क्रिकेट : मिला कपिल जैसा ऑलराउंडर

Last Updated 16 Aug 2017 06:47:23 AM IST

टीम इंडिया लंबे समय से कपिल देव की तरह के तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर की तलाश में जुटी थी. कुछ ऑलराउंडर्स ने अच्छा प्रदर्शन करके यह उम्मीद बंधाई भी.


कपिल जैसा ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या

पर लगता है कि यह खोज अब हार्दिक पांडय़ा पर आकर खत्म हुई है. पर इस खोज में दो दशक से ज्यादा का समय लगा है. कपिल देव ने 19 मार्च 1994 को हैमिल्टन में न्यूजीलैंड के खिलाफ आखिरी टेस्ट खेला था और हार्दिक मिले हैं 2017 में.
कपिल देव के बाद टीम इंडिया को इरफान पठान और स्टुअर्ट बिन्नी के रूप में दो अच्छे ऑलराउंडर मिले. पर दोनों ही कपिल की तरह अपने कॅरियर को लंबा खींचने में असफल रहे. लेकिन श्रीलंका के खिलाफ पल्लेकेल में जिस तरह पांडय़ा ने शतक ठोका, उससे अहसास हो गया कि इस खिलाड़ी को टीम इंडिया में कपिल देव वाली भूमिका को सौंपा जा सकता है. खुद कपिल देव भी हार्दिक पांडय़ा को क्षमतावान ऑलराउंडर मानते हैं. पर कपिल का यह भी मानना है कि किसी भी ऑलराउंडर के 50 टेस्ट खेल लेने के बाद ही उसकी किसी और से तुलना करनी चाहिए. पर मौजूदा हालात में यह संभव नहीं दिखता है.

कपिल देव जैसे ऑलराउंडर की खोज का सिलसिला लंबे समय से चल रहा है. इस खोज का ही नतीजा इरफान पठान और स्टुअर्ट बिन्नी रहे हैं. इरफान जिस समय 12 दिसम्बर 2003 में टेस्ट खेलने को उतरे, उस समय ही सभी को लग गया कि कपिल देव द्वितीय का आगमन होने जा रहा है. इरफान ने 29 टेस्ट में एक शतक और नौ अर्धशतकों से 1105 रन बनाए और 100 विकेट भी लिए. पठान जब बुलंदी की तरफ बढ़कर कपिल देव द्वितीय का अहसास करा रहे थे, तभी उनकी गेंदबाजी में स्विंग का अभाव नजर आने लगा और गति में जबरदस्त कभी आ गई. इन कमजोरियों की वजह से ही वह टीम से बाहर हो गए और फिर कभी पुरानी रंगत को नहीं पा सके. इसी का परिणाम था कि वह टीम में वापसी के लिए तरसते ही रह गए. इसी तरह स्टुअर्ट बिन्नी ने 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट कॅरियर की शुरुआत की. उन्होंने छह टेस्ट मेंरन तो 194 बनाए पर विकेट तीन ही ले सके. सही मायनों में वह उम्मीदों पर कभी खरे नहीं उतर सके. इसके अलावा रविचंद्रन अिन और रविंद्र जडेजा ने कई बार ऑलराउंडरों की भूमिका को बखूबी निभाया है. लेकिन दोनों के टीम के मुख्य स्पिनर होने की वजह से कभी ऑलराउंडर की निगाह से देखा ही नहीं गया. इसकी वजह दोनों का स्पिनर होना है. पांडय़ा के श्रीलंका दौरे के तीसरे टेस्ट में शतक जमाने के अंदाज से लगने लगा है कि टीम की लगभग 23 साल से चली आ रही कपिल देव जैसे ऑलराउंडर की खोज लगता है कि पूरी हो गई है. हार्दिक पांडय़ा की सबसे बड़ी खूबी कपिल की तरह ही खुलकर खेलना है. उन्होंने इस दौरे के पहले टेस्ट में पारी की शुरुआत खुलकर की, उससे क्रिकेटप्रेमियों का उनके ऊपर भरोसा बनने लगा. इसी तरह तीसरे टेस्ट में शतक लगाने मामले में वह हमेशा कपिल देव वाले अंदाज में नजर आए. उन्होंने 96 गेंद में आठ चौकों और सात छक्कों की मदद से 108 रन बनाए. हार्दिक के खेलने के अंदाज से कभी लगा ही नहीं कि वह पहली सीरीज खेल रहे हैं.
आमतौर पर जब भी नये खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिलता है, तो उनके ऊपर एक दवाब सा रहता है. लेकिन आप हार्दिक की पारी को देखें तो कभी नहीं लगता है कि उनके ऊपर किसी तरह का दवाब नहींहै. इसी का परिणाम है कि वह पुष्पकुमार के एक ही ओवर में दो चौकों और तीन छक्कों से 26 रन ठोकने में सफल रहे. वह तो खुदा का शुक्र है कि आखिरी गेंद खाली चली गई अन्यथा इस पर भी चौका लग गया होता तो टेस्ट मैचों में एक ओवर में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकार्ड बन गया होता. यह रिकार्ड ब्रायन लारा और ट्रेवर बेली के नाम 28 रन बनाने का है. यह सही है कि अभी यह कहना जल्दबाजी है कि भारत को दूसरा कपिल देव मिल गया है. कपिल को तो पहला शतक लगाने के लिए आठवें टेस्ट का इंतजार करना पड़ा था. लेकिन पांडय़ा ने तो कॅरियर के तीसरे टेस्ट में ही शतक जमा दिया है. इसी तरह कपिल ने पहले दो टेस्ट में तीन विकेट लिए थे और हार्दिक ने भी तीन ही विकेट निकाले हैं. इस क्रिकेटर की सबसे बड़ी खूबी खुलकर खेलना है. पांडय़ा को तो अभी टेस्ट कॅरियर की शुरुआत किए कुछ ही दिन हुए हैं और कपिल देव जैसा ऑलराउंडर बनने के लिए आगे प्रदर्शन में एकरूपता लानी होगी. यही नहीं कम-से-कम एक दशक तक चमकदार प्रदर्शन करने से ही वह कपिल देव द्वितीय कहलाने का हक पा सकेंगे.

मनोज चतुर्वेदी
लेखक


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment