मुद्दा : अपना घर संभाले पाकिस्तान
न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 72वें अधिवेशन में जो इन दिनों जारी है, पाक के प्रधानमंत्री शाहीद खाकान अब्बासी ने जहां कश्मीर के पुराने राग को अलापा वहीं उन्होंने भारत पर उनके देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप भी लगाया.
![]() पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहीद खाकान अब्बासी (file photo) |
यह भी कहा कि कश्मीर में लोगों के संघर्ष को जो भारत में चल रहा है, उसको कुचला जा रहा है, जिससे मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हो रहा है.
अब्बासी जब महासभा में अपना भाषण दे रहे थे तो ठीक उसी समय हजारों बलूच और सिंधी समुदाय के लोग अशांत बलूचिस्तान और सिंध में पाकिस्तान सुरक्षाबलों के अत्याचारों और मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर, पाकिस्तान के खिलाफ, संयुक्त राष्ट्र महासभा के सामने बाहर प्रदर्शन कर रहे थे.
बलूच नेशनल मूवमेंट पार्टी (बीएनपी), जीयो सिंध कौमी मूवमेंट पार्टी (जीएसक्यूएम) पाक खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों के द्वारा उनके हजारों कार्यकर्ताओं को उठाकर ले जाने, लापता करने, नागरिकों की प्रताड़ना कर हत्या करने के खिलाफ और पाक के चुंगल से आजादी की मांग कर रहे थे. दरअसल, बलूचिस्तान में लापता बलूच नागरिकों की समस्या बहुत गंभीर है और पिछले कई सालों से उनका कुछ अता-पता नहीं लग रहा है.
‘वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन्स’ के अध्यक्ष अब्दुल कादरी ने कहा है कि पाक से स्वतंत्रता की मांग करने वाले कम-से-कम 35000 बलूच राष्ट्रवादी पिछले कुछ सालों से लापता हैं. इसके पीछे पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है. जो लोग लापता लोगों की तलाश करके सामने लाने की बात करते हैं, उनकी हत्या कर दी जाती है. अब्दुल कादरी ने 2013 में लापता लोगों को सामने लाने के लिए कोयटा से इस्लामाबाद तक 1000 किमी लांग मार्च किया था. लापता लोगों के परिवारों के सदस्य भी इस मार्च में शामिल थे.
इस प्रदर्शन का आयोजन संगठन ‘बलूच नेशनल मूवमेंट’ ने किया था और अपने महासचिव डॉक्टर मनान बलूच की पाक सेना द्वारा हत्या किए जाने की निंदा की थी. डॉ. मनान बलूच को इसलिए मार दिया गया था क्योंकि उन्होंने गवादर बंदरगाह के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था.
प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि बलूचिस्तान में सुरक्षा और स्थिति तभी बहाल हो सकती है जब बलूचिस्तान पाकिस्तान के कब्जे से आजाद हो. बलूचिस्तान प्रांत पाक के क्षेत्र के हिसाब से सबसे बड़ा प्रांत है. पाक का 40 प्रतिशत हिस्सा घेरे हुए हैं लेकिन आबादी केवल 90 लाख है. बहरहाल, प्राकृतिक संसाधनों से दूसरे प्रांतों से अधिक मालामाल है.
बलूचियों को गिला है कि पाक संविधान के 18वें संशोधन के तहत जो विशेषाधिकार उन्हें मिले हुए हैं, उनमें बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों पर केंद्र व प्रांत दोनों का अधिकार है, जबकि इन संसाधनों पर केवल बलूचिस्तान को ही अधिकार मिलना चाहिए. सुई के स्थान पर जो गैस पैदा होती है उसकी पूर्ति पूरे पाकिस्तान में होती है फिर भी प्रांत को रॉयल्टी की बहुत थोड़ी रकम मिलती है.
बलूच राष्ट्रवादी चाहते हैं कि स्कूलों व कॉलेजों में पाक के इतिहास को ना पढ़ाया जाए बल्कि बलूचिस्तान के इतिहास को पढ़ाया जाए. वे बलूचिस्तान से फौज व फ्रंटियर कॉर्प को वापस बुलवाने और उनके खिलाफ मुकदमा वापस लेने की भी मांग कर रहे हैं. विडंबना यह है कि पाक सरकार उनको राष्ट्रवादी न मानकर विद्रोही करार देती है. उसने पिछले दिनों ऐसे 90 बलूच राष्ट्रवादियों के सिर पर जिंदा या मुर्दा लाने वालों को ईनाम देने की घोषणा की थी.
सरकार को आशंका है कि अगर उनको न पकड़ा गया तो वे पाकिस्तान में चीन की मदद से बनाए जा रहे आर्थिक गलियारे के निर्माण में बाधा डालेंगे. माना जा रहा है कि जब तक सेना आईएसआई व दूसरी खुफिया एजेंसियों, फ्रंटियर कॉर्प बलूचियों पर जुल्म करना बंद नहीं करती तब तक उनमें पाक से अलग होने की भावना को खत्म नहीं किया जा सकता.
अब तो उनकी आजादी की मांग पाक की सरहद पार करके अमेरिका और विदेश के कई देशों में पहुंच गई है. अंततोगत्वा यही कहा जा सकता है कि अगर बलूच राष्ट्रवादियों पर पाक सुरक्षाबलों व आईएसआई द्वारा किए जा रहे अत्याचारों पर विराम नहीं लगा तो बलूचिस्तान भी देर-सवेर पाकिस्तान से अलग हो जाएगा जैसे पूर्वी पाकिस्तान अलग हो गया था.
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