणवत्ता युक्त खाद्य पदाथरे के विषय में जानकारी प्रदान की जा रही है। स्वस्थ भारत साइकिल यात्रा में लगभग 7500 साईकिलिस्ट भाग ले रहे हैं, कुल 18000 किमी की यात्राएं कर आम जनमानस को सुरक्षित आहार, स्वास्थ्य का आधार। थोड़ा कम, थोड़ा कम! नमक, तेल, चीनी कम। फलों पर स्टीकर का प्रयोग न करें।
| Tweet![]() |