मुद्दा : भ्रामक विज्ञापनों पर नकेल जरूरी
मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी या फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन किसी उत्पाद का प्रचार करते हैं तो लोग उन पर कमोबेश भरोसा कर ही लेते हैं.
मुद्दा : भ्रामक विज्ञापनों पर नकेल जरूरी |
लेकिन धन कमाने की गलाकाट प्रतिस्पर्धा में शायद इन नामी-गिरामी हस्तियों को भी अपनी नैतिक साख की रत्ती भर परवाह नहीं. तभी तो खतरनाक मैगी नूडल्स के विज्ञापन को लेकर अमिताभ पर मुकदमा कायम हो जाता है तो घर खरीदने के लिए कौड़ी-कौड़ी जुटाकर निवेश करने वाले ग्राहकों के पैसों को डकारने वाली रियल स्टेट कंपनी आम्रपाली के ब्रांड अंबेसडर धोनी बनते हैं और कंपनी के दिवालिया होने पर ही उससे नाता तोड़ लेते हैं. वहीं दिल्ली से सटे नोएडा में तकरीबन 37 अरब की ठगी करने वाली आनलाइन कंपनी का प्रमोशन अभिनेत्री अमीषा पटेल और सनी लियोनी करती हैं. बावजूद इसके इन हस्तियों पर किसी के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती.
यह तो एक ऐसी बानगी है जिसकी खूब चर्चा रही. लेकिन ऐसे अन्य हजारों मामले सामने आ रहे हैं. देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू तक इसके शिकार हो रहे हैं. बिना किसी जबाबदेही के मशहूर हस्तियां उत्पाद की गुणवत्ता की परवाह किए बिना भ्रामक विज्ञापनों में हिस्सा ले धन कमा रही हैं. यहां तक की योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के भी कई उत्पाद भी गुणवत्ता की मानक पर खरे नहीं उतरे जिनका प्रचार बाबा ने खुद किया. तो क्या इन लोगों पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. जिनके दावों पर भरोसा करने के चलते लोग ठगे गए. हालांकि समय-समय पर सरकार भरोसा दिलाती रहती है कि जो जिम्मेदार होंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. लेकिन जब कानून ही लचर हो तो कार्रवाई कैसे होगी. हां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब खुद आगे बढ़कर कहा कि उपभोक्ता हितों की सुरक्षा उनकी सरकार की प्राथमिकता में है तो केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामबिलास पासवान भी कहते हैं कि सरकार अब इसे लेकर सख्त कानून बनाएगी. वे मानते भी हैं कि मौजूदा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 उपभोक्ताओं के हितों का प्रभावशाली तरीके संरक्षण करने में सक्षम नहीं है. पासवान मानते हैं कि भ्रामक विज्ञापनों की शिकायते माह दर माह लगातार बढ़ रही हैं. लिहाजा नया कानून लाजिमी है और इसके लिए जल्द सदन में विधेयक लाया जाएगा.
उनका दावा है कि नये उपभोक्ता कानून में उत्पाद तैयार करने वाली संबंधित कंपनी के साथ ही उसके प्रचार से जुड़ी हस्तियों को भी जिम्मेदार बनाया जाएगा. मालूम हो कि तेलुगू देशम पार्टी के सांसद जेसी दिवाकर रेड्डी की अध्यक्षता वाली उपभोक्ता मामले की 20 सदस्यीय संसदीय समिति ने हाल ही में भ्रामक और गुमराह करने वाले विज्ञापनों के मामले में उन मशहूर हस्तियों को भी दंडित करने की सिफारिश की है, जो ऐसे विज्ञापनों में प्रचार करते दिखाई पड़ेंगे.
समिति के अनुसार, भ्रामक विज्ञापनों के मामले में पहली गलती होने पर दोषी पाई गई हस्ती को 2 साल की सजा और 10 लाख के जुर्माने और गलती दोहराने पर 5 साल की सजा और 50 लाख का जुर्माने का प्रस्ताव है. लेकिन संसद इसे किस रूप में पारित करेगी. इसकी जद में सरकारी विज्ञापनों का प्रचार करने वाली हस्तियां और चुनावों के समय बड़े-बड़े दावे कर जनता को गुमराह करने वाले राजनेता भी आएंगे अथवा नहीं, यह अभी तय नहीं है. बता दें कि टीवी, अखबारों, सिनेमा, होर्डिंग्स और इंटरनेट के माध्यम होने वाले विज्ञापनों पर अभी देश में भारतीय विज्ञापन मानक परिषद निगरानी रखता है और हर साल हजारों भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत कार्रवाई के लिए सरकार के पास भेजता है. लेकिन लचर कानून के चलते उपभोक्ता फोरम या अन्य न्यायालय कोई सख्त फैसला नहीं ले पाते हैं.
हां कुछेक मामलों में उत्पाद बनाने वाली कंपनियों पर कभी-कभार जुर्माना जरूर हो जाता है. वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट के माध्यम से भारत में ठगी का कारोबार ज्यादातर अमेरिका, ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से भारत में संचालित हो रहा हैं, जिन पर आसानी से कार्रवाई भी संभव नहीं है. जबकि अमेरिका, जापान व दक्षिण कोरिया सहित कई देशों में इस पर पहले ही सख्त कानून बना चुके हैं. लिहाजा भारत देशी ही नहीं विदेशी ठगों के भी निशाने पर है और लोग उनके शिकार हो रहे हैं.
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