वैश्विकी : आजादी की मांग का वैश्विक आयाम

Last Updated 08 Oct 2017 05:38:51 AM IST

पिछले दिनों स्पेन से कैटालोनिया की आजादी की आवाज विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं में क्षेत्रीय स्तर पर असमान विकास के विरुद्ध उठी आवाज है.


आजादी की मांग का वैश्विक आयाम

स्पेन का यह उत्तर-पूर्वी इलाका सामाजिक-आर्थिक विकास की दृष्टि से देश के दूसरे क्षेत्रों की तुलना में काफी समृद्ध है. इस इलाके की अपनी भाषा-संस्कृति है, जो देश के अन्य इलाके से उसकी अलग पहचान कायम करती है.

आजादी के समर्थक कैटालोनिया इलाके के निवासियों का तर्क है कि उनके विकास के अर्जित लाभ में वे लोग हिस्सा मांग रहे हैं, जिनका इस विकास में कोई योगदान नहीं है. इसका मतलब है कि एक देश के भीतर ही एक क्षेत्र दूसरे क्षेत्रों के साथ अपनी समृद्धि का बंटवारा करना नहीं चाह रहा है. पिछले रविवार को पृथक कैटालोनिया राष्ट्र के मुद्दे पर हुई रायशुमारी और उसके बाद की घटनाओं ने स्पेन में एक संवैधानिक संकट पैदा कर दिया है. लिहाजा, सरकार को इस रायशुमारी को गैर-कानूनी घोषित करना पड़ा है.

इन दिनों यूरोप और अमेरिका में एक नये तरह का क्षेत्रवाद उभर रहा है. यह विचार एकता से बिखराव की ओर ले जाने का समर्थन करता है. यूरोपीय संघ से इंग्लैंड का बाहर आना इसका बेहतर उदाहरण है. इंग्लैंड को भी यह महसूस हुआ कि हमारे विकास का लाभ दूसरे देश उठा रहे हैं, जिसके कारण हमारी अर्थव्यवस्था पिछड़ती जा रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फस्र्ट’ की नीति को भी इससे अलग करके नहीं देखा जा सकता. यह नई सोच व नया विचार है, जो अमेरिका की उदारता को खारिज करता है. वह अपनी समृद्धि में किसी गरीब और पिछड़े देश को हिस्सेदार बनाना नहीं चाहता. आने वाले दिनों में यह विचार जोर पकड़ सकता है और भूमंडलीकरण में ठहराव ला सकता है.

इसमें दो राय नहीं कि सभी अर्थव्यवस्थाओं में आय के वितरण में असमानताएं पाई जाती हैं. चाहे अल्पविकसित देशों की अर्थव्यवस्था हो या पूंजीवादी देशों की; आय के समान वितरण में भेदभाव दिखाई पड़ता है. इसलिए स्पेन की कैटालोनिया की घटना, इंग्लैंड का यूरोपीय संघ से बाहर निकलना और अमेरिका की संरक्षणवादी नीति भारत के लिए सबक है. हमारे देश में क्षेत्रीय असमानता की शुरुआत तो ब्रिटिश शासन के समय ही हो गई थी.

अंग्रेजों ने औद्योगिकीकरण की शुरुआत उन क्षेत्रों से की, जहां से उनका व्यापारिक हित ज्यादा सध रहा था. इसलिए उसने प.बंगाल और महाराष्ट्र को अपनी व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बनाया. कोलकाता, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों को समृद्ध बनाया जबकि देश के शेष इलाके को पिछड़ा रहने दिया. कमोबेश यह स्थिति आज भी बनी हुई है.

असमान विकास और क्षेत्रीय असंतुलन के चलते असम और पूर्वोत्तर के लोगों की घोर उपेक्षा हुई है. इसलिए वहां जब-तब अलगाववादी हिंसक आंदोलन जोर पकड़ता रहता है. लेकिन स्वतंत्रता संग्राम की मजबूत विरासत के चलते समृद्ध राज्यों में अलगाववाद कभी जोर नहीं पकड़ सका. फिर भी नई विश्व व्यवस्था नये विचारों को जन्म दे सकती है, जिनसे भारत भी अछूता नहीं रह सकता. अत: असमान क्षेत्रीय विकास दूर करने के लिए अपेक्षाकृत पिछड़े राज्यों में उच्चतर विकास दर की व्यवस्था करनी चाहिए.

डॉ. दिलीप चौबे


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment