मदरसा : छुट्टियां और सियासत

Last Updated 05 Jan 2018 06:24:43 AM IST

यद्यपि छुट्टियों का कोई धर्म या मजहब नहीं होता परन्तु धार्मिक पर्व और तीज-त्योहारों पर छुट्टियां जरूर होती है.


मदरसा : छुट्टियां और सियासत

हमारे देश में अनेक धर्मो के अनुयायी हैं इसलिए हिन्दू, इस्लाम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन धर्म से संबद्ध पर्व-त्योहारों पर छुट्टियां सरकारी विद्यालयों और कार्यालयों में होती है. मगर इस बार उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस्लामी विद्यालयों अर्थात मदरसों के लिए छुट्टियों का 2018 के लिए जो कैलेंडर जारी किया है, उसमें इस्लामी पर्व यथा ईद, मोहर्रम की छुट्टियां देने के साथ अन्य धर्मो के पवरे पर भी छुटिटयां दी है, जैसे-होली, दीपावली, दशहरा, रक्षाबंधन, क्रिसमस, महावीर जयंती, बुद्ध पूर्णिमा, अंबेडकर जयंती इत्यादि पर. इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय पर्व यथा 26 जनवरी, 2 अक्टूबर और 15 अगस्त पर भी मदरसे बंद रहेंगे. इसलिए इस बात पर कुछ मुस्लिम नेताओं और उलेमा ने प्रतिक्रिया व्यक्ति करते हुए इसका विरोध किया है.

यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि मदरसों में अधिकांश छात्र मुस्लिम ही होते हैं और उनमें शिक्षा पूरी तरह इस्लाम धर्म के सिद्धांतों और कुरान पाक व पैगम्बर सल्लम के कथन और कर्मो; हदीस व सुन्नतद्ध पर आधारित होती है. इसलिए इसमें इस्लामिक पर्व ईद, शबे बरात और मोहर्रम पर ही अभी तक अधिकांश छुट्टियां की जाती हैं केवल होली और अंबेडकर जयंती पर ही मदरसों में छुट्टियां की जाती है. पूर्व की राज्य सरकारों ने चाहे वह कांग्रेस, सपा, बसपा अथवा भाजपा की रही है, मदरसों के छुट्टियों के कैलेंडर में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं किया. परन्तु इस वर्ष प्रदेश की भाजपा सरकार ने इसमें महत्वपूर्ण बदलाव समरसता के नाम पर किया. मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में अन्य प्रदेशों के मुकाबले में सबसे अधिक मदरसें हैं. रजिस्ट्रर्ड मदरसों की संख्या 19000 से अधिक है जिनमें से 560 ऐसे मदरसे हैं, जिन्हें राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त होता है. कुछ मस्जिदों में अनरजिस्ट्रर्ड मदरसे भी चलते हैं जिनमें स्थानीय मुस्लिम बच्चें उर्दू व कुरान पाक पढ़ते है. प्राय: मस्जिद के मौलाना जिन्हें इमाम कहा जाता है या हाफिज जी वहां शिक्षा देते हैं. अधिकतर मुस्लिम बालक और बालिकाएं मदरसों में ही शिक्षा प्राप्त करते हैं. उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार द्वारा हाल ही में जारी आदेश में पंजीकृत मदरसों से कहा गया है कि वह वर्ष में 92 की जगह 89 छुट्टियां करें और मदरसों को निर्धारित टाइम टेबल के अनुसार खोलें और बन्द करें.

26 दिसम्बर से 5 जनवरी तक मरदसों में शीतकालीन छुट्टियां रखी जाए. इस आदेश पर कई मुस्लिम नेताओं और मौलवियों ने विरोध जताया और इसे प्रदेश के मुसलमानों के खिलाफ करार दिया. मालूम हो कि अब तक विभिन्न मरदसे अपनी सुविधानुसार यह टाइम टेबल तैयार करते थे. किंतु योगी सरकार ने सभी रजिस्ट्रर्ड मदरसों के लिए एक ही टाइम टेबल लागू कर दिया है. हालांकि सभी मदरसों के लिए समान टाइम टेबल और छुट्टियों का कैलेंडर जारी करना एक सामान्य प्रक्रिया है. परन्तु इस पर सख्त प्रतिक्रियाएं आ रही हैं उदाहरणार्थ मौलाना आमिर रशादी (उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष) ने कहा है कि ‘केंद्र की मोदी सरकार हो या प्रदेश की योगी सरकार; उनका एकमात्र उद्देश्य है मुसलमानों को यह संदेश देना कि वे ही इस संप्रदाय को परेशान रख सकते हैं ताकि हिन्दू वोट बैंक उनका ही बना रहे’.

इसी तरह जमाते-इस्लामी ने भी इस बारे में मदरसों के लोगों से बात करने की सलाह योगी सरकार को दी. वास्तव में छुट्टियों के मसले पर राजनीति तो नहीं होनी चाहिए बल्कि हर विवाद को बातचीत से सुलझाने का प्रयास किया जाए तो बेहतर होगा. उत्तर प्रदेश की सरकार को भी इस विषय पर गहराई से मंथन करना चाहिए. मदरसों में 99.9 प्रतिशत मुस्लिम बच्चे ही शिक्षा प्राप्त करते हैं. इसलिए रजिस्ट्रर्ड मदरसों में टाइम टेबल भी इसी दृष्टिकोण से बनाया जाए. उदाहरणार्थ दोपहर 1.00 बजे से 2.00 बजे तक के समय में नमाज भी पढ़ी जाती है. अत: मदरसा बोर्ड इस बात को भी सामने रखे कि नये टाइम टेबल से मदरसों के छात्रों/अध्यापकों को इबादत करने में परेशानी ना हो. इसी तरह मुस्लिम नेताओं और उलेमा को भी यह सोचना चाहिए कि वे किसी इस्लामी मुल्क के वासी नहीं हैं बल्कि धर्मनिरपेक्ष भारत में रहते हैं और अल्पसंख्यक हैं. इसलिए वे मुख्यधारा में आने का प्रयास करें और बहुसंख्यकों के तीज त्योहारों पर मदरसों में छुट्टी दिए जाने का विरोध ना करें. सामाजिक और धार्मिक सौहार्द के लिए यह आवश्यक है कि विभिन्न धर्मो को मानने वाले एक-दूसरे की भावनाओं और तीज-त्योहारा का सम्मान करें.

असद रजा


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment